द्वारका पार्क शुल्क : दक्षिण-पश्चिमी दिल्ली के द्वारका उपनगर में रहने वाले लोग पिछले दो दिनों से दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) के एक ताजा फैसले से परेशान हैं। डीडीए ने सेक्टर 16 डी के लोकप्रिय पार्क में प्रवेश के लिए शुल्क लागू कर दिया है, जिसके चलते स्थानीय निवासियों में नाराजगी बढ़ती जा रही है। यह कदम न केवल लोगों की दिनचर्या को प्रभावित कर रहा है, बल्कि द्वारका की पहचान को भी चुनौती दे रहा है, जो अपने हरे-भरे पार्कों के लिए जानी जाती है। आइए जानते हैं इस फैसले के पीछे की वजह और लोगों की प्रतिक्रिया।
डीडीए का नया आदेश: पार्क में प्रवेश के लिए अब देना होगा शुल्क
25 फरवरी 2025 को डीडीए के द्वारका सेक्टर 5 स्थित बागवानी कार्यालय ने एक आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया कि सेक्टर 16 डी के पार्क में प्रवेश करने वाले हर व्यक्ति को 20 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से शुल्क देना होगा। इस आदेश को डीडीए के उपाध्यक्ष की मंजूरी से लागू किया गया है। इसमें वरिष्ठ नागरिकों के लिए 10 रुपये प्रतिदिन और विदेशी नागरिकों के लिए 100 रुपये प्रतिदिन का शुल्क निर्धारित किया गया है। इसके अलावा, सामान्य नागरिक 200 रुपये में मासिक पास और वरिष्ठ नागरिक 100 रुपये में मासिक पास बनवा सकते हैं।
हालांकि, डीडीए से इस फैसले पर स्पष्टीकरण मांगने की कोशिशें नाकाम रही हैं, क्योंकि अधिकारियों ने कोई जवाब नहीं दिया। इस अनदेखी ने लोगों का गुस्सा और बढ़ा दिया है।
पार्क में शुल्क लागू होने से लोगों का विरोध
अगले ही दिन जब सुबह की सैर के लिए लोग पार्क पहुंचे, तो गेट पर लगे इस नए नियम के नोटिस और कर्मचारियों द्वारा शुल्क की मांग ने उन्हें हैरान कर दिया। स्थानीय लोगों ने इस फैसले का जमकर विरोध किया। उनका कहना है कि द्वारका अपने बड़े और सुंदर पार्कों के लिए मशहूर है, जहां अब तक मुफ्त प्रवेश की सुविधा थी। लेकिन अब इस शुल्क ने उनकी इस राहत को छीन लिया है।
पार्क से सटी डीडीए की समृद्धि अपार्टमेंट सोसाइटी के रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष सुखबीर सिंह सिंहमार ने इस फैसले को अन्यायपूर्ण बताया। उन्होंने कहा, “पास में गंदे नाले की वजह से लोगों को पहले ही परेशानी होती है। यह पार्क हमारी एकमात्र राहत था, लेकिन अब डीडीए ने इस पर भी शुल्क लगा दिया। हम मांग करते हैं कि इस फैसले पर दोबारा विचार किया जाए।”
निवासियों की शिकायत: “हम टैक्स देते हैं, फिर शुल्क क्यों?”
पार्क में नियमित सैर करने वाली नीलम ने कहा, “यह शुल्क लगाकर डीडीए ने हमसे हमारा पार्क छीन लिया है। हम प्रॉपर्टी टैक्स और कई अन्य करों का भुगतान करते हैं, तो क्या डीडीए हमें मूलभूत सुविधाएं भी मुफ्त में नहीं दे सकता?” वहीं, एक अन्य निवासी रमेश ने इसे राजनीतिक विरोधाभास से जोड़ा। उन्होंने कहा, “केंद्र और दिल्ली में भाजपा की सरकार है। एक तरफ मुफ्त बस किराया, पानी-बिजली के बिल माफी और महिलाओं को ढाई हजार रुपये देने की बात हो रही है, दूसरी तरफ पार्क जैसी बुनियादी सुविधा पर शुल्क लगाया जा रहा है। यह मनमानी नहीं तो क्या है?”
फ्लावर शो से शुरू हुई शुल्क की कहानी
दिलचस्प बात यह है कि यह शुल्क पहली बार 22 और 23 फरवरी 2025 को आयोजित ‘फ्लावर शो’ के दौरान लागू किया गया था। इस आयोजन का उद्घाटन उपराज्यपाल विनय सक्सेना ने किया था। उस समय डीडीए ने प्रवेश के लिए 20 रुपये का टिकट रखा था, जिसे अब सामान्य दिनों के लिए भी स्थायी कर दिया गया है। इस कदम से आसपास के निवासियों में खासी नाराजगी देखी जा रही है।
क्या है आगे का रास्ता?
द्वारका के निवासी इस फैसले के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं और डीडीए से इस पर पुनर्विचार की मांग कर रहे हैं। लोगों का मानना है कि पार्क जैसी सुविधाएं जनता के लिए मुफ्त होनी चाहिए, खासकर तब जब वे पहले से ही विभिन्न करों का भुगतान कर रहे हैं। यह मामला अब चर्चा का विषय बन गया है और आने वाले दिनों में इसके खिलाफ बड़ा आंदोलन भी देखने को मिल सकता है।
अगर आप भी इस मुद्दे पर अपनी राय रखना चाहते हैं या द्वारका के इस बदलाव से प्रभावित हैं, तो नीचे कमेंट करें। हम आपके विचारों को आगे बढ़ाने में मदद करेंगे।