8th pay commission : केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए आठवें वेतन आयोग की घोषणा कर दी है। पिछली बार चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी का वेतन 6 हजार रुपये से बढ़कर 18 हजार रुपये हो गया था। इस बार यह 2.75 गुणा बढ़कर 50 हजार रुपये हो जाएगा। सचिव का वेतन भी 6.18 लाख रुपये के पार होने की संभावना है।
8th pay commission के गठन का निर्णय लिया
प्रधानमंत्री की अध्क्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन और पेंशनभोगियों के भत्तों में संशोधन के लिए 8वें वेतन आयोग के गठन का निर्णय लिया। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अिनी वैष्णव ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में 8वें वेतन आयोग के गठन का निर्णय लिया गया।
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हर 10 साल में गठित होता है पे-कमीशन का
हर 10 साल में पे-कमीशन का गठन होता है। इसमें अब बढ़े डीए को मर्ज किया जाता है और महंगाई के अनुसार एक फिक्सेशन फामरूला तय किया जाता है। 7वें वेतन आयोग का गठन 2016 में किया गया था और इसकी अवधि 2026 में समाप्त हो रही है।
50 लाख कर्मचारी और 65 लाख पेंशन धारकों मिलेगा लाभ
वेतन आयोग के लिए एक चेयरमैन और दो सदस्यों की नियुक्ति जल्द की जाएगी। आयोग अपनी रिपोर्ट इसी वर्ष के अंत तक देगा, जिससे अगले साल शुरुआत में ही आयोग की शिफारिशें लागू हो जाएंगी। इस कदम से केंद्र सरकार के लगभग 50 लाख कर्मचारियों और करीब 65 लाख पेंशनधारकों को लाभ होगा। वेतन आयोग सरकार को सिफारिशें देने से पहले केंद्र और राज्य सरकारों और अन्य संबंधित पक्षों के साथ व्यापक परामर्श करता है। सरकारी कर्मचारियों के लिए वेतन संरचना, लाभ और भत्ते तय करने में वेतन आयोग की महत्वपूर्ण भूमिका है। राज्य सरकारों के स्वामित्व में आने वाली ज्यादातर इकाइयां आयोग की सिफारिशों को लागू करती हैं।
2.75 हो सकता है fixation formula
सातवें वेतन आयोग ने फिक्सेशन फामरूला 2.57 तय किया था। यानि मूल वेतनमान में 2.57 गुणा की वृद्धि की गयी थी। मूल वेतन में पे-बैंड लागू होता है। आठवां वेतन आयोग 2.75 का फामरूला लागू सकता है। क्यों कि वर्तमान में महंगायी बढ़ी है। हालांकि कर्मचारी संगठन तीन गुणा वृद्धि की मांग कर रहे हैं लेकिन वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने से अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ता है। कुछ राज्यों की स्थिति को इतनी खराब हो जाती है, वे तनख्वा नहीं दे पाते हैं।
सातवें वेतन आयोग ने चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों का वेतन 6000 रुपये से बढ़ाकर 18 हजार रुपये और सचिव का 80,000 से बढ़ाकर 2.25 लाख रुपये का दिया था।
संभावना है कि तृतीय श्रेणी कर्मचारियों वेतन न्यूनमत 49,500 रुपये और सचिव का 6.18 लाख रुपये हो जाएगा।
MTS को नहीं मिला न्याय
30 से 35 साल कार्य करने के उपरांत MTS को एक भी पदउन्नति नहीं दी गई, जबकि अन्य कैडरों में कुछ न कुछ पदोन्नति के डीओपीटी के माध्यम से दी जा रही है, एमटीएस संगठन ने कई पत्राचार डीओपीटी के विभिन्न अधिकारियों और मंत्रियों को दिए परंतु कुछ आश्वासन डीओपीटी ने अपने पत्र दिनांक 22 जून 2022 को पत्र के माध्यम से संगठन को लिखित में दी। 2साल से भी अधिक हो जाने के बाद भी उसमें कोई भी उचित कार्रवाई नहीं की गई।
चुनाव में हो सकता है नुकसान
लोकसभा चुनाव में सरकारी कर्मचारियों ने बीजेपी को वोट नही डाला. दिल्ली विधान सभा चुनाव से पहले 8 पे कमीशन बिठाकर उनकी नाराजगी दूर करने की कोशिश की गयी है, लेकिन MTS वोटर अभी भी नाराज है . सरकार ने चुनाव के दौरान किया वादा पूरा नहीं किया. यदि सरकार अभी कोईं कदम नहीं उठाया तो दिल्ली विधान सभा चुनाव में नुकसान हो सकता है .

10 साल से मोदी सरकार ने दबाया मामला
एमटीएस लगातार डीओपीटी से पार्मेशन के लिऐ पर्थना करते आ रहा है। जबकि अन्य कैडर की सुनवाई डीओपीटी सुनलेता है, लेकिन एमटीएस के लिए अभी तक उम्मीद की कोही किरण नहीं दिख रही है, 2014में मोदी जी की सरकार से उम्मीद जागी, 10साल हो गए, कुछ नही अभी तक हुआ।


अब तक गठित वेतन आयोग
1st pay commission वेतन आयोग (मई 1946 से मई 1947) चेयरमैन: श्रीनिवास वरदाचार्य भारत की आजादी के बाद वेतन संरचना को तर्कसंगत बनाने पर ध्यान दिया गया ‘जीविका पारितोषिक’ की अवधारणा पेश। न्यूनतम वेतन: 55 रुपये प्रति माह। अधिकतम वेतन: 2,000 रुपये प्रति माह। लाभार्थी: लगभग 15 लाख कर्मचारी
2nd pay commission (अगस्त 1957 से अगस्त 1959) अध्यक्ष: जगन्नाथ दास। अर्थव्यवस्था और जीवन-यापन की लागत को संतुलित करने पर ध्यान दिया गया। न्यूनतम वेतन 80 रुपये प्रति माह की सिफारिश की गई समाजवादी प्रतिरूप को अपनाया गया। लाभार्थी: लगभग 25 लाख कर्मचारी।
3rd pay commission (अप्रैल 1970 से मार्च 1973) अध्यक्ष: रघुबीर दयाल न्यूनतम वेतन 185 रुपये प्रति माह की सिफारिश की गई सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच वेतन समानता पर जोर दिया गया वेतन संरचना में असमानताओं को दूर किया लाभार्थी: लगभग 30 लाख कर्मचारी।
4th pay commission (सितंबर, 1983 से दिसंबर, 1986) चेयरमैन: पी.एन.ंिसघल न्यूनतम वेतन 750 रुपये प्रति माह की सिफारिश की गई। सभी रैंक में वेतन में असमानताओं को कम करने पर ध्यान दिया गया। प्रदर्शन से जुड़ी वेतन संरचना पेश की गई । लाभार्थी: 35 लाख से अधिक कर्मचारी।
5th pay commission (अप्रैल, 1994 से जनवरी, 1997) चेयरमैन: न्यायमूर्ति एस. रत्नावेल पांडियन । न्यूनतम वेतन 2,550 रुपये प्रति माह की सिफारिश की गई। वेतनमान की संख्या कम करने का सुझाव दिया। सरकारी दफ्तर को आधुनिक बनाने पर ध्यान। लाभार्थी: लगभग 40 लाख कर्मचारी.
6th pay commission (अक्टूबर, 2006 से मार्च, 2008) चेयरमैन: न्यायमूर्ति बी.एन. श्री कृष्ण ‘पे बैंड’ और ‘ग्रेड पे’ पेश किया गया। न्यूनतम वेतन: 7,000 प्रति माह। अधिकतम वेतन: 80,000 रुपये प्रति माह। प्रदर्शन संबंधी प्रोत्साहन पर जोर। लाभार्थी: लगभग 60 लाख कर्मचारी
7th (फरवरी, 2014 से नवंबर, 2016) अध्यक्ष: न्यायमूर्ति ए के माथुर। न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये प्रति माह तक बढाया गया। अधिकतम वेतन 2,50,000 रुपये प्रति माह। ग्रेड पे सिस्टम की जगह नये पे मैट्रिक्स की सिफारिश की गई। भत्तों और कार्य-जीवन संतुलन पर ध्यान दिया गया। लाभार्थी: एक करोड़ से अधिक (पेंशनधारक सहित)
8th pay commission
16 जनवरी, 2025 को आठवें वेतन आयोग की घोषणा की गई।
input – agencies