Baku यूरोपीय यूनियन विकासशील देशों के उत्पादों पर पर्यावरण टैक्स लगाना चाहता है। भारत ने इस पर प्रस्ताव का घोर विरोध किया। भारत की इस मुहिम में चीन और ब्राजील समेत 134 देशों को साथ मिल गया है।
Baku अतिरिक्त 25 प्रतिशत कर लगाएगा।
Baku सीबीएएम भारत से ईयू को निर्यात किए जाने वाले कार्बन-गहन सामानों पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत कर लगाएगा। यह कर भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 0.05 प्रतिशत होगा। इसी तरह से विकसित देशों को भी निर्यात किये जाने वाले वस्तुओं पर टैक्स वसूला जाएगा।
अजरबैजान के बाकू शहर में हो रहे जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) unfccc cop29 में पक्षकारों की 29 वीं बैठक कोप-29 में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के उद्देश्य से यूरोपीय यूनियन ने विकासशील देशों के उत्पादों पर टैक्स लगाने की बात कही। इस प्रस्ताव से विकासशील देशों के उत्पाद महंगे हो जाएंगे,जिसके कारण उन्हें बाजार नहीं मिलेगा।
बेसिक (ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, भारत और चीन) देशों ने इसका घोर विरोध किया है और फिर विकासशील देशों के समूह जी-77 ने भी इसका विरोध किया। कुल 134 देशों ने एक जुट होकर इसका विरोध किया। जिसपर यूरोपीय संघ ने कहा कि इस मुद्दे को वि व्यापार संगठन (डब्लूटीओ) की बैठक में उठाना चाहिए।
भारत की तरफ से मुख्य वार्ताकार नरेश पॉल ने स्पष्ट पर तौर पर चेतावनी दी कि यूरोपीय यूनियन संरक्षण वाद को बढ़ावा दे रहा है और एकतरफ व मनमाने तरीक से अनुचित एकपक्षीय उपाय कर रहा है। उन्होंने कहा ये उपाय निर्यात-आधारित विकास के माध्यम से औद्योगीकरण की मांग करने वाले देशों के साथ भेदभाव करते हैं। इससे इन देशों में निर्यात की लागत बढ़ जाएगी।
पेरिस समझौते में कहा गया था कि विकसित देश विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को अनिवार्यरूप से पर्याप्त प्रौद्योगिकी और वित्त पोषित करेंगे। लेकिन इन देशों ने पेरिस समझौते का पालन नहीं किया। उल्टा पर्यावरण टैक्स लगाने का प्रस्ताव कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि विकसित देश पीड़ितों से ही भुगतान करने को कह रे हैं। जलवायु परिवर्तन प्रतिक्रियाओं के नाम पर कोई भी एकतरफा उपाय विकासशील देशों के प्रति भेदभावपूर्ण और बहुपक्षीय सहयोग के लिए हानिकारक हैं। वे समानता के सिद्धांतों और सीबीडीआर-आरसी और यूएनएफसीसीसी प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं।
भारत का पक्ष रखते हुए उन्होंने कहा यह आश्चर्य की बात नहीं है कि हमारे पास यूएनएफसीसीसी में अनुच्छेद 3.5 है जिसे पिछले साल जीएसटी निर्णय में पैरा 154 में भी दोहराया गया है। और आज हम देखते हैं कि इन प्रावधानों को लागू करने वाले एकतरफा उपायों पर चर्चा की आवश्यकता है।
भारत ने कहा जलवायु परिवर्तन से संबंधित व्यापार उपायों का सतत विकास और गरीबी उन्मूलन के प्रयासों के संदर्भ में न्यायसंगत और उचित बदलावों पर उनके संभावित प्रभाव के लिए मूल्यांकन किया जाना चाहिए। चीन ने ‘बेसिक’ समूह की ओर से पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र जलवायु निकाय को एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया था, जिसमें अनुरोध किया गया था कि इस वर्ष के सीओपी में एकतरफा व्यापार उपायों के मुद्दे पर ध्यान दिया जाए।