नारायणी सेना का अनशन : वृंदावन के पवित्र बिहार घाट, श्रीधाम में नारायणी सेना के नेतृत्व में भारतीय सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए चल रहा अनिश्चितकालीन क्रमिक अनशन अपने 27वें दिन में पहुँच गया है। यह आंदोलन श्री बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर के निर्माण और सनातन धरोहर के संरक्षण जैसे अहम मुद्दों को लेकर सुर्खियों में है। महाशिवरात्रि 2025 के पावन अवसर पर नारायणी सेना के नेताओं ने देशवासियों को शुभकामनाएँ दीं और सनातन संस्कृति पर मंडरा रहे खतरों को उजागर किया। आइए, इस अनशन के उद्देश्य, मांगों, और संदेश को विस्तार से समझें।
श्री बांके बिहारी कॉरिडोर: प्राचीन कुंज गलियों पर संकट
नारायणी सेना के राष्ट्रीय प्रवक्ता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. एपी सिंह ने श्री बांके बिहारी जी कॉरिडोर के निर्माण पर कड़ा ऐतराज जताया। उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश सरकार प्राचीन कुंज गलियों और बृजवासियों के घरों को तोड़कर कॉरिडोर बनाना चाहती है, जो बिल्कुल उचित नहीं है। हर बृजवासी के घर में एक प्राचीन मंदिर है, जो पीढ़ियों से उनकी आस्था और सेवा का केंद्र रहा है।”
उन्होंने आगे बताया कि ये कुंज गलियाँ न केवल ऐतिहासिक हैं, बल्कि पूजनीय भी हैं। “मुगल काल में औरंगज़ेब की सेना के रथों को इन गलियों ने ही रोका था, जिससे मंदिर सुरक्षित रह सके। कॉरिडोर के नाम पर इनका विध्वंस वृंदावन की आत्मा को चोट पहुँचाएगा।” डॉ. सिंह ने सुझाव दिया कि कॉरिडोर के बजाय पूरे वृंदावन का सौंदर्यीकरण होना चाहिए, ताकि इसकी प्राचीनता और सुंदरता बरकरार रहे। SEO टिप: “श्री बांके बिहारी कॉरिडोर विवाद” और “वृंदावन कुंज गलियाँ” जैसे कीवर्ड यहाँ ट्रैफिक ला सकते हैं।

माँ यमुना की स्वच्छता और सनातन राष्ट्र की माँग
डॉ. एपी सिंह ने माँ यमुना की स्वच्छता पर भी ज़ोर दिया। उन्होंने कहा, “माँ यमुना, जो भगवान कृष्ण की पटरानी हैं, आज प्रदूषण से जूझ रही हैं। दिल्ली से आगरा तक यमुना में गिरने वाले नालों को रोकने के लिए समानांतर नालों का निर्माण जरूरी है।” इसके साथ ही, उन्होंने भारत को सनातन राष्ट्र घोषित करने की माँग उठाई। “1947 का बँटवारा एक षड्यंत्र था। आज हिंदू कई राज्यों से पलायन कर रहे हैं। सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए एक सनातन ट्रस्ट बोर्ड का गठन होना चाहिए।”
महाशिवरात्रि पर विशेष संदेश
महाशिवरात्रि 2025 के अवसर पर नारायणी सेना के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पंडित सोहन मिश्र ने देशवासियों को शुभकामनाएँ देते हुए कहा, “महाकुंभ प्रयागराज इस बार सनातन शक्ति का प्रतीक बना, लेकिन यह दुखद है कि काशी विश्वनाथ को मुगलों की कैद से मुक्त कर जलाभिषेक की अनुमति नहीं मिली। नंदी महाराज और करोड़ों शिव भक्त बरसों से दर्शन के लिए तरस रहे हैं।”
राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य रामानुज ने भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, “धर्म के नाम पर राजनीति करने वाले सत्ता में बैठकर गौ माता की करुण पुकार नहीं सुनते। महाकुंभ के समापन पर भारत को सनातन राष्ट्र घोषित करें, ताकि संत समाज और राष्ट्रभक्तों के प्रयास सार्थक हों। इससे माँ गंगा और यमुना फिर से स्वच्छ होंगी, और मठ-मंदिरों व गुरुकुलों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। धर्मो रक्षति रक्षितः।”

अनशन में शामिल प्रमुख व्यक्तित्व
इस अनशन में नारायणी सेना के कई प्रमुख नेता और कार्यकर्ता शामिल हैं, जिनमें आचार्य रामानुज (राष्ट्रीय अध्यक्ष), पंडित सोहन मिश्र (उपाध्यक्ष), पं. सुमित मिश्र (जिलाप्रमुख), नीरज गोस्वामी (महासचिव), विजय मिश्र, जय नारायण, पंडित बृजेश सिद्ध, आशीष त्रिपाठी, ऋषि कुमार, अशोक गोस्वामी, ललित मिश्रा, प्रवीण तिवारी, राजेश शर्मा, प्रमोद सारस्वत, मदन मोहन गोस्वामी, मुदित गोस्वामी, गोविंद तिवारी, योगेश गोसाई, और पिंकू गौतम जैसे नाम शामिल हैं।
क्यों जरूरी है यह आंदोलन?
- सनातन संस्कृति की रक्षा: प्राचीन मंदिरों और कुंज गलियों को बचाना।
- माँ यमुना का संरक्षण: प्रदूषण रोककर उनकी पवित्रता लौटाना।
- सनातन राष्ट्र की स्थापना: हिंदू धरोहर और आस्था की सुरक्षा।
निष्कर्ष
नारायणी सेना का यह अनशन केवल एक विरोध नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति को जीवित रखने की एक पुकार है। 26वें और 27वें दिन की यह गूँज वृंदावन से लेकर पूरे देश तक पहुँच रही है। क्या आप भी इस मुहिम का हिस्सा बनना चाहते हैं? अपने विचार कमेंट में साझा करें और इस ब्लॉग को शेयर करें, ताकि सनातन संस्कृति की रक्षा का संदेश हर कोने तक पहुँचे।