Arvind Kejriwal सुप्रीम कोर्ट से रिहा होने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल jDelhi CM ने इस्तीफा देने की घोषणा कर दी है। सवाल है कि आखिरी मुख्यमंत्री ने इस्तीफा क्यों दे रहे हैं। क्या उनकी मजबूरी थी या अनको मजबूर कर ्िदया गया है। या उन्होंने इमोशनल कार्ड खेला है ताकि अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को फिर से भारी जीत मिले।
Arvind Kejriwal केजरीवाल ने दो दिन बाद पद त्यागने की घोषणा की
अरविंद केजरीवाल ने आज अपने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि सुप्रीम ने उन्हें जमानत दे दी है लेकिन वह जनता की अदालत में जाएंगे और जनता ने आदेश दिया तो मुख्यमंत्री बनेंगे। उन्होंने कहा कि वह अगले दो दिन में इस्तीफा देंगे और जनता की शरण में जाएंगे।
केजरीवाल मंत्रिमंडल के सभी सहयोगियों ने दावा किया कि केजरीवाल जेल से ही सरकार चलाएंगे। जेल में रहते हुए उन्होंने दिल्ली के आवाम को पत्र लिखकर यह चिंता जाहिर करने की कोशिश की कि वह दिल्लीवासियों को लेकर काफी फिक्रमंद हैं। लोकसभा चुनाव के दरम्यान उच्चतम न्यायालय के आदेश पर उन्हें कुछ दिनों के लिए जेल से रिहा किया गया।
उन्होंने लोकसभा चुनाव में जमकर प्रचार किया, लेकिन जनता ने उनकी भावनात्मक अपील को खारिज कर दिया। फिर उलटे पांव उन्हें फिर सरेंडर करना पड़ा।
अब जब उन्हें उच्चतम न्यायालय से सशर्त जमानत मिल गई है तो ऐसी क्या मजबूरी है कि उन्होंने इस्तीफे की पेशकश कर दी है? जबकि दिल्ली विधानसभा का चुनाव अगले वर्ष फरवरी महीने में होना तय माना जा रहा है। दरअसल जो लोग केजरीवाल की राजनीतिक दांवपेंच का नजदीक से समझते हैं उनका मानना है कि केजरीवाल जनता की भावनाओं के साथ खेलना अच्छी तरह से जानते हैं।
वर्ष 2014 में जब केजरीवाल ने कांग्रेस के साथ मिलकर पहली बार सरकार बनायी थी तो किसी ने इस्तीफा देने के लिए दबाव नहीं बनाया था। यहां तक कि उनके खास सिपहसलारों को भी भनक नहीं थी कि केजरीवाल अचानक इस्तीफा दे देंगे। लेकिन उन्होंने यह कदम उठाकर नायक के रूप में पेश किया। जनता के बीच यह संदेश गया कि केजरीवाल सच में ईमानदार हैं और कुर्सी की लालच नहीं है।
लेकिन इस बार जेल में जाने के बाद भी मुख्यमंत्री की कुर्सी का लोभ उनकी ईमानदारी पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया। मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए लालू प्रसाद यादव, जयललीता, हेमंत सोरेन जैसे लोगों ने नैतिकता के आधार पर त्याग पत्र दिया था, लेकिन केजरीवाल अपनी जिद पर कायम रहे और गैर भाजपाई मुख्यमंत्रियों को संदेश देते रहे कि उन्हें भी किसी भी प्रकार के गंभीर आरोप लगे फिर भी इस्तीफा नहीं देना चाहिए।
बहरहाल केजरीवाल एक बार फिर अपनी ईमानदारी की पुर्रस्थापना के लिए इस्तीफा देने जा रहे हैं। जबकि दिल्ली विधानसभा चुनाव होने में महज चार महीने शेष हैं। वह अपने विधायकों के साथ बैठक कर अगले मुख्यमंत्री की चुनाव करेंगे।
संभावना जतायी जा रही है कि सभी विधायक उन्हें दुबारा मुख्यमंत्री बनाने के लिए आग्राह करें तो हो सकता है कि विधायकों की बेहद मांग पर वह फिर से शपथ ले लें या विधायक उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल को मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग करें तो ऐसी दशा में सुनीता केजरीवाल मुख्यमंत्री बन सकती हैं। इसके बाद अग्निपरीक्षा में पास केजरीवाल अपनी ईमानदारी का प्रमाण पत्र लेकर चुनावी मैदान में कूदेंगे। सांप भी मर जाएगा और लाठी भी नहीं टूटेगी।