Trump Tariff on India अमेरिका ने उसके बाजारों में आने वाले भारतीय सामानों पर 27 प्रतिशत जवाबी शुल्क या आयात शुल्क लगाने की घोषणा की है। विशेषज्ञों का मानना है कि शुल्क भारतीय सामानों के लिए चुनौतियां उत्पन्न करेंगे, लेकिन भारत की स्थिति अपने प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में बेहतर बनी हुई है जिन्हें उनसे अधिक शुल्क का सामना करना पड़ेगा। इन मुद्दों तथा अमेरिकी कदम के निहिताथरें को कुछ प्रश्न व उतर से समझें-
प्रश्न. शुल्क क्या हैं?
उत्तर. ये वस्तुओं के आयात पर लगाए गए सीमा शुल्क या आयात शुल्क हैं। आयातक को सरकार को यह शुल्क देना होता है। आम तौर पर, कंपनियां इनका बोझ उपयोगकर्ताओं पर डालती हैं।
प्रश्न: जवाबी शुल्क क्या हैं?
उत्तर: ये शुल्क व्यापारिक साझेदारों के शुल्कों में वृद्धि किए जाने या उच्च शुल्कों का मुकाबला करने के लिए देशों द्वारा लगाए जाते हैं.यह एक तरह के प्रतिशोधात्मक शुल्क हैं।
प्रश्न: अमेरिका ने भारत पर कितना शुल्क लगाया है? उत्तर: भारत से आने वाले इस्पात, एल्युमीनियम और वाहन व उसके घटकों पर पहले ही 25 प्रतिशत शुल्क लगा है। शेष उत्पादों पर भारत पर पांच से आठ अप्रैल के बीच 10 प्रतिशत का मूल (बेस लाइन) शुल्क लगेगा। फिर नौ अप्रैल से शुल्क 27 प्रतिशत तक बढ जाएगा। इन कदमों से 60 से अधिक देश प्रभावित होंगे।
प्रश्न: अमेरिका ने इन शुल्कों की घोषणा क्यों की है? उत्तर: अमेरिका का मानना है कि इन शुल्कों से अमेरिका में घरेलू विनिर्माण को बढावा मिलेगा और व्यापार घाटे में कमी आएगी। अमेरिका को कुछ देशों, खासकर चीन के साथ भारी व्यापार असंतुलन का सामना करना पड़ रहा है। भारत के साथ अमेरिका का 2023-24 में 35.31 अरब अमरेकी डॉलर का व्यापार घाटा था।
प्रश्न: इन शुल्कों से किन क्षेत्रों को छूट दी गई है? उत्तर: आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई)के विश्लेषण के अनुसार दवा, सेमीकंडक्टर, तांबा और तेल, गैस, कोयला व एलएनजी जैसे ऊर्जा उत्पाद जैसे आवश्यक एवं रणनीतिक वस्तुओं को इन शुल्कों के दायरे से बाहर रखा गया है।
प्रश्न: इन शुल्कों का भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा? उत्तर: एक सरकारी अधिकारी के अनुसार वाणिज्य मंत्रालय अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 27 प्रतिशत जवाबी शुल्कों के प्रभाव का आकलन कर रहा है। हालांकि, यह भारत के लिए कोई झटका नहीं है। निर्यातक संगठनों के महासंघ फियो का कहना है कि भारत पर लगाया गया अमेरिकी शुल्क नि:संदेह घरेलू निर्यातकों के लिए चुनौती है, लेकिन भारत की स्थिति अपने प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में तुलनात्मक रूप से बेहतर है। निर्यातकों ने कहा कि प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौता घरेलू उद्योग को इन शुल्कों के संभावित प्रभाव से उबरने में मदद करेगा। जीटीआरआई ने कहा कि कुल मिलाकर अमेरिका की संरक्षणवादी शुल्क व्यवस्था भारत के लिए वैिक आपूर्ति श्रृंखला पुनर्संरेखण से लाभ उठाने के लिए मुख्य स्रेत का काम कर सकती है। हालांकि, इन अवसरों का पूरा लाभ उठाने के लिए भारत को अपने व्यापार को आसान बनाना होगा, लॉजिस्टिक्स व बुनियादी ढांचे में निवेश करना होगा और नीति स्थिरता बनाए रखनी होगी।
प्रश्न: भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता क्या है? उत्तर: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की फरवरी में अमेरिकी यात्रा के दौरान दोनों देशों ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब अमेरिकी डॉलर तक बढाने के उद्देश्य से इस समझौते पर बातचीत की घोषणा की थी। वे इस वर्ष की शरद ऋतु (सितंबर-अक्टूबर) तक इस समझौते के पहले चरण को अंतिम रूप देने का लक्ष्य बना रहे हैं।
प्रश्न: व्यापार समझौता क्या है?
उत्तर: ऐसे समझौतों में दो व्यापारिक साझेदार या तो सीमा शुल्क को काफी कम कर देते हैं या अधिकतर वस्तुओं पर उन्हें समाप्त कर देते हैं। वे सेवाओं और निवेश में व्यापार को बढावा देने के लिए मानदंडों को भी आसान बनाते हैं।
प्रश्न: अमेरिका ने भारत के प्रतिस्पर्धी देशों पर क्या शुल्क घोषित किए हैं? उत्तर: चीन पर 54 प्रतिशत, वियतनाम पर 46 प्रतिशत, बांग्लादेश पर 37 प्रतिशत और थाइलैंड पर 36 प्रतिशत शुल्क लगाया गया है।
प्रश्न: क्या ये पारस्परिक शुल्क डब्ल्यूटीओ के अनुरूप हैं? उत्तर: अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञ अभिजीत दास के अनुसार ये शुल्क स्पष्ट रूप से वि व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों का उल्लंघन करते हैं। यह एमएफएन (सबसे तरजीही राष्ट्र) दायित्वों तथा बाध्य दर प्रतिबद्धताओं दोनों का उल्लंघन करते हैं। डब्ल्यूटीओ के सदस्य देश को इन शुल्कों के खिलाफ डब्ल्यूटीओ के विवाद निपटान तंत्र का रुख करने का पूरा अधिकार है।
प्रश्न: भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार कितना है? उत्तर: वित्त वर्ष 2021-22 से 2023-24 तक अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था। भारत के कुल माल निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी करीब 18 प्रतिशत, आयात में 6.22 प्रतिशत और द्विपक्षीय व्यापार में 10.73 प्रतिशत है। भारत का 2023-24 में अमेरिका के साथ वस्तुओं में 35.32 अरब अमेरिकी डॉलर का व्यापार अधिशेष (आयात व निर्यात के बीच का अंतर) था। यह 2022-23 में 27.7 अरब अमेरिकी डॉलर, 2021-22 में 32.85 अरब अमेरिकी डॉलर, 2020-21 में 22.73 अरब अमेरिकी डॉलर और 2019-20 में 17.26 अरब अमेरिकी डॉलर था। अमेरिका को भारत के मुख्य निर्यात में 2024 में दवा निर्माण तथा जैविक (8.1 अरब अमेरिकी डॉलर), दूरसंचार उपकरण (6.5 अरब अमेरिकी डॉलर), कीमती व अर्ध-कीमती पत्थर (5.3 अरब डॉलर), पेट्रोलियम उत्पाद (4.1 अरब डॉलर), सोना तथा अन्य कीमती धातु के आभूषण (3.2 अरब डॉलर), सहायक उपकरण सहित सूती तैयार वस्त्र (2.8 अरब डॉलर) और लोहा व इस्पात के उत्पाद (2.7 अरब डॉलर) शामिल है। आयात में कच्चा तेल (4.5 अरब डॉलर), पेट्रोलियम उत्पाद (3.6 अरब डॉलर), कोयला, कोक (3.4 अरब डॉलर), तराशे व पॉलिश किए गए हीरे (2.6 अरब डॉलर), इलेक्ट्रिक मशीनरी (1.4 अरब डॉलर), विमान, अंतरिक्ष यान तथा कलपुज्रे (1.3 अरब अमेरिकी डॉलर) और सोना (1.3 अरब डॉलर) शामिल हैं।
अमेरिकी जवाबी शुल्क से भारत के जीडीपी पर 0.50 प्रतिशत का प्रभाव पड़ेगा : विशेषज्ञ
डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा घोषित जवाबी शुल्क से भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में 0.50 प्रतिशत तक घटकर छह प्रतिशत रह सकती है। साथ ही इससे अमेरिका को देश के निर्यात में दो से तीन प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। विशेषज्ञों ने यह राय जताई है। वित्तीय सेवा कंपनी ईवाई के मुख्य नीति सलाहकार डी के श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘भारत की जीडीपी वृद्धि पर अधिकतम प्रतिकूल प्रभाव 0.50 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा। हमारे पहले के अनुमान के अनुसार, चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि अनुमान 6.5 प्रतिशत था, जो बिना किसी प्रतिक्रिया के छह प्रतिशत तक कम हो सकता है।’’ स्टैंर्डड चार्टर्ड बैंक की भारत में शोध प्रमुख अनुभूति सहाय ने कहा, ‘‘हमारे विचार से अमेरिका को भारतीय निर्यात पर 20 प्रतिशत शुल्क वृद्धि (छूट प्राप्त वस्तुओं पर विचार करने के बाद) से भारत की जीडीपी पर 0.35-0.40 प्रतिशत का प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है। सहाय ने कहा, ‘‘हालांकि, अंतिम प्रभाव भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते पर निर्भर करेगा। इसके अलावा, प्रस्तावित शुल्क पर दोनों देशों में बातचीत पर भी अंतिम प्रभाव निर्भर करेगा।’’ उन्होंने कहा कि उच्च शुल्क दर लागू होने पर भारत के सकल घरेलू उत्पाद में हानि अवश्यंभावी है, लेकिन अन्य एशियाई अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत पर अपेक्षाकृत कम प्रभाव पड़ने की संभावना है, क्योंकि अन्य देश भारत की तुलना में उच्च शुल्क दरों से प्रभावित हुए हैं या विशेष रूप से गैर-छूट वाले क्षेत्रों में अमेरिका के साथ बड़ा व्यापार अधिशेष चला रहे हैं।ईवाई के श्रीवास्तव के अनुसार, अमेरिकी शुल्क वृद्धि से देश की विनिमय दर पर अनुकूल प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि मुद्रास्फीति में संभावित वृद्धि के कारण अमेरिका में डॉलर दबाव में आ सकता है।
भारत के लिए वैिक व्यापार और विनिर्माण में स्थिति मजबूत करने का अवसर: जीटीआरआई
आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा कि अमेरिका की ओर से चीन, वियतनाम, ताइवान, थाईलैंड और बांग्लादेश सहित कई एशियाई देशों पर उच्च जवाबी शुल्क लगाए जाने से भारत के लिए वैिक व्यापार और विनिर्माण में अपनी स्थिति मजबूत करने का अवसर पैदा हुआ है। जीटीआरआई ने कहा कि दवा, सेमीकंडक्टर, तांबा जैसी आवश्यक एवं रणनीतिक वस्तुओं और तेल, गैस, कोयला व तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) जैसे ऊर्जा उत्पादों को अमेरिका ने बुधवार को घोषित 27 प्रतिशत आयात शुल्क में छूट दी गई है जिनसे इन क्षेत्रों में भारत के लिए नए अवसर उत्पन्न हो सकते हैं। शोध संस्थान ने कहा कि अमेरिका की जवाबी शुल्क व्यवस्था भारत के लिए वैिक आपूर्ति श्रृंखला पुनर्गठन से लाभ प्राप्त करने में मुख्य स्रेत का काम कर सकती है। हालांकि, इन अवसरों का पूरा लाभ उठाने के लिए भारत को कारोबार करने में आसानी बढानी होगी, लॉजिस्टिक्स व बुनियादी ढांचे में निवेश करना होगा और नीतिगत स्थिरता कायम रखनी होगी। जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘ अगर ये कदम उठाए जाते हैं, तो भारत आने वाले वर्षों में एक प्रमुख वैिक विनिर्माण व निर्यात केंद्र बनने की स्थिति में होगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ ऐसी वस्तुएं हैं जिन पर कोई शुल्क नहीं लगेगा उनमें दवा, सेमीकंडक्टर, तांबा जैसी आवश्यक और रणनीतिक वस्तुएं और तेल, गैस, कोयला व एलएनजी जैसे ऊर्जा उत्पाद शामिल हैं।’’ जीटीआरआई ने कहा कि अमेरिका के चीन, वियतनाम, ताइवान, थाइलैंड और बांग्लादेश सहित कई एशियाई देशों पर उच्च जवाबी शुल्क लगाए जाने से भारत के लिए वैिक व्यापार व विनिर्माण में अपनी स्थिति मजबूत करने का अवसर उत्पन्न हुआ है। श्रीवास्तव ने कहा कि हालांकि, लाभ स्वत: प्राप्त नहीं होंगे तथा भारत को लाभ उठाने के लिए बड़े पैमाने पर उत्पादन, घरेलू मूल्य संवर्धन व प्रतिस्पर्धात्मकता सुधार के लिए गहन सुधारों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर 27 प्रतिशत, अपेक्षाकृत कम जवाबी शुल्क दर निर्धारित की है जबकि चीन पर 54 प्रतिशत, वियतनाम पर 46 प्रतिशत, बांग्लादेश पर 37 प्रतिशत तथा थाइलैंड पर 36 प्रतिशत शुल्क दर निर्धारित की गई है..‘‘भारत को कई प्रमुख क्षेत्रों में स्वाभाविक प्रतिस्पर्धात्मक लाभ प्राप्त हुआ है।’’ अमेरिका ने भारत पर 27 प्रतिशत का जवाबी शुल्क लगाने की दो अप्रैल घोषणा की। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन का मानना है कि अमेरिकी वस्तुओं पर भारत उच्च आयात शुल्क वसूलता है, ऐसे में अब देश के व्यापार घाटे को कम करने और विनिर्माण को बढावा देने के लिए यह कदम उठाना जरूरी था। इस कदम से अमेरिका को भारत के निर्यात पर असर पड़ने के आसार हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि भारत अपने प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में बेहतर स्थिति में है, जिन्हें हमसे अधिक शुल्क का सामना करना पड़ेगा।
भाषा निहारिका शोभना