क्या हम कभी एलियन भाषा को समझ पाएंगे

एलियन वर्ष 2016 की साइंस फिक्शन फिल्म अराइवल में एक भाषाविद् को पैंिलड्रोमिक वाक्यांशों से बनी एक एलियन (परग्रही) भाषा को समझने के चुनौतीपूर्ण कार्य का सामना करना पड़ता है। यह एलियन भाषा गोलाकार प्रतीकों के साथ लिखी गई है और आगे की तरह पीछे की ओर से भी उसी तरह पढी जाती है।


जैसे-जैसे भाषाविद् विभिन्न सुराग खोजती है, दुनिया भर के विभिन्न देश एलियन भाषा के वाक्यांशों की अलग-अलग व्याख्या करते हैं – कुछ लोग यह मान लेते हैं कि यह किसी खतरे का संदेश दे रहे हैं। यदि मानवता आज ऐसी स्थिति में पहुंच जाए, तो हमारे लिए सबसे अच्छा विकल्प यह होगा कि हम इस बात पर शोध करें कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) किस प्रकार भाषाओं का विकास करती है। लेकिन भाषा की परिभाषा क्या है? हममें से •यादातर लोग अपने आस-पास के लोगों से संवाद करने के लिए कम से कम एक भाषा का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन यह कैसे अस्तित्व में आई? भाषाविद् दशकों से इस प्रश्न पर विचार कर रहे हैं, फिर भी यह जानने का कोई आसान तरीका नहीं है कि भाषा का विकास कैसे हुआ।

भाषा क्षणभंगुर है, यह जीवाश्म अभिलेखों में कोई जांच योग्य निशान नहीं छोड़ती है। हड्डियों के विपरीत, हम प्राचीन भाषाओं के बारे में यह अध्ययन नहीं कर सकते कि वे समय के साथ कैसे विकसित हुईं। यद्यपि हम मानव भाषा के वास्तविक विकास का अध्ययन करने में असमर्थ हैं, फिर भी शायद सिमुलेशन (सतत अनुकरण) कुछ अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकता है। यहीं पर एआई की भूमिका आती है – यह अनुसंधान का एक आकषर्क क्षेत्र है जिसे आकस्मिक संचार कहा जाता है, और इसका अध्ययन करने में मैंने पिछले तीन वर्ष बिताए हैं।
भाषा किस प्रकार विकसित हो सकती है, इसका अनुकरण करने के लिए हम कृत्रिम बुद्धिमत्ता के एजेंटों को सरल कार्य देते हैं, जिनमें संचार की आवश्यकता होती है, जैसे कि एक खेल जिसमें एक रोबोट को दूसरे रोबोट को मानचित्र दिखाए बिना ग्रिड पर एक विशिष्ट स्थान पर मार्गदर्शन करना होता है।


हम इस बात पर लगभग कोई प्रतिबंध नहीं लगाते कि वे (एजेंट) क्या कह सकते हैं या कैसे कह सकते हैं – हम बस उन्हें कार्य देते हैं और उन्हें इसे अपनी इच्छानुसार हल करने देते हैं। क्योंकि इन कायरें को हल करने के लिए एजेंटों को एक-दूसरे के साथ संवाद करने की आवश्यकता होती है, इसलिए हम यह अध्ययन कर सकते हैं कि समय के साथ उनका संचार किस प्रकार विकसित होता है, ताकि यह अंदाजा लगाया जा सके कि भाषा किस प्रकार विकसित हो सकती है।

इसी तरह के प्रयोग इंसानों के साथ भी किए गए हैं। कल्पना कीजिए कि आप, जो अंग्रेजी बोलते हैं, किसी गैर-अंग्रेजी बोलने वाले व्यक्ति के साथ जोड़े गए हैं। आपका कार्य अपने साथी को मेज पर रखी वस्तुओं में से एक हरा घन चुनने का निर्देश देना है। आप अपने हाथों से घन की आकृति बनाने की कोशिश कर सकते हैं और खिड़की के बाहर घास की ओर इशारा करके हरे रंग का संकेत दे सकते हैं। समय के साथ आप दोनों मिलकर एक तरह की प्रोटो-भाषा विकसित कर लेंगे। हो सकता है कि आप घन और हरे के लिए विशिष्ट इशारे या प्रतीक बनाएं।
बार-बार बातचीत के माध्यम से, ये सुधारित संकेत अधिक परिष्कृत और सुसंगत हो जाएंगे, जिससे एक बुनियादी संचार पण्राली बन जाएगी। यह एआई के लिए भी इसी तरह काम करता है। परीक्षण और त्रुटि के माध्यम से, वे उन वस्तुओं के बारे में संवाद करना सीखते हैं जिन्हें वे देखते हैं, और उनके बातचीत करने वाले साथी उन्हें समझना सीखते हैं। लेकिन हम कैसे जान सकते हैं कि वे किस बारे में बात कर रहे हैं? अगर वे इस भाषा को केवल अपनी कृत्रिम बातचीत करने वाले साथी के साथ ही विकसित करते हैं और हमारे साथ नहीं, तो हम कैसे जान सकते हैं कि प्रत्येक शब्द का क्या अर्थ है? आखिरकार, एक विशिष्ट शब्द का अर्थ ‘हरा’, ‘घन’ या इससे भी बदतर – दोनों हो सकता है। व्याख्या की यह चुनौती मेरे शोध का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

Leave a Comment

Discover more from Roshan Gaur

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading

10th Governing Council Meeting of NITI Aayog, chaired by Prime Minister Shri Narendra Modi, held in New Delhi on Saturday. India’s Nandini Gupta Secures Spot in 72nd Miss World Grand Finale Mahakumbh : strange of the world I vibrant color of India : महाकुम्भ : अद्भुद नज़ारा, दुनिया हैरान friendly cricket match among Members of Parliament, across political parties, for raising awareness for ‘TB Mukt Bharat’ and ‘Nasha Mukt Bharat’, at the Major Dhyan Chand National Stadium The fandom effect: how Indian YouTube creators and fans took over 2024