Yamuna दिल्ली में प्रवेश करते ही यमुना जी की मौत हो जाता है। यहां सिर्फ गंदे नाले गिरते हैं। आज प्रदूषण की यह स्थिति हैं कि यमुना की गंदगी के ऊ पर सफेद झाग की चादर बिछी है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है विशेष रूप से तब, जब त्योहार का मौसम नजदीक आ गया है।
Yamuna नदी की सतह पर बादल छाये
सोशल मीडिया पर प्रसारित कई वीडियो में नदी का ज्यादातार हिस्सा झाग की परत से ढका दिख रहा है मानो जैसे नदी की सतह पर बादल छा गए हों। हालांकि बाद में ये झाग धीरे धीरे छंट गया। साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डैम्स, रीवर्स एंड पीपुल (एसएएनडीआरपी) के सहायक समन्वयक भीमंिसह रावत ने कहा, आम तौर पर ऊपरी यमुना के हिस्से में बाढ की स्थिति काफी गंभीर होती है, लेकिन इस साल 2024 के हाल में समाप्त हुए दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान कोई बाढ नहीं आई।
इस बार मानसून में भी यमुना में बाढ़ नहीं आयी
इस बार मानसून में भी यमुना में बाढ़ नहीं आयी। यह असामान्य है, क्योंकि नदी में आम तौर पर हर साल इस खंड में कम से कम दो बार कम या मध्यम स्तर की बाढ आती है। नदी में प्रदूषण एक गंभीरंिचता का विषय है, जो मानव स्वास्थ्य और नदी के पास के वन्य जीवन को प्रभावित कर रहा है। भीम सिंह रावत के कहा कि नदी में स्वाभाविक रूप से सफाई करने की क्षमता है, लेकिन प्रदूषण का स्तरंिचताजनक है।
छठ पूजा कैसे होगी?
दीवाली के बाद छठ पूजा शुरू होती है। व्रती यमुना के किनारे पूजा करते हैं और यमुना में खड़े कर अघ्र्य चढ़ाते हैं। यदि इतना अधिक प्रदूषण रहा तो व्रती यमुना में नहीं जा पायेंगे। पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार, इस झाग में अमोनिया और फॉस्फेट की उच्च मात्रा होती है जिससे सन और त्वचा संबंधी समस्याओं सहित स्वास्थ्य संबंधी गंभीर जोखिम पैदा होता है। एक अन्य विशेषज्ञ ने कहा, इस प्रकार का झाग तब बनता है जब सड़ते हुए पौधों से निकलने वाली वसा और प्रदूषक तत्व पानी में मिल जाते हैं, लेकिन मानसून के दौरान इसकी उपस्थिति आश्चर्यजनक है। उन्होंने झाग बनने का कारण बाढ की अनुपस्थिति को बताया, जो आमतौर पर प्रदूषकों को बहा ले जाती है।
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