Bandhavgarh Elephent मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ Bandhavgarh राष्ट्रीय उद्यान के आसपास के गांवों में हाथियों Elephant और ग्रामीणों के बीच जंग की हालात पैदा हो गया है। बांधवगढ़ में हाथियों ने ग्रामीणों के बाजरे की खेती नष्ट की और एक व्यक्ति को कुचल दिया तो ग्रामीणों ने बदला लेने की योजना बनायी। वन विभाग ने आशंका जतायी जा रही है कि स्थानीय लोगों ने बदला लेने के लिए हाथियों को जहर दे दिया है। मरे हाथियों के पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जहर देने की आंशका व्यक्त की गयी है । 13 हाथियों के झुंड में से 10 हाथियों की मौत हो गयी है। इस विवाद को देखते हुए केंद्र सरकार और राज्य सरकार जांच कमेटी का गठन किय है। बाजरा की खेती को नुकसान पंहुचाने के कारण उन्हें जहर दिये जाने की आशंका है।
Bandhavgarh Elephent जंगली हाथियों ने कुचल दिया
बांधवगढ टाइगर रिजर्व (बीटीआर) के बफर जोन के बाहर शनिवार को जंगली हाथियों के हमले में एक बुजुर्ग व्यक्ति की मौत हो गई। मृतक की पहचान रामरतन यादव (65) के रूप में हुई है। बीटीआर के अधिकारी ने बताया, आज सुबह जब वह रिजर्व के बाहर शौच के लिए गए थे तो जंगली हाथियों ने उन्हें कुचल दिया। उमरिया के मंडल वन अधिकारी (डीएफओ) विवेकंिसह ने बताया कि यह घटना देवरा गांव में हुई।
13 में से तीन ही हाथी बचे
इस सप्ताह की शुरुआत में तीन दिनों के अंतराल में बीटीआर में दस हाथियों की मौत हो चुकी है। मंगलवार को रिजर्व (बीटीआर) के खितोली रेंज के अंतर्गत सांखनी और बकेली में चार जंगली हाथी मृत पाए गए, जबकि बुधवार को चार और बृहस्पतिवार को दो की मौत हो गई। अधिकारियों ने पहले बताया था कि 13 सदस्यीय झुंड में से अब केवल तीन हाथी ही जीवित हैं। बीटीआर के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि झुंड के शेष तीन हाथी कटनी जिले के वन क्षेत्र की ओर बढते देखे गए। वन अधिकारी ने कहा, यह गतिविधि असामान्य है क्योंकि बीटीआर में पहले कभी ऐसा नहीं देखा गया है। बीटीआर पूर्वी मध्यप्रदेश के उमरिया और कटनी जिलों में फैला हुआ है।
केंद्र ने हाथियों की मौत की जांच शुरू की
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के वन्यजीव अपराध नियंतण्रब्यूरो ने मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में दस हाथियों की मौत की जांच के लिए एक टीम का गठन किया है। टीम मामले की स्वतंत्र जांच करेगी। मध्य प्रदेश सरकार ने भी मामले की जांच करने और सरकार को रिपोर्ट सौंपने के लिए पांच सदस्यीय राज्य स्तरीय समिति का गठन किया है। पांच सदस्यीय समिति का नेतृत्व एपीसीसीएफ (वन्यजीव) कर रहे हैं। समिति में नागरिक समाज, वैज्ञानिक और पशु चिकित्सक से सदस्य हैं। मामले की जांच राज्य टाइगर स्ट्राइक फोर्स (एसटीएसएफ) के प्रमुख द्वारा भी की जा रही है। एसटीएसएफ ने जंगलों और आस-पास के गांवों की तलाशी ली है और घटना के बारे में गहन जांच कर रही है।
अधिकारियों ने बांधवगढ़ में डेरा डाला
प्रधान मुख्य वन संरक्षक और मुख्य वन्यजीव वार्डन, मध्य प्रदेश बांधवगढ़ में डेरा डाले हुए हैं और मामले में की जा रही जांच और कार्रवाई की निगरानी कर रहे हैं। दूसरी ओर, अतिरिक्त वन महानिदेशक (प्रोजेक्ट टाइगर एंड एलीफेंट) और सदस्य सचिव, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण, एआईजी एनटीसीए, नागपुर के साथ, घटनास्थल का दौरा कर राज्य के अधिकारियों के साथ विभिन्न संबंधित मुद्दों और हाथियों की मौत के संभावित कारणों पर चर्चा की है।
क्या जहर दिया गया है ?
मध्य प्रदेश राज्य के संबंधित अधिकारियों द्वारा साझा की गई प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, हाथियों की मौत जहर के कारण हो सकती है। मौत का अंतिम कारण जांच, विस्तृत पोस्टमार्टम रिपोर्ट, हिस्टोपैथोलॉजिकल और टॉक्सिकोलॉजिकल रिपोर्ट के परिणामों और अन्य पुष्टिकरण साक्ष्यों के माध्यम से ही पता लगाया जाएगा। इसके अलावा, राज्य के अधिकारियों द्वारा ऐसी घटनाओं की संभावनाओं को रोकने के लिए निवारक उपाय किए जा रहे हैं और बांधवगढ़ रिजर्व में और उसके आसपास के अन्य हाथियों के झुंडों की निगरानी बढ़ा दी गई है, जैसा कि अधिकारियों द्वारा सूचित किया गया है।
क्या है मामला
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के गश्ती दल ने 29.10.24 को मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के पटौर और खियातुली रेंज के सलखिनया बीट में चार हाथियों की मौत का पता लगाया। आस-पास के इलाकों की और तलाशी लेने पर, आसपास के इलाकों में छह और हाथी बीमार या बेहोश पाए गए। फील्ड स्टाफ और स्थानीय पशु चिकित्सा अधिकारियों ने बीमार हाथियों का इलाज शुरू किया, जिसमें स्कूल ऑफ वाइल्डलाइफ फोरेंसिक एंड हेल्थ (एसडब्ल्यूएफएच) के पशु चिकित्सकों की एक टीम ने भी सहयोग किया। एसडब्ल्यूएफएच के सेवानिवृत्त प्रमुख डॉ. ए.बी. श्रीवास्तव की सेवाएं भी ली गई। भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई), देहरादून के पशु चिकित्सक और संकाय की राय भी ली गई।
बाजरा की फसल पर हमला किया था
हालांकि, 30.10.24 को चार बीमार हाथियों की मौत हो गई। इसके अलावा, लगातार दवा और उपचार के बाद भी, शेष दो बीमार और बेहोश हाथियों ने 31.10.24 को अपनी जान गंवा दी। उन मृत दस हाथियों में से एक नर और नौ मादा थीं। इसके अलावा, दस मृत हाथियों में से छह किशोर/अवयस्क और चार वयस्क थे। जानकारी से पता चला कि तेरह हाथियों के झुंड ने जंगल के आसपास कोदो बाजरा की फसल पर हमला किया था। दस हाथियों का पोस्टमार्टम 14 पशु चिकित्सकों/वन्यजीव पशु चिकित्सकों की टीम ने किया। पोस्टमार्टम के बाद विसरा 01.11.24 को विष विज्ञान और हिस्टोपैथोलॉजिकल जांच के लिए आईवीआरआई इज्जतनगर, बरेली और एफएसएल, सागर भेजा गया है। हालांकि, बीमार हाथियों के इलाज के दौरान रक्त और अन्य नमूने 30.10.24 को भेजे गए थे, जिसमें प्रथम दृष्टया भेजे गए नमूनों में विषाक्त पदार्थों की उपस्थिति का संकेत मिला है।
इनपुट -पीटीआई/पीआईबी