CAG report : 25 फरवरी 2025 को दिल्ली विधानसभा में उस समय हलचल मच गई, जब मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता Rekha Gupta ने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट ने आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार के कार्यकाल में लागू विवादास्पद आबकारी नीति में गंभीर खामियों को उजागर किया है, जिसके चलते दिल्ली सरकार को 2000 करोड़ रुपये से अधिक का भारी नुकसान हुआ। ‘दिल्ली में शराब के नियमन और आपूर्ति पर प्रदर्शन ऑडिट’ शीर्षक वाली यह रिपोर्ट विधानसभा सत्र के दूसरे दिन पेश की गई, जब विपक्ष की नेता आतिशी सहित AAP के 12 विधायकों को निलंबित किया गया था।
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CAG report की प्रमुख बातें
CAG रिपोर्ट ने 2021-22 की आबकारी नीति को लेकर कई गंभीर सवाल उठाए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, इस नीति की खामियों के कारण दिल्ली सरकार को 2000 करोड़ रुपये से ज्यादा का आर्थिक नुकसान हुआ। रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष इस प्रकार हैं:
- विशेषज्ञ सलाह की अनदेखी: रिपोर्ट में तत्कालीन उपमुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया पर नीति के लिए गठित विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया गया है। इस लापरवाही ने अनियमितताओं की नींव रखी।
- आबकारी विभाग की नाकामी: शराब लाइसेंस वापसी और शराब जोन की निविदाओं को दोबारा जारी करने में आबकारी विभाग की विफलता के कारण 890.15 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
- कोविड-19 के नाम पर अनधिकृत छूट: कोविड-19 प्रतिबंधों के बहाने शराब दुकानों के लाइसेंस धारकों को 144 करोड़ रुपये की छूट दी गई, जो नियमों के खिलाफ थी। वित्त विभाग की आपत्तियों के बावजूद सिसोदिया ने व्यक्तिगत तौर पर इसे मंजूरी दी।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: आलोचना और जवाबदेही
रिपोर्ट के पेश होने के बाद राजनीतिक गलियारों में तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने AAP की पूर्व सरकार पर 2017-18 के बाद CAG रिपोर्ट को दबाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “यह हैरान करने वाला है कि राज्य की वित्तीय स्थिति को समझने के लिए जरूरी इन रिपोर्ट्स को जानबूझकर छिपाया गया, जो संविधान का उल्लंघन है।” गुप्ता ने बताया कि दिल्ली हाई कोर्ट ने भी इस मामले में सख्त टिप्पणियां की थीं।
उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने अपने अभिभाषण में पारदर्शिता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने पहली कैबिनेट बैठक में ही CAG रिपोर्ट को विधानसभा में पेश करने का फैसला लिया था। “इससे पूर्व सरकार की कमियां सामने आई हैं और सुधार का रास्ता खुला है,” सक्सेना ने कहा। उन्होंने भ्रष्टाचार मुक्त शासन, महिलाओं के सशक्तिकरण, दिल्ली की सफाई, यमुना की स्वच्छता और स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता दोहराई।
दूसरी ओर, दिल्ली BJP अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने AAP नेताओं अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह से जवाब मांगा। सांसदों मनोज तिवारी और प्रवीण खंडेलवाल के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सचदेवा ने इसे “2002.68 करोड़ रुपये का घोटाला” करार दिया और AAP पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। “CAG रिपोर्ट ने AAP की करतूतों का पर्दाफाश कर दिया है,” उन्होंने कहा।
विधानसभा में हंगामा
सत्र के दूसरे दिन AAP विधायकों ने उपराज्यपाल के अभिभाषण के दौरान हंगामा किया। उनका आरोप था कि मुख्यमंत्री कार्यालय से बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की तस्वीर हटा दी गई। बार-बार अपील के बावजूद हंगामा न रुकने पर अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने 12 AAP विधायकों को दिनभर के लिए निलंबित कर दिया।
निष्कर्ष
CAG रिपोर्ट ने दिल्ली की आबकारी नीति को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। यह न केवल वित्तीय नुकसान की कहानी बयान करती है, बल्कि प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी को भी उजागर करती है। अब सवाल यह है कि क्या AAP इन आरोपों का जवाब देगी, या यह मामला राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तक सीमित रह जाएगा? दिल्ली की जनता इस घोटाले की सच्चाई और इसके जिम्मेदारों पर कार्रवाई की प्रतीक्षा में है।