Lawrence bishnoi ने सलमान खान Salman Khand को मारने की धमकी देकर सुर्क्याखियाँ बटोरी हैं , क्या है उसकी नाराजगी. कौन है लारेंस , क्या है उसका इतिहास, उनकी समुदाय का पर्यावरण के प्रति प्रेम की कहानी`. आइये समझे पूरी कहानी .
Lawrence bishnoi गुस्से की वजह
सलमान खान कनेक्शन पीछे का इतिहास क्या है. बिश्नोई कम्युनिटी जो कि वातावरण एनवायरमेंट को प्रोटेक्शन के लिए जानी जाती है पहचानी जाती है वर्ल्ड फर्स्ट एनवायरमेंटलिस्ट कम्युनिटी बिश्नोई है . बिश्नोईयों का जब इतिहास समझ में आया तब उनका क्रोध भी समझ में आया. जानवर के लिए जान दे दे .
गुरु जांबेश्वर बिश्नोई समाज के संस्थापक
बिश्नोई कम्युनिटी की शुरुआत करी गुरु जांबेश्वर यूनिवर्सिटी का नाम सुना होगा ये कौन थे गुरु जांबेश्वर Guru Jambheshwar के नाम पे जिनको जंबू जी बोला करते थे धरती के पहले पर्यावरण के वैज्ञानिक साइंटिस्ट बाद में पता लगाता यह पहले सेंस कर लेते थे गुरु जांबेश्वर बिश्नोई समाज के संस्थापक . 28 अगस्त 1421 में जन्म लिया राजस्थान में इन्होंने नागौर जिले में बचपन से नेचर लवर थे आध्यात्मिक बहुत थे और किसी भी जीव हत्या के प्रति बहुत बहुत बहुत जागरूक करने में लोगों को लगे रहते थे .
सबसे पहले ओजोन परत के बारे में बताया
ओजोन सेफ्टी की जो लेयर है उस वो हमारे को डेंजरस सनरेज से बचाती है और पोल्यूशन के कारण ये लेयर खत्म होती है क्या आप जानते हैं ओजोन लेयर को किसने पहले खोजा था ? 550 साल पहले गुरु जांबेश्वर ने बता दिया था मोरे धरती ध्यान वनस्पति वासो ओजू मंडल छायो ओजू मंडल छायो ध्यान रूप में धरती पर बसने वाले पेड़ पेड़ को बोलते थे कि पेड़ ध्यान रूप में बसता है पेड़ शांत रहता है ना एक जगह रहता है तो कहते हैं भगवान का ध्यान कर रहा है पेड़ तो ध्यान रूप में बसने वाले जो पेड़ उनके खतरे के लिए ओजू मंडल छायो ओजू मंडल छाया हुआ है इसीलिए धरती का पहला पर्यावरण वैज्ञानिक कहते हैं उन्होंने बहुत सारी चीज पहले बता द थी.
20 नो 20 नोई इसीलिए इनका नाम विश्नोई पड़ गया
गुरु जांबेश्वर जीवन में इन्होंने 29 संस्कार दिए इसीलिए इनको 20 नो 20 नोई इसीलिए इनका नाम विश्नोई पड़ गया 20 न मतलब 29 20 और नौ . कई लोग कहते हैं क्योंकि भगवान विष्णु का सब उपासक है इनकी कम्युनिटी भगवान विष्णु को बहुत मानती है भजमन नारायण नारायण नारायण विष्णु विष्णु विष्णु विष्णु बहुत भजन करते हैं ये भगवान विष्णु का इसलिए कहते हैं कि विश्नोई विष्णु पहले विश्नोई थे बाद में विश्नोई हो गए तो ये दो तरह की कहावत हैं मुझे नहीं पता सही कौन सी लेकिन मैं दोनों बताना चाहता था हरे पेड़ नहीं काटना ये इनका बहुत बड़ा मॉडल था सबसे बड़े सैक्रिफाइस इनकी कम्युनिटी ने किए हैं अपने गर्दन कटवा दिए अपने पेट धर से अलग करा दिया अपने शरीर को थ कटवा दिए मरने को तैयार हो जाते हैं सैकड़ों बिश्नोईयों ने अपनी जान दे दी कि हरे पेड़ नहीं काटने देंगे,
बिश्नोईयों के बारे में कोई नहीं जानता अभी आज जानेंगे आप हर प्राणी पर दया भावना रखना ये कहते थे गुरु जांबेश्वर हर प्राणी पर दया भावना रखने का मतलब क्या हुआ प्राणी मतलब क्या इंसान नहीं जानवर भी अगर किसी जानवर की मां मर जाती है ना किसी हिरण की मां मर जाती है तो जो बिश्नोई समाज की मां अगर वो स्तनपान करा रही है बच्चे को तो अपने स्तन से उस जानवर को भी दूध पिलाती है अपने स्तन से ये कहीं नहीं पूरी दुनिया में के पूरे के पूरे गांव के गांव के गांव के गांव में चलते चला जा रहा है विश्नोई के सारे के सारे गांव में चलते चला जा रहा है कि माएं जानवरों को भी अपने स्तन का पान कराती है हां अपना दूध पान कराती है जानवरों का मांस नहीं खाना है उनकी नेचुरल डेथ होनी चाहिए संस्कार जैसे इंसान का होता है वैसे ही जानवर का होना चाहिए आपको पता है ये लोग नीले रंग के वस्त्र को पसंद नहीं करते क्यों जानते हैं क्योंकि नील की खेती से में एक्सट्रीम पानी लग जाता है और जितना ज्यादा पानी लगेगा और पानी वेस्ट होगा बाद में वो इन फर्टाइल सोइल भी हो जाएगा तो वो यूवी रे ज्यादा अब्जॉर्ब करेगा च लीड्स टू कैंसर ये सब चीजें उन्होंने तब बता दी थी
खेजड़ी का पेड़ – 363 लोगों ने एक पेड़ के लिए अपनी गर्दन कटवाई
आज से 500 साल पहले इनके यहां खेजड़ी का पेड़ होता है उसको य भगवान मानते हैं. ये खेजड़ी को तुलसी के बराबर या पीपल के बराबर माना जाता है खेजड़ी की पत्ती लूंगा जो बकरियों और ऊंट का खाना बन जाता है उनके जो फूल मझर और फल से सांगरी है उसकी सब्जी और अचार बन जाता है फल सूखने पर सूखा मेवा मेडिसिनल यूसेज के लिए आ जाता है ये खेजड़ी का पेड़ अलग ही पेड़ होता है उसकी लकड़ी से फर्नीचर बनता है पर जड़े इतनी जबरदस्त होती है कि उससे हल भी बन जाता है राजस्थान में एक लता पेड़ मई जून में हरा भरा रहता है उसको रेत के अंदर रेगिस्तान में पानी की जरूरत नहीं तब भी हरा रहेगा एक ही पेड़ है दुनिया में खेजड़ी का पेड़ रेत के रेगिस्तान में जहां बूंद नहीं पानी की वहां भी हरा पेड़ रहता है ये खिचड़ी का पेड़ अपनी छाव में पौधे और अनाज को उगने में हेल्प करता है ये इस पेड़ के लिए एक बार 363 लोगों ने एक पेड़ के लिए अपनी गर्दन कटवाई थी
जोधपुर के महाराजा अजय सिंह ने खेजरी का पेड़ काटने का आदेश दिया
1730 की बात है , जोधपुर के महाराजा अजय सिंह उनके महल में लकड़ी की जरूरत थी तो खेजड़ी का पेड़ चाहिए सबको राजा के आदेश पर सैनिक पेड़ काटने के लिए लग गए बिश्नोई समाज की अमृता देवी खड़ी हो गई अमृता देवी को बहुत मानते हैं . अमृता देवी पेड़ पर चिपक गई. बोली पहले मेरी गर्दन काट दो उसके बाद पेड़ काटने दूंगी उसकी तो गर्दन काट दी उसकी तीनों बेटियां भी आ गई उनकी भी गर्दन काट दी फिर पति आ गया एक पेड़ ना कटे उसके लिए फर पति ने भी अपनी गर्दन कटवा द उसके बाद 363 लोगों ने अपनी गर्दन कटवाई कि एक पेड़ ना कटे ये चिपको आंदोलन बाद में शुरू हुआ था 1973 में चिपको आंदोलन ऐसे ही 1973 में ये फेमस नहीं हुआ यही अमृता देवी से इंस्पायर्ड था गवर्नमेंट ने सरकार ने अमृता देवी बिश्नोई वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन अवार्ड रखा गया . सेना में ना होने के बावजूद एक होता है शौर्य चक्र शौर्य वीर चक्र बिश्नोई समाज को मिला .
निहाल चंद बिश्नोई की शौर्य चक्र
निहालचंद बिश्नोई राजस्थान के बीकानेर जिला में पैदा हुए थे 1996 की बात है, जंगली शिकारी आकर के छह हिरणों को मार चुके थे ब्लैक बक जो सलमान खान की कंट्रोवर्सी चलती है छह हिरणों को मार चुके थे निहाल रात का समय था उनको जब गोलियों की आवाज आई तो ये भाग के बाहर निकले अपने घर से भाग के बाहर निकले इन्होने देखा शिकारी लोग और हिरण मारने की कोशिश कर रहे हैं इन्होने कई आवाज ऐसी निकाली जिससे हिरण लोग को पता चल गया कि उनको भागना है जंगल में रहते हैं ना जानवर इनके बहुत नजदीक है वहां इंसान और जानवर एक दूसरे पर कभी हमला नहीं करते वो उनको भरोसा है एक दूसरे पर बहुत यह कम्युनिटी ऐसी है ऐसी ऐसी आवाज निकाली कि सारे हिरण भाग गए वहां से पर उस दिन सुबह छ लाश नहीं सात लाशें निकली छह लाश तो उन हिरणों की निकली जिनको लेकर जाने नहीं दिया इसने निहाल चंद बिश्नोई ने उन हिरणों को मर जाने के बाद भी उनकी लाश को जो लेकर जाना चाहते थे शिकारी अपने साथ उठा के ले जाने नहीं दिया आखिरी में खुद गोलियां खा कर के मरे सात लाशें निकली वहां से और भारत सरकार ने शौर्य चक्र से इनको सम्मानित किया क्या विश्नोई समाज के बारे में जानते थे आप यह पता चलना चाहिए हमारे देश को ऐसे ऐसे अवार्ड से सम्मानित होने वाले पहले सिविलियन है \
बूचो जी का बलिदान भाई कौन जानता था बिश्नोईयों के बारे में बूचो जी का बलिदान कम्युनिटी ऐसी है बिश्नोई का गुरु मंत्र एक कि गुरु के वचने निव खिव चालो के गुरु के वचनों का पालन करने के लिए अपनी जान भी दे दो 1756 की बात है नागौर जिले में नरसिंह नाम के राजा ने खेजड़ी के पेड़ काट दिए इठे बहुत सारे बचो जी ने जाकर प्रोटेस्ट किया पेड़ से सांस मिलती है हमारे को पेड़ से ही हम सांस लेते हैं लोग हसने लग गए पेड़ से सांस मिलते हैं पेड़ से ऑक्सीजन ये किसी को पता नहीं था तब तक लोग बोले बिश्नोई का बलिदान इनकी कहानियां झूठी है पेड़ के लिए कौन जान देता है अपनी भाई पेड़ काटने के लिए कोई गर्दन कटवा आता है क्या ये बिश्नोई समाज है वो कहते हैं ऑक्सीजन मिलता है, इससे बूचो जी ने ललकार हुए कहा कि मैं शहीद होने के लिए तैयार हूं बोला अगर तूने गर्दन कटवाने को तैयार हो गया तो मैं पेड़ नहीं काटू राजा ने भी बोल दिया बोला ठीक है तो मैं भी वचन देता हूं
प्लांट से ऑक्सीजन निकलती है गुरु जांबेश्वर ने 500 साल पहले बता दिया
मैं अपनी गर्दन कटवा ना मेरा रोकेगा ना मेरा गांव रोकेगा पर आपको वचन पूरा करना होगा आप इसके बाद एक भी पेड़ नहीं काटेंगे इसने प्रतिज्ञा ली राजा ने प्रतिज्ञा ली राजा ने कहा ट्राई करके देखना भाग जाएगा ये तलवार लगाना गद भाग जाएगा यह खड़े रहे वहां पर यह अपने गुरु का स्मरण करते रहे गुरु जांबेश्वर जी उनका स्मरण करते रहे बूचो जी ने गर्दन कटवा कर के लोगों को पेड़ ना काटने की कसम खिलवा दी वहां पर राजा ने कसम खा ली बलिदान के 18 साल के बाद 1774 में एक अंग्रेज साइंटिस्ट जोसेफ बिसली ने फोटो समझाया हमारे को कि प्लांट से ऑक्सीजन निकलती है गुरु जांबेश्वर ने 500 साल पहले बता दिया इन्होंने 1774 में बताया इस बलिदान के भी कई सालों के बाद बताया आज खामू राम बिश्नोई उनका नाम पर एक्स्ट्राऑर्डिनरी मैन ऑफ इंडिया का अवार्ड है मालूम क्यों क्योंकि प्लास्टिक पोलूशन के खिलाफ लड़े वो 48 साल से किसान है एक अनिल बिश्नोई यह पोचर पोचर होते है ना जो हिरणों को पकड़ते हैं आकर के उनके लिए 200 से ज्यादा कोर्ट में केस लड़ चुके.
अब तक पूरे 30 साल में पूरे भारत में 10000 से ज्यादा ब्लैक बक जिसकी पूजा करते हैं जो हिरण है वहां पे विश्नोई समाज उनको बचाया इन्होंने राजस्थान के जिलर जिले में पीराराम बिश्नोई सड़क पर पंचर लगाया करते थे ये इन्होंने एक बार देखा कि हिरण का बच्चा अपनी मां उसकी मां मर गई है और उसका दूध पीने की कोशिश कर रहा है मरी हुई मां का दूध पीते हुए देखा उन्होंने हिरण रोड एक्सीडेंट में हिरण की मौत हो गई थी इसके बाद उन्होंने ना सिर्फ उस हिरण के बच्चे को पाला बल्कि अब तक 2000 से ज्यादा जानवरों को रेस्क्यू और रिहैबिलिटेट करा चुके हैं कौन पंचर लगाने वाला पैसा है उनके पास नहीं दिल है गुरु जांबेश्वर जी का दिया हुआ संस्कार है 29 संस्कार जो गुरु जांबेश्वर जी ने दिए है हर जगह बिश्नोई समाज के लोग सक्सेसफुल हो रहे हैं आपको पता नहीं है
आप केवल लॉरेंस बिश्नोई Lawrence Bishnoi को जानते हो, कुश्ती हो या क्रिकेट का मैदान नेचर हो या देश का फ्यूचर बनाने वाला नेता हो बिश्नोई समाज से हर फील्ड से लोगों ने अपना कंट्रीब्यूशन दिया. रवि बिश्नोई क्रिकेट में 23 साल की उम्र में स्पिनर जो नंबर वन बॉलर बन गया आईसी टी 20 रैंकिंग के अंदर किरण बिश्नोई फ्री स्टाइल रेसलर यह कॉमनवेल्थ के अंदर गोल्ड मेडल लेकर के आई पॉलिटिक्स में भजनलाल बिश्नोई तीन बार चीफ मिनिस्टर रह चुके हैं हरियाणा के.