PM MUDRA Yojana : विकसित भारत के वित्तपोषण की योजना

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Mr. Akhilesh Jha, Chief Controller of Accounts, M/o Rural Development.

PM MUDRA Yojana विकसित भारत के लक्ष्य में जितनी बड़ी भूमिका बड़े उद्यमों की है, उतनी ही महत्त्वपूर्ण भूमिका छोटे एवं मझोले उद्यमों की भी। समावेशी विकास, गाँवों-कस्बों में खेती से इतर रोजगार के अवसर के सृजन, किसानों के लिए मूल्य-संवर्धित सेवाओं के विकल्प और अर्थव्यवस्था में महिलाओं की अपेक्षित भागीदारी के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था में सबसे अपेक्षित पहल थी छोटे-मझोले उद्यमों के लिए सुलभ वित्तपोषण की। इस अपेक्षा को यथार्थ में बदला प्रधानमंत्री मुद्रा योजना ने, जो अपनी सफलता का आज पहला दशक पूरा कर रही है।

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PM MUDRA Yojana अबतक 52 करोड़ से अधिक ऋण दिए गए

2015 में शुरू हुई प्रधानमंत्री मुद्रा योजना PM MUDRA Yojana के तहत अबतक 52 करोड़ से अधिक ऋण दिए गए हैं। इस योजना ने भारतीय अर्थव्यवस्था को दस करोड़ से भी अधिक नए कारोबारी दिए हैं, जो प्रतिशत में 20 से भी अधिक हैं कुल ऋणलाभुकों के। इन नए कारोबारियों को दिया गया कुल ऋण दस लाख करोड़ से भी अधिक का है। ये आँकड़े न सिर्फ भारतीय उद्यम के बदलते चेहरे को दर्शाते हैं, बल्कि भारतीय बैंकिंग प्रणाली की प्रगतिशील सोच एवं पहुँच को भी दिखाती है।

1.12 करोड़ नए अतिरिक्त रोज़गार के अवसर सृजित हुए

इस योजना के तहत पचास हजार रुपए के ऋण से लेकर बीस लाख रुपए तक के ऋण न सिर्फ भारतीय बाजार में नए उद्यमों और नए उद्यमियों के लिए जगह बना रहा है, बल्कि रोजगार के लिए भी करोड़ों अवसर पैदा कर रहा है।श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के एक अध्ययन के मुताबिक वर्ष 2015 से 2018 के बीच तीन वर्षों में लगभग 1.12 करोड़ नए अतिरिक्त रोज़गार के अवसर सृजित हुए थे। इस दौरान लगभग 5.55 लाख करोड़ रुपए के ऋण दिए गए थे इस योजना के तहत। यदि इस सह-सम्बन्ध को अबतक दिए गए 32.40 लाख करोड़ के ऋण के अनुसार देखा जाए, तो पिछले एक दशक में लगभग  7 करोड़ अतिरिक्त रोजगार के अवसर सृजित हुए PM MUDRA Yojana प्रधान मंत्री मुद्रा योजना की वजह से।

35 करोड़ महिलाओं के खाते में ऋण दिए गए हैं

मुद्रा योजना ने न सिर्फ उद्यम का स्वरूप बदला है, उद्यमियों के भी प्रोफाइल में गुणात्मक परिवर्तन किए हैं। इस योजना के तहत लगभग 35 करोड़ महिलाओं के खाते में ऋण दिए गए हैं।इस तरह PM MUDRA Yojana मुद्रा योजना के तहत लाभार्थी उद्यमियों में महिलाओं का प्रतिशत दो तिहाई से भी अधिक है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के साथ-साथ भारतीय समाज-व्यवस्था में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी को भी इंगित करता है।

8.5 करोड़ SC, 3 Cr ST, 5.6 करोड़ उद्यमी अल्पसंख्यक

सामाजिक वर्गों के हिसाब से देखा जाए, तो इस योजना के तहत 8.5 करोड़ ऋण के खाते अनुसूचित जनजातियों के थे, लगभग 3 करोड़ अनुसूचित जनजातियों के और 14 करोड़ से भी अधिक खाते अन्य पिछले वर्ग के उद्यमियों के थे। इस योजना के तहत 5.6 करोड़ उद्यमी अल्पसंख्यक थे, जिन्हें लगभग 3 लाख करोड़ रुपए का ऋण बैंकों द्वारा दिया गया।

52 करोड़ बैंक खातों के लिए 33.19 लाख करोड़ रुपए के ऋण

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की सफलता एवं लोकप्रियता की वजह समझनी हो, तो एक आँकड़ा इसे सबसे बेहतर स्पष्ट कर देता है।PM MUDRA Yojana इस योजना के तहत 52 करोड़ बैंक खातों के लिए 33.19 लाख करोड़ रुपए के ऋण विभिन्न बैंकों द्वारा स्वीकृत किए गए 2015 से अभी तक। उस 33.19 लाख करोड़ रुपए की ऋण-स्वीकृति में से 32.40 लाख करोड़ रुपए के ऋण जारी किए जा चुके हैं। जाहिर है, इस योजना की निगरानी सभी स्तरों पर प्रभावी रूप में हो रही है।

‘शिशु’ श्रेणी में, अधिकतम ऋण 50000 रुपए

इस मुद्रा योजना ने भारतीय बाजार के स्वरूप को भी बड़े सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। इसे एक आँकड़े से समझा जा सकता है। इस योजना के ‘शिशु’ श्रेणी में, जिसमें अधिकतम ऋण 50000 रुपए का दिया जाता है, उसमें 2015-16 में ऋण का औसत आकार मात्र 19411 रुपए था, जो बीते साल में लगभग दुगुना हो गया-37400 रुपए। इस मुद्रा योजना के तहत ‘शिशु’ श्रेणी में ही तीन चौथाई से अधिक ऋण दिए गए हैं। इससे साफ स्पष्ट होता है कि बैंकों ने नए-नए उद्यमियों का स्वागत उद्यम-जगत् में किया है।

सबसे अधिक 5.91 करोड़ ऋण के खाते बिहार में

प्रधान मंत्री मुद्रा योजना ने भारतीय भूभाग के पूरे फैलाव को बड़े रोचक तरह से प्रभावित किया है। एक तरफ इसने पिछड़े राज्यों में नए उद्यमियों की पौध खड़ी की है, तो वहीं विकसित राज्यों में भी उद्यमियों का नए तरीक़े से वित्तपोषण किया है। इस योजना के तहत सबसे अधिक 5.91 करोड़ ऋण के खाते बिहार में हैं और उसके बाद 5.80 करोड़ खाते तमिलनाडु में।

यह विकसित भारत तक ले जानेवाला सोपान है

कहने की आवश्यकता नहीं कि प्रधान मंत्री मुद्रा योजना एक साथ कई लक्ष्यों का संधान कर रहा है। भारतीय अर्थव्यवस्था समावेशी हो रही है, उसमें महिलाओं की भूमिका निर्णायक हो रही है, गाँव एवं कस्बों का योगदान कृषि से इतर हो रहा है और रोजगार के नए और बड़े अवसर पैदा हो रहे हैं। मुद्रा योजना सिर्फ वित्तपोषण की योजना नहीं है, यह विकसित भारत तक ले जानेवाला सोपान है।

https://www.mudra.org.in

लेखक भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय एवं पंचायती राज मंत्रालय में मुख्य लेखा नियंत्रक हैं।

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