February 24, 2025 by News Man
यूट्यूब पर अश्लीलता और आपत्तिजनक (Youtube) सामग्री का प्रसार तेजी से बढ़ रहा है। इस बढ़ती समस्या को देखते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने संकेत दिया है कि हानिकारक कंटेंट को नियंत्रित करने के लिए नए कानूनी ढांचे नया कानून 2025 की जरूरत है और मौजूदा कानूनों की समीक्षा की जा रही है। आइए, इस मुद्दे को विस्तार से समझते हैं।
रणवीर अलाहाबादिया विवाद: यूट्यूब पर अश्लीलता का मामला
हाल ही में यूट्यूबर रणवीर अलाहाबादिया (Ranveer Allahabadia) और समय रैना (Samay Raina) के यूट्यूब शो India’s Got Latent में की गई अभद्र टिप्पणियों ने सोशल मीडिया पर तूफान खड़ा कर दिया। इन टिप्पणियों को लेकर जनता में गुस्सा फैल गया, जिसके बाद सरकार पर निगरानी बढ़ाने का दबाव बढ़ा। मंत्रालय ने संसदीय समिति को बताया कि डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर अश्लील और हिंसक सामग्री को दिखाने के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग हो रहा है। रणवीर की टिप्पणियों की निंदा करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें “गंदे दिमाग” की उपज करार दिया, जो समाज के लिए शर्मिंदगी का कारण बनी।
क्या हुआ?
- समय रैना और रणवीर अलाहाबादिया के शो में अश्लील डायलॉग्स और आपत्तिजनक जोक्स ने दर्शकों को नाराज किया।
- सोशल मीडिया पर #StopVulgarContent ट्रेंड करने लगा।
- रणवीर के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हुए, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी से राहत दी।
सरकार और सुप्रीम कोर्ट की सक्रियता
“सुप्रीम कोर्ट ने यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म्स पर बढ़ती अश्लीलता को लेकर सख्त रुख अपनाया और कहा, “यहां हर तरह की चीजें चल रही हैं, कानून में खामियां साफ दिखती हैं।” कोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए सरकार से ठोस कदम उठाने की अपील की। मंत्रालय ने संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी स्थायी समिति को बताया कि मौजूदा कानूनों में कुछ प्रावधान हैं, लेकिन अश्लीलता पर अंकुश के लिए सख्त नियमों की जरूरत है।
- समिति की मांग: 13 फरवरी को समिति ने मंत्रालय से पूछा कि नए मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर विवादास्पद कंटेंट को रोकने के लिए कौन से कानूनी संशोधन जरूरी हैं।
- राष्ट्रीय महिला आयोग का रुख: आयोग ने भी इस मुद्दे पर कड़ा ऐतराज जताया और कार्रवाई की मांग की।
अश्लीलता पर लगाम के लिए कानून में बदलाव
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कहा कि वह वर्तमान कानूनी प्रावधानों की समीक्षा कर रहा है और जल्द ही एक विस्तृत नोट पेश करेगा। भाजपा नेता निशिकांत दुबे की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने सरकार को पत्र लिखकर इस दिशा में तेजी लाने को कहा।
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क्यों जरूरी है नया कानून?
- पारंपरिक प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए विशिष्ट नियम हैं, लेकिन यूट्यूब और OTT प्लेटफॉर्म्स के लिए कोई साफ नियामक ढांचा नहीं है।
- सोशल मीडिया पर अश्लीलता बढ़ने से युवाओं और समाज पर बुरा असर पड़ रहा है।
- जनता और सांसदों की शिकायतों के बाद सरकार पर दबाव बढ़ा है।
सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स की जिम्मेदारी
रणवीर अलाहाबादिया जैसे इन्फ्लुएंसर्स की हरकतों ने यह सवाल उठाया कि क्या लोकप्रियता के नाम पर अश्लीलता को बढ़ावा देना जायज है? विशेषज्ञों का मानना है कि इन्फ्लुएंसर्स को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए, क्योंकि उनकी पहुंच लाखों लोगों तक है।
क्या करें पाठक?
- ऐसी सामग्री की रिपोर्ट करें।
- सरकार से सख्त कानून की मांग करें।
- सोशल मीडिया पर जागरूकता फैलाएं।
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निष्कर्ष
यूट्यूब और सोशल मीडिया पर बढ़ती अश्लीलता ने समाज को झकझोर दिया है। रणवीर अलाहाबादिया और समय रैना का विवाद इसका ताजा उदाहरण है। सरकार और सुप्रीम कोर्ट के कदमों से उम्मीद है कि जल्द ही सख्त कानून आएगा। आप इस बारे में क्या सोचते हैं? नीचे कमेंट करें और इस लेख को शेयर करें!