one nation one election तीसरी बार सत्ता में काबिज हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए ‘ एक देश एक चुनाव’ अग्नि परीक्षा से काम नहीं है। सरकार 129वां संविधान संशोधन लेकर आई है, जिसे लोकसभा में प्रस्तुत करने में ही सरकार को पसीने छूट गए।
one nation one election दो – तिहाई बहुमत चाहिए होगा
one nation one election फिलहाल तो सरकार ने विधेयक को जेपीसी को भेजा जा रहा है, लेकिन जब यह विधेयक चर्चा के लिए सदन में आएगा तब सरकार को दो – तिहाई बहुमत चाहिए होगा ।
विधेयक पारित करने के लिए चाहिए 358 वोट
लोकसभा में 543 सदस्यों का दो – तिहाई 358 है। संविधान संशोधन विधेयक को पारित करने के लिए नियम है कि सदन में दो तिहाई सदस्यों का उपस्थित होना जरूरी है और उसमें से भी दो तिहाई सदस्यों का विधेयक के पक्ष में वोट डालना अनिवार्य है। अगर सभी 545 सदस्य उपस्थित हुए तो सरकार को 358 सदस्यों की आवश्यकता होगी। और यदि सदन में काम सदस्य उपस्थित रहे तो उसका दो तिहाई वोट विधेयक के पक्ष में होने चाहिए।
उदाहरण के लिए आज विधेयक को प्रस्तुत करते वक्त 461 सदस्य मौजूद थे इसमें से यदि विधेयक पारित करने के लिए वोटिंग होती तो सरकार को 307 सदस्यों का समर्थन चाहिए था।
लेकिन आज सरकार के पक्ष में केवल 269 वोट ही पड़े और विपक्ष को 198 वोट पड़े।
आज की वोटिंग से सरकार सकते में है जबकि विपक्ष बेहद खुश है क्योंकि विपक्ष को लगता कि उन्होंने सरकार को एक्सपोज कर दिया है। विपक्ष का मानना है कि आज उनकी नैतिक जीत हुई है क्योंकि सरकार आवश्यक 307 वोट का प्रबंध नहीं कर पाई थी।
bjp के 20 MP गायब
आज की वोटिंग में बीजेपी के 20 सदस्यों ने हिस्सा नहीं लिया इन सदस्यों को नोटिस भेजे गए हैं। पार्टी ने व्हिप जारी किया था उसके बावजूद विश्व सदस्य गायब रहे।
एनडीए के सदस्यों की संख्या 292 है जबकि इंडिया गठबंधन के पास 234 सदस्य हैं। जब बिल चर्चा के लिए आएगा तब सरकार को उन राजनीतिक दलों पर डोरी डालने होंगे जो सदन से अनुपस्थित हो सकते हैं या सरकार के पक्ष में वोट कर सकते हैं।
यदि सरकार विपक्ष को तैयार नहीं कर पाई तो इस संविधान संशोधन को पारित करना मुश्किल हो जाएगा।
राज्यसभा में भी यही स्थिति है 245 सदस्य राज्यसभा में दो तिहाई बहुमत के लिए सरकार को 136 सदस्यों की आवश्यकता है जबकि एनडीए के पास करीब 100 सदस्य हैं। वहां भी सरकार को अन्य दलों पर निर्भर रहना होगा या विपक्ष को मनाना होगा।