
केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF), 10 मार्च 1969 को स्थापित, भारतीय सुरक्षा व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। इस बल का उद्देश्य देश के महत्वपूर्ण औद्योगिक प्रतिष्ठानों, हवाई अड्डों, परमाणु संयंत्रों, मेट्रो स्टेशनों और अन्य राष्ट्रीय परिसंपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। अत्याधुनिक तकनीक, कठोर प्रशिक्षण और अनुशासन के साथ, CISF देश की सुरक्षा को अभेद्य बना रहा है।
CISF की विशेषज्ञता केवल औद्योगिक सुरक्षा तक ही सीमित नही है। यह आतंकवाद विरोधी अभियानों, साइबर सुरक्षा, आपदा प्रबंधन और राष्ट्रीय परिसंपत्तियों की सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह बल देश के 66 से अधिक हवाई अड्डों, परमाणु संयंत्रों, अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्रों, मेट्रो नेटवर्क और सरकारी प्रतिष्ठानों की सुरक्षा करता है।
इसके अलावा, CISF महत्वपूर्ण सरकारी और निजी क्षेत्र के औद्योगिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा में भी तैनात है, जिनमें इस्पात संयंत्र, तेल रिफाइनरियां, बंदरगाह, जलविद्युत और थर्मल पावर प्लांट शामिल हैं। बल की उपस्थिति देश के महत्वपूर्ण रक्षा अनुसंधान केंद्रों और अंतरिक्ष परियोजनाओं जैसे इसरो (ISRO) और डीआरडीओ (DRDO) तक भी है, जो इसे रणनीतिक रूप से और भी महत्वपूर्ण बनाता है।
CISF का डॉग स्क्वाड दुनिया के सबसे उन्नत सुरक्षा बलों में से एक माना जाता है। यह विस्फोटकों और अन्य संदिग्ध सामग्रियों की पहचान में अत्यधिक कुशल है। साथ ही, CISF स्मार्ट सर्विलांस सिस्टम, बायोमेट्रिक सिस्टम, बॉडी स्कैनर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग करता है, जिससे किसी भी संभावित खतरे का प्रभावी ढंग से मुकाबला किया जा सकता है।
CISF न केवल सुरक्षा का प्रतीक है, बल्कि महिला सशक्तिकरण का भी एक महत्वपूर्ण उदाहरण बन चुका है। इस बल में 7% से अधिक महिलाएं कार्यरत हैं, जो इसे केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) में महिला भागीदारी के मामले में अग्रणी बनाता है। 2024 के गणतंत्र दिवस पर, पहली बार CISF की महिला बैंड टुकड़ी और महिला कमांडो टुकड़ी ने कर्तव्य पथ पर मार्च किया। इस ऐतिहासिक परेड का नेतृत्व असिस्टेंट कमांडेंट तन्मयी मोहंती ने किया था। यह प्रदर्शन केवल एक परेड नहीं थी, बल्कि यह भारतीय महिलाओं की शक्ति, स्वतंत्रता और दृढ़ निश्चय का प्रतीक थी। इसने यह प्रमाणित किया कि महिलाएं भारतीय सुरक्षा बलों में पुरुषों के समान योगदान देने में पूरी तरह सक्षम हैं।
इसके अतिरिक्त, नवंबर 2024 में गृह मंत्रालय ने CISF की पहली ‘ऑल-वुमेन बटालियन’ की स्थापना को मंजूरी दी। इसमें 1,025 महिला कमांडो शामिल हुई, जिन्हें हवाई अड्डों, मेट्रो स्टेशनों, औद्योगिक प्रतिष्ठानों और वीआईपी सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में तैनात किया जाएगा।
CISF का विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम इसे अन्य सुरक्षा एजेंसियों से अलग बनाता है। इसमें जवानों को क्राउड कंट्रोल, एंटी-टेरर ऑपरेशंस, बायोमेट्रिक सिक्योरिटी, साइबर सुरक्षा, और उच्च स्तरीय खुफिया विश्लेषण का प्रशिक्षण दिया जाता है। इस प्रशिक्षण का केंद्र राष्ट्रीय औद्योगिक सुरक्षा अकादमी (NISA) है, जो हैदराबाद में स्थित है। यह अकादमी उन्नत सुरक्षा तकनीकों, शारीरिक फिटनेस, आपदा प्रबंधन और औद्योगिक सुरक्षा उपायों पर विशेषज्ञ प्रशिक्षण प्रदान करती है।
NISA केवल भारत ही नहीं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी सुरक्षा एजेंसियों को प्रशिक्षण देने के लिए प्रसिद्ध है। यहां न केवल CISF के अधिकारी, बल्कि अन्य देशों के सुरक्षा बलों के कर्मियों को भी विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है। आधुनिक सुरक्षा चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, NISA ने हाल ही में ड्रोन विरोधी रणनीति, साइबर सुरक्षा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित निगरानी प्रणालियों पर विशेष मॉड्यूल तैयार किए हैं।
2004 में, संयुक्त राष्ट्र के अनुरोध पर, CISF ने अफगानिस्तान में भारतीय दूतावास और अन्य महत्वपूर्ण संस्थानों की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी निभाई थी। यह बल वैश्विक स्तर पर भी अपनी दक्षता के लिए जाना जाता है।
CISF आपदा प्रबंधन और आपातकालीन सेवाओं में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कोविड-19 महामारी के दौरान, CISF कर्मियों ने लॉकडाउन के समय हवाई अड्डों और सार्वजनिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित की।
CISF की दक्षता केवल भारत तक सीमित नहीं है। संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों के तहत, CISF के अधिकारी कई अंतर्राष्ट्रीय अभियानों में शामिल रहे हैं। यह बल अन्य देशों की सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिलकर सुरक्षा मानकों के आदान-प्रदान और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भी हिस्सा लेता रहा है।
इसके अलावा, CISF भारत के पर्यटन स्थलों की सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। ताजमहल, कुतुब मीनार, और अन्य ऐतिहासिक स्थलों की सुरक्षा CISF के अधीन है, जिससे पर्यटकों को सुरक्षित और संरक्षित माहौल मिलता है।
20 मई 2024 से, CISF को संसद भवन की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई। इससे पहले, यह कार्य केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) द्वारा किया जाता था। इस बदलाव का उद्देश्य संसद की सुरक्षा को और अधिक मजबूत और आधुनिक तकनीकों से युक्त बनाना था। संसद भवन देश का लोकतांत्रिक केंद्र है, जहां कानून बनाए जाते हैं और देश की दिशा निर्धारित होती है। 2001 में संसद पर हुए आतंकी हमले के बाद से इसकी सुरक्षा को मजबूत करने की आवश्यकता महसूस की गई। CISF की औद्योगिक सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी अभियानों में विशेषज्ञता को देखते हुए, इसे यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई। वर्तमान में, लगभग 3,317 CISF कर्मी संसद भवन परिसर की सुरक्षा में तैनात हैं।
CISF ने स्मार्ट सर्विलांस सिस्टम, बायोमेट्रिक एक्सेस कंट्रोल, बम-डिटेक्शन यूनिट और AI-सक्षम सुरक्षा उपायों को अपनाकर संसद भवन की सुरक्षा को और अधिक अभेद्य बनाया है। CISF केवल एक सुरक्षा एजेंसी नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय संपत्तियों और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए निरंतर विकसित हो रहा बल है। इसकी कड़ी ट्रेनिंग, अत्याधुनिक तकनीक और अनुशासन इसे दुनिया के सबसे प्रभावी सुरक्षा बलों में से एक बनाते हैं।
CISF का स्थापना दिवस बलिदान, अनुशासन और उत्कृष्टता का सम्मान करने का अवसर है। यह संगठन लगातार नई ऊंचाइयों को छू रहा है और देश की सुरक्षा को और अधिक मजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। इस अवसर पर, हम सभी को यह संकल्प लेना चाहिए कि इस गौरवशाली बल को और अधिक सशक्त बनाने के लिए हरसंभव समर्थन देंगे। राष्ट्र की रक्षा में तत्पर CISF के हर कर्मी को हमारा नमन।