दिल्ली विधानसभा Delhi Vidhansabha चुनाव के लिए निर्वाचन आयोग ने चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कर दी है। 70 सदस्यीय विधानसभा के लिए 5 फरवरी को मतदान होगा जबकि मतों की गिनती8 फरवरी को की जाएगी। देखते हैं 8 फरवरी को किसके भाग्य का पिटारा खुलेगा
दिल्ली विधानसभाकुल 1.55 करोड़ पंजीकृत मतदाता हैं
मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि दिल्ली में कुल 1.55 करोड़ पंजीकृत मतदाता हैं और इनमें 83.49 लाख पुरुष तथा 71.74 लाख महिलाएं हैं। उन्होंने बताया कि युवा मतदाताओं (20 से 21 वर्ष के) की संख्या 28.89 लाख है जबकि पहली बार मतदान के पात्र युवाओं की संख्या 2.08 लाख है। कुमार ने बताया कि राजधानी के 2697 स्थानों पर कुल 13,033 मतदान केंद्र होंगे और इनमें से 210 मॉडल मतदान केंद्र होंगे।
उन्होंने कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव की तैयारियों के सिलसिले में विभिन्न कानून अनुपालन एजेंसियों के साथ व्यापक चर्चा की गई है जिसमें सुरक्षा से जुड़े आयाम भी शामिल हैं।
दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल 23 फरवरी को समाप्त हो रहा है। दिल्ली में विधानसभा की 70 सीटें हैं जिसमें से 58 सामान्य श्रेणी की जबकि 12 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। राजधानी दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। दिल्ली विधानसभा में बहुमत के लिए 36 विधायकों की आवश्यकता है। साल 2020 के विधानसभा चुनाव के तहत 8 फरवरी को मतदान संपन्न हुआ था जबकि मतगणना 11 फरवरी को हुई थी। इस चुनाव में आप ने सभी 70 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें से 62 ने जीत दर्ज की थी। इस प्रकार आप ने भारी बहुमत से जीत दर्ज कर सरकार बनाई थी।
इस चुनाव में भाजपा ने 67 सीटों पर उम्मीदवार उतारे और उसे महज आठ ही सीट पर सफलता मिल सकी। कांग्रेस सहित अन्य दलों का खाता भी नहीं खुल सका था। इससे पहले, साल 2015 के विधानसभा चुनाव में भी आप ने प्रचंड बहुमत हासिल किया था। अरंिवद केजरीवाल के नेतृत्व में पार्टी को 70 में से 67 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। भाजपा को महज तीन सीटों से ही संतोष करना पड़ा था, जबकि कांग्रेस और अन्य दलों का खाता तक नहीं खुला था। साल 2014 से अब तक हुए तीनों लोकसभा चुनावों में भाजपा ने दिल्ली की सभी सात सीटों पर कब्जा जमाया हुआ है।
मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना बनाम प्यारी दीदी योजना
दिल्ली में लगातार 15 साल तक सत्ता में रही कांग्रेस पिछले दो विधानसभा चुनावों में अपना खाता भी खोल नहीं सकी है। हालांकि कांग्रेस नेता पांच फरवरी को होने वाले चुनाव के लिए अपनी जमीन को मजबूती प्रदान करने में जुटे हैं। चुनाव के बाद 2,100 रुपये की मासिक सहायता के प्रावधान वाली आम आदमी पार्टी की ‘मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना’ कांग्रेस ने ‘प्यारी दीदी योजना’ की घोषणा की है। उसने वादा किया है कि सत्ता में आने पर महिलाओं को 2,500 रुपये की मासिक वित्तीय सहायता दी जाएगी। इस चुनाव में कांग्रेस ने अपनी प्रदेश इकाई के कई वरिष्ठ नेताओं को चुनावी मैदान में उतारा है।पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के पुत्र संदीप दीक्षित, दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख देवेंद्र यादव, अखिल भारतीय महिला कांग्रेस अध्यक्ष अलका लांबा और दिल्ली के पूर्व मंत्री हारून यूसुफ जैसे कई चेहरे चुनावी मैदान में हैं। कमजोरी:
कांग्रेस वर्ष 2013 से दिल्ली में सत्ता में नहीं है, जिससे मतदाताओं का विास दोबारा हासिल करना चुनौतीपूर्ण हो गया है। वषर्2013 में पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के नेतृत्व में चुनाव लड़ा था, लेकिन तब से उसके पास दिल्ली में एक प्रमुख, व्यापक रूप से पहचान वाले नेता की कमी है। लगातार दो चुनाव हारने के बाद, पार्टी के निचले कार्यकर्ताओं में उत्साह की कमी हो सकती है, जो उसके चुनावी अभियान प्रयासों में बाधा बन सकती है।
अवसर:
कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा अवसर यह है कि पार्टी के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है क्योंकि पिछले दो कार्यकाल से दिल्ली विधानसभा में उसका एक भी विधायक नहीं है। पार्टी के पास इस चुनाव में अपने पारंपरिक वोट बैंक को फिर से हासिल करने का अवसर है जो हाल के वर्षों में आप में स्थानांतरित हो गया है। अगर उसे कुछ सीटें भी मिलती हैं तो इससे पार्टी और कार्यकर्ताओं का मनोबल बढेगा। दिल्ली में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में कांग्रेस कुछ सीटें जीतने पर ‘ंिकगमेकर’ की भूमिका निभा सकती है।
खतरा:
यदि कांग्रेस इस चुनाव में कोई महत्वपूर्ण लाभ हासिल करने में विफल रहती है, तो उसे दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य से सफाया की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। आप और भाजपा की मजबूत उपस्थिति कांग्रेस की सत्ता हासिल करने की संभावनाओं के लिए एक बड़ा खतरा है।