दिल्ली विधानसभा : हरियाणा और महाराष्ट्र के बाद दिल्ली विधानसभा delhi electin 2025 चुनाव को लेकर चर्चा जोरों पर हैं, जहां फरवरी 2025 में चुनाव होने हैं। यहां भाजपा bjp, आम आदमी पार्टी APP और काँग्रेस Congress मैदान में हैं । पिछले दस वर्षो से यहां आम आदमी पार्टी का शासन है । पिछले दस वर्षो में यमुना में काफी पानी बह चुका है । उसी तरह दिल्ली की राजनीति में चुनावी मुद्दे भी बदलते रहे हैं । हाँ यह भी सच है कि दिल्ली की राजनीति देश के मुद्दों से भी बहुत प्रभावित होती है। ऐसे में दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 अपने आप में रोचक हो गया है, जिसमें माइक्रो-मैनेजमेंट की भूमिका भी प्रासंगिक है ।
क्या है दिल्ली की सामाजिक संरचना
वास्तव में दिल्ली शहर की सामाजिक संरचना में पिछले दो दशक में काफी बदलाव हुआ है। यहां काफी बड़ी आबादी बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब और दक्षिण के राज्यों से आई है। एक तरह से दिल्ली भारत की मिश्रित संस्कृति का अनुपम उदाहरण है। यहां हर राज्य से आई आबादी के अपने हित हैं । यह बहुत हद तक मतदान व्यवहार को प्रभावित करता है । इस बीच दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर हलचल बढ़ गई है। सत्ताधारी आम आदमी पार्टी ने सभी 70 सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। वहीं, बीजेपी तथा काँग्रेस भी पूरी शक्ति के साथ चुनाव मैदान में हैं ।
क्या है इलेक्शन माइक्रो-मैनेजमेंट तथा उसकी उपयोगिता
वहीं इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में इलेक्शन माइक्रो-मैनेजमेंट की भूमिका बहुत चर्चा में है । वास्तव में इलेक्शन माइक्रो-मैनेजमेंट एक तरह का प्रभावी चुनाव प्रबंधन की तकनीक है जो चुनाव जीतने में पार्टयिों के लिए बहुत कारगर साबित होता है । यहां मैनेजमेंट या प्रबंधन का मतलब है, उपलब्ध संसाधनों का दक्षतापूर्वक इस्तेमाल करते हुए कामों को समन्वयित करना है ताकि लक्ष्यों को हासिल किया जा सके। यह संगठन के हर स्तर पर ज़रूरी होता है। दिल्ली विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मतदाताओं को साधने के लिए माइक्रो मैनेजमेंट रणनीति की अहम भूमिका रहेगी ।
‘साइलेंट वोटर्स’ जो चुनाव का रूख बदल सकते
इस माइक्रो मैनेजमेंट रणनीति के तहत प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में बूथ मैनेजमेंट पर विशेष बल दिया जाता है । इसमें बैठक से लेकर पार्टी पदाधिकारियों को पूरे चुनाव में सम्बन्धित विधानसभा क्षेत्रों में तैनात किया गया जाता है । यह प्रबंधन विधानसभा, प्रखंड, पंचायत, वार्ड हर स्तर पर होता है । साथ ही बड़े स्तर से लेकर छोटे स्तर पर चुनावी मुद्दों को संबोधित किया जाता है । इसमें बूथ स्तर पर सभा की बहुत बड़ी भूमिका होती है। साथ ही महिला, युवा, के रूप में समाज के हर वर्ग को साधने के प्रयास किया जाता है। यह भी ध्यान रखा जाता है कि बूथ स्तर पर नाराज लोगों को भी प्रभावित कर अपने पक्ष में किया जाए । यहां ‘साइलेंट वोटर्स’ जो चुनाव का रूख बदल सकते हैं उन्हें भी अपने पक्ष में किया जा सकता है ।
प्रबंधन तकनीक को आजमा रहे हैं
इस तरह हाल के वर्षो में चुनाव प्रबंधन और उसमें भी चुनावी माइक्रो मैनेजमेंट एक प्रभावी दाव के रूप में विद्यमान है । इसी के मद्देनजर बड़े स्तर में राजनीतिक दल इस प्रबंधन तकनीक को आजमा रहे हैं । दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी राजनीतिक दल अपनी घोषणा और जनता के बीच में उसे लेकर जाने को लेकर गंभीरता से कार्य कर रहे हैं । दिल्ली विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दल इस तकनीक के द्वारा मतदाताओं को कितना अपने पक्ष में कर पाते हैं, यह भविष्य के गर्व में है।

About Writer : Deepak Dube is journalist. He closely monitor political affairs.