Bulldozer : योगी के बुल्डोजर पर सुप्रीम कोर्ट का ब्रेक

Bulldozer : सुप्रीम कोर्ट Supreme Court ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ Yogi Adityanath के बुल्डोजर न्याय पर ब्रेक लगा दिया है। कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कार्यपालिका का काम न्याय देना नहीं है। ये काम कोर्ट का है। उन्होंने कहा, अब कोई बुल्डोजर नहीं चलाएगा। जो अधिकारी बुल्डोजर चलाएगा, उसकी जेब से घर बनाया जाएगा। कोर्ट ने बुल्डोजर चलाने को लेकर दिशा-निर्देश जारी किया हैं।

Bulldozer कार्यपालक न्यायाधीश नहीं हो सकता

Bulldozer कार्यपालक अधिकारी न्यायाधीश नहीं हो सकते, वे आरोपी को दोषी करार नहीं दे सकते और उसका घर नहीं गिरा सकते। न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विनाथन की पीठ ने कहा, यदि कार्यपालक अधिकारी किसी नागरिक का घर मनमाने तरीके से सिर्फ इस आधार पर गिराते हैं कि उस पर किसी अपराध का आरोप है तो यह कानून के सिद्धांतों के विपरीत है। पीठ ने अनेक निर्देश पारित करते हुए कहा, कारण बताओ नोटिस जारी किए बिना (संपत्ति) ढहाने की कोई भी कार्रवाई नहीं की जाएगी। इस नोटिस का जवाब स्थानीय नगरपालिका कानून के अनुरूप निर्धारित अवधि में देना होगा या फिर नोटिस जारी करने के 15 दिन के भीतर देना होगा।

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि यह पूरी तरह असंवैधानिक होगा कि लोगों के मकान सिर्फ इसलिए ध्वस्त कर दिए जाएं कि वे आरोपी या दोषी हैं। न्यायमूर्ति गवई ने फैसला सुनाते हुए कहा कि कार्यपालक अधिकारी अपने कार्य के निष्पादन में न्यायपालिका का स्थान नहीं ले सकते। पीठ ने कहा, यदि कार्यपालक अधिकारी न्यायाधीश की तरह काम करते हैं और किसी नागरिक पर इस आधार पर मकान ढहाने का दंड लगाते हैं कि वह आरोपी है, तो यह शक्तियों के विभाजन के सिद्धांत का उल्लंघन है।

कोर्ट ने अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल किया

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य के अधिकारियों की ओर से शक्तियों के मनमाने प्रयोग के संबंध में नागरिकों के मन में व्याप्त आशंकाओं को दूर करने के लिए, हम संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए कुछ निर्देश जारी करना आवश्यक समझते हैं। अनुच्छेद 142 सर्वोच्च न्यायालय को उसके समक्ष लंबित किसी भी मामले में पूर्ण न्याय करने के लिए आवश्यक कोई भी ‘डिक्री’ या आदेश पारित करने का अधिकार देता है।
पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ढहाने का आदेश पारित होने के बाद भी प्रभावित पक्षों को कुछ समय दिया जाना चाहिए ताकि वे उचित मंच पर आदेश को चुनौती दे सकें। न्यायालय ने कहा कि ऐसे मामलों में भी जहां लोग ध्वस्तीकरण आदेश का विरोध नहीं करना चाहते हैं उन्हें घर खाली करने और अन्य व्यवस्थाएं करने के लिए पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए।

कोर्ट ने कहा यह अच्छा नहीं लगता कि महिलाओं, बच्चों और बीमार व्यक्तियों को रातों-रात सड़कों पर ला दिया जाए। यदि अधिकारी कुछ वक्त के लिए रुक जाएं तो आसमान नहीं टूट पड़ेगा पीठ ने निर्देश दिया कि मालिक को पंजीकृत डाक से नोटिस भेजा जाए और इसके अतिरिक्त नोटिस को संपत्ति के बाहरी हिस्से पर भी चिपकाया जाएगा। पीठ ने स्पष्ट किया कि उसके निर्देश उन मामलों में लागू नहीं होंगे जहां सड़क, गली, फुटपाथ, रेलवे लाइन या किसी नदी या जल निकाय जैसे किसी सार्वजनिक स्थान पर कोई अनधिकृत संरचना है और उन मामलों में भी लागू नहीं होंगे जहां न्यायालय ने ध्वस्तीकरण का आदेश दिया है।

वीडियोग्राफी करायी जाए

पीठ ने निर्देश दिया कि विध्वंस की कार्यवाही की वीडियोग्राफी कराई जाए। इसने कहा कि संविधान और आपराधिक कानून के आलोक में अभियुक्तों और दोषियों को कुछ अधिकार और सुरक्षा उपाय प्राप्त हैं। उच्चतम न्यायालय ने देश में संपत्तियों को ढहाने के लिए दिशानिर्देश तय करने के अनुरोध वाली याचिकाओं पर यह व्यवस्था दी। न्यायालय ने इस मामले में एक अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। कई याचिकाओं में आरोप लगाया गया कि कई राज्यों में आरोपियों सहित अन्य की संपत्तियों को ध्वस्त किया जा रहा है।

माकपा ने न्यायालय के फैसले का स्वागत किया

मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी नेता वृंदा करात ने बुलडोजर कार्रवाई पर उच्चतम न्यायालय के फैसले का बुधवार को स्वागत करते हुए कहा कि मैं उच्चतम न्यायालय के उस फैसले का स्वागत करती हूं, जिसमें ‘बुलडोजर’ कार्रवाई को अवैध और दुर्भावनापूर्ण बताया गया है। मैं चाहती थी कि यह फैसला पहले आ जाता, क्योंकि इससे भाजपा के नेतृत्व वाले राज्यों में कई घरों को बुलडोजर चलाकर तोड़ने की नौबत नहीं आती।

बुलडोजर का आतंक खत्म होगा

बुलडोजर की कार्रवाई पर उच्चतम न्यायालय की रोक के बाद बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने उम्मीद जताई कि अब निश्चित रूप से ‘‘बुलडोजर का आतंक’’ खत्म होगा, जबकि प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि इस आदेश से प्रदेश में जंगल राज खत्म होगा। समाजवादी पार्टी ने भी उच्चतम न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि बुलडोजर की कार्रवाई पूरी तरह अन्यायपूर्ण, अनुचित, गैर संवैधानिक और अवैध थी।

ओवैसी ने न्यायालय के निर्देशों का स्वागत किया

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बुलडोजर न्याय पर उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का बुधवार को स्वागत करते हुए दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहले ’बुलडोजर राज’ का महिमामंडन किया था, जिसे शीर्ष अदालत ने कानून के विपरीत बताया।

इनपुट पीटीआई

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