Car scrap : 10, 15 साल में नहीं,प्रदूषण फैलाने पर वाहनों को किया जाएगा सड़क से बाहर डीजल के वाहनों की उम्र 10 साल और पेट्रोल बाहनों की उम्र 15 साल के बजाए तब तक रहेगी जब तक कि वह प्रदूषण pollution नहीं फैलाती। इस बारे में प्रधानमंत्री कार्यालय में विचार विमर्श शुरू हो गया है।
Car scrap : 10, 15 साल में नहीं,प्रदूषण फैलाने पर वाहनों को किया जाएगा सड़क से बाहर क्या आटो मोबाइल लॉबी का खेल है?
भारत में यूरो-4 और यूरो-6 पण्राली लागू होने के बाद वाहन प्रदूषण कम फैलाते हैं। लेकिन फिर भी नई जैसी कारों को कबाड़ में बेचना पड़ता है। कुछ लोग तो 15 साल में एक लाख किलोमीटर कार भी नहीं चलाते, लेकिन उन्हें भी अपनी कार कबाड़ के रेट में बेचनी पड़ती है।
प्राकृतिक संसाधनों पर पड़ता है असर
एक बाहन बनाने में 21 तरह से प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करना पड़ता है। लोहा, स्टील, प्लास्टिग, कांच, रबड़ से लेकर अन्य सामान धरती से लिये जाते हैं। अच्छी खासी कार को कबाड़ में बेचकर धरती को प्रदूषित किया जा रहा है और दूसरी तरफ प्राकृतित संसाधनों का गलत तरीके से दोहन किया जा रहा है।
वाहन स्क्रै¨पग से वाहनों की बढ़ सकती 18 प्रतिशत बिक्री
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि यदि वाहन स्क्रै¨पग नीति पर ठीक से काम किया जाए और ऑटो निर्माता खुद वाहन स्क्रै¨पग केंद्र स्थापित करते हैं तो 18 प्रतिशत की बिक्री बढ़ोतरी दर्ज कर सकते हैं।
अमरीका और यूरोप में बिक्री बढ़ी
गडकरी ने कहा कि यूरोप और अमेरिका में जहां ऑटोमेकर ओईएम समर्थित वाहन स्क्रै¨पग केंद्र स्थापित करके क्रमश: 12 प्रतिशत और 15 प्रतिशत बिक्री बढ़ोतरी दर्ज करने में सक्षम रहे हैं। भारतीय ऑटो निर्माता 18 प्रतिशत बिक्री बढ़ोतरी देख सकते हैं, अगर वे स्क्रै¨पग केंद्र स्थापित करते हैं।
ज्ञान को धन में बदलने की जरूरत
गडकरी ने कहा ज्ञान को धन में बदलने की जरूरत है। हमारी स्क्रै¨पग नीति के लिए हमें आपका सहयोग चाहिए। आज मेरा सुझाव है कि अमेरिका और यूरोप में स्क्रै¨पग सभी के लिए फायदेमंद है। भारत में तीन करोड़ ऐसे वाहन हैं जिनका जीवनकाल पूर्ण हो चुके हैं। हमें फिटनेस और स्क्रै¨पग केंद्रों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। निर्माता स्क्रैप सामग्री से फायदा कमा सकते हैं, यह सभी के लिए लाभदायक है।
बायोफ्यूल वायु प्रदूषण फैला रहा है
उन्होंने कहा कि भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग में दुनिया का सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल मैन्युफेश्ररिंग केंद्र बनाने की क्षमता है। 40 प्रतिशत तक वायु प्रदूषण जीवाश्म ईंधन वाहनों से आता है। सरकार क्लीन फ्यूल टेक्नोलॉजी (स्वच्छ ईंधन प्रौद्योगिकी) पर जोर दे रही है।
हम 2070 तक कार्बन न्यूट्रल होना चाहते हैं
उन्होंने कहा, ‘‘मैं पेट्रोल और डीजल के खिलाफ नहीं हूं लेकिन सेहत के नजरिए से हमें अपने लोगों को वायु प्रदूषण से बचाने की जरूरत है। अगर हम 2070 तक कार्बन न्यूट्रल होना चाहते हैं तो हमें इस मुद्दे पर गंभीरता से सोचना होगा। भारत में 40 प्रतिशत प्रदूषण परिवहन क्षेा की वजह से है। हमें अर्थव्यवस्था को डिकार्बनाइज करने के बारे में सोचना चाहिए। डीजल की कार सेल्स अब कुल वॉल्यूम का सिर्फ 18 प्रतिशत रह गईं हैं। 2014 में ये आंकड़ा 40 प्रतिशत था।
उन्होंने कहा कि देश का सीएनजी वाहन बाजार 8 लाख करोड़ रुपये का है। भारत गैस-बेस्ड इकोनॉमी बनाने पर फोकस कर रहा है। 2030 तक 20,000 सीएनजी स्टेशन लगाने का लक्ष्य है। अब डीजल में 15 प्रतिशत इथेनॉल मिशण्रकिया जा सकता है जिससे ट्रकिंग फ्यूल की लागत घटती है।
3 करोड़ वाहन कबाड़ में जाने को तैयार
उन्होंने कहा कि देश को 5 लाख करोड़ डॉलर इकोनॉमी बनाने में ऑटो सेक्टर की सबसे अहम भूमिका है। ऑटो सेक्टर को सभी सेगमेंट में दुनिया में सबसे बड़ा बनने का लक्ष्य रखना चाहिए। उन्होंने कहा मैं कचरे को धन में बदलने पर विास करता हूं। मैं ऑटो इंडस्ट्री से व्हीकल स्क्रैपेज पॉलिसी पर सहयोग चाहता हूं। सियाम सदस्य पुरानी के बदले नई गाड़ी पर 3 प्रतिशत छूट देने पर राजी हैं। भारत में ऐसे 3 करोड़ वाहन मौजूद हैं, जो खत्म होने की कगार पर हैं।
30 लाख ईवी रजिस्टर हुए
उन्होंने कहा कि मार्च में समाप्त वित्त वर्ष तक भारत में 30 लाख ईवी रजिस्टर हुए हैं। इसमें 45 प्रतिशत की वृद्धि हुयी है। भारत की ईवी इंडस्ट्री वित्त वर्ष 30 तक 1 करोड़ यूनिटों तक पहुंच जायेगी। इससे लाखों नौकरियां पैदा हुईं हैं। वित्त वर्ष 30 तक ईवी फाइनेंस मार्केट 4 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है।