Jagdeep Dhankhar : राज्यसभा के उप सभापति हरिबंस सिंह ने उपराष्ट्रपति Jagdeep Dhankharके खिलाफ Rajya sabha में पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव को ख़ारिज कर दिया है, श्री धनकड़ पर 10 दिसंबर को प्राप्त पत्र पर राज्यसभा के उपसभापति द्वारा दिए गए फैसले के अंश-
Jagdeep Dhankhar :’कम से कम 14 दिन’
अनुच्छेद 67 (ख) के अनुसार उपराष्ट्रपति vice president को हटा ‘कम से कम 14 दिन’ ए जाने पर विचार करने वाले किसी भी प्रस्ताव के लिए की पूर्व सूचना अलंघनीय रूप से अनिवार्य है। इस प्रकार 10 दिसंबर, 2024 के इस आशय की सूचना पर 24 दिसंबर, 2024 के बाद ही इस तरह के प्रस्ताव की अनुमति दी जा सकती है।
सत्र के दौरान प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है
जैसा कि सभी कथित हस्ताक्षरकर्ताओं को पता है, राज्य सभा का वर्तमान 266वां सत्र 6 नवंबर, 2024 को अधिसूचित किया गया था, 25 नवंबर को यह आरंभ हुआ और 20 दिसंबर, 2024 को यह समाप्त होने वाला है। इस स्थिति से पूरी तरह परिचित होने के बावजूद कि इस सत्र के दौरान प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है, यह केवल दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक कार्यालय और उपराष्ट्रपति के खिलाफ एक कहानी स्थापित करने के लिए शुरू किया गया था।
अत्यधिक बेढंगा और लापरवाहीपूर्ण है
सूचना पर एक नज़र डालने से पता चलता है कि यह अत्यधिक बेढंगा और लापरवाहीपूर्ण है और प्रत्येक कल्पaनीय पहलू पर गंभीर रूप से त्रुटिपूर्ण है- प्रेषिती का नाम नहीं है, संकल्प पाठ अनुपस्थित है, संपूर्ण याचिका में पदस्थ उपराष्ट्रपति का नाम सही ढंग से नहीं लिखा गया है, जिन दस्तावेजों और वीडियो का दावा किया गया है, उन्हें याचिका का हिस्सा नहीं बनाया गया है और बिना प्रमाणीकरण के यह असंबद्ध मीडिया रिपोर्टों के लिंक पर आधारित है।
बदनाम करने के उद्देश्य से झूठे दावों से भरा हुआ है
संसद और उसके सदस्यों की प्रतिष्ठा के लिए यह सूचना चिंताजनक है जिसमें मौजूदा उपराष्ट्रपति के अगस्त 2022 में पद ग्रहण करने से लेकर अब तक की घटनाओं का उल्लेख उन्हें बदनाम करने के उद्देश्य से झूठे दावों से भरा हुआ है।
प्रस्ताव उचित प्रारूप में नहीं है
विशेष रूप से, 21 सितंबर, 2020 से एक पूर्व उदाहरण मौजूद है, जिसमें तत्कालीन सभापति, श्री वेंकैया नायडू, ने अनुच्छेद 67 (ख) की तरह के एक विषय से संबंधित उपबंध के अंतर्गत प्रक्रियात्मक अनौचित्य का हवाला देते हुए उपसभापति से संबंधित समान निष्कासन सूचना को खारिज कर दिया था। उन्होंने अपने आदेश में इस प्रकार कहाः “संविधान के उपबंधों, राज्य सभा के नियमों और पिछले उदाहरणों को ध्यान से देखने के बाद, मैं प्रारम्भ में ही देखता हूं कि प्रस्ताव उचित प्रारूप में नहीं है।
इसके अतिरिक्त, संविधान के अनुच्छेद 90 (ग) के उपबंधों के अनुसार, संकल्प उपस्थित करने के लिए और न कि प्रस्ताव के लिए 14 दिनों की सूचना अवधि की आवश्यकता होती है। वर्तमान कार्यक्रम के अनुसार, चूंकि सभा 1 अक्तूबर, 2020 को अनिश्चित काल के लिए स्थगित होने जा रही है, सूचना 14 दिनों की आवश्यक अवधि को पूरा नहीं करती है। अतः, मैं व्यवस्था देता हूं कि विपक्ष के नेता और अन्य सदस्यों द्वारा दिया गया प्रस्ताव स्वीकार्य नहीं है”
उपराष्ट्रपति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए हड़बड़ी
उपरोक्त को देखते हुए, इस सूचना को अनुचित कार्य के रूप में माना जाता है जो कि गंभीर रूप से त्रुटिपूर्ण, स्पष्ट रूप से मौजूदा उपराष्ट्रपति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए हड़बड़ी और जल्दबाजी में तैयार की गई है और इसका उद्देश्य संवैधानिक संस्था को नुकसान पहुंचाना है। यह खारिज किये जाने योग्य है और एतद्वारा इसे खारिज किया जाता है। एक विस्तृत आदेश, समीचीन होने पर बाद में जारी किया जाएगा।