
Election Survey जैसे-जैसे देश में एक देश एक चुनाव One nation one election की बात हो रही है। वैसे-वैसे इलेक्शन मैनेजमेंट psephology से जुड़ी हुई कंपनियों के गलियारों में चर्चा का वातावरण देखा जा रहा है । हाल ही में सरकार जब 129 वां संविधान संशोधन विधेयक पेश करने जा रही है तो इस क्षेत्र की प्रासंगिकता को लेकर चर्चा जरूरी हो जाती है।
Election Survey भारत में इलेक्शन मैनेजमेंट एक बहुत ही महत्वपूर्ण सेक्टर
वास्तव में आज के दौर में भारत में इलेक्शन मैनेजमेंट election management एक बहुत ही महत्वपूर्ण सेक्टर के रूप में उभरकर सामने आया है । जहां एक तरफ इस सेक्टर में बड़े पैमाने पर आर्थिक लाभ देखा जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ बड़े पैमाने पर यह रोजगार भी प्रदान कर रहा है। आज शायद ही भारत में कोई ऐसा चुनाव हो जहां पर पीआर कंपनियां हायर नहीं किया जा रहा हो। साथ ही देश की बड़ी कंपनियां आईआईटी, आईआईएम और दिल्ली विश्वविद्यालय जैसे बड़े कॉलेज से दक्ष लोगों को खुद से जोड़ भी रही हैं। इलेक्शन मैनेजमेंट कंपनियां बहुत ही दक्षतापूर्ण तरीके से कार्य करती हैं और इसका लाभ भी राजनीतिक दलों को मिलता है।
तो इन कंपनियों को काम नहीं मिल पाएगा
वास्तव में भारत में चुनाव होते रहते हैं, इस कारण से इन कंपनियों को काम भी मिलता रहता है। किंतु जब एक साथ लोकसभा और विधानसभा के चुनाव हो जाएंगे तो इन कंपनियों को काम नहीं मिल पाएगा । इसीलिए बहुत से विद्वान है यह मान रहे हैं कि अगर एक देश एक चुनाव लागू हुआ तो इन कंपनियों पर प्रभाव पड़ेगा।
सिक्के का केवल एक पहलू ही है
किंतु यह सिक्के का केवल एक पहलू ही है । वास्तव में राजनीतिक सलाह एक ऐसा कार्य है जो कभी भी पुराना नहीं होगा। भारत में एक तो बहुदलीय प्रणाली है। इस कारण से भारत में राजनीतिक सलाह की जरूरत हमेशा पड़ेगी। दूसरी बात यह कि भारत एक राजनीतिक प्रयोगशाला भी है, जहां राजनीति में नए नए प्रयोग भी होते रहते हैं। इस कारण जब कोई नई राजनीतिक पारी शुरू होती है तो वह उसे राजनीतिक सलाह की जरूरत होती है। राजनीतिक पार्टी जब किसी भी चेहरे को अपने नेता के रूप में या प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री के उम्मीदवार के रूप में घोषित करना चाहती है तो उसे काफी समय पहले से नियोजित ब्रांडिंग की जरूरत होगी, ऐसे में ब्रांडिंग का यह कार्य यही कंसलटिंग कंपनियां ही करेंगी।
राजनीतिक कंसलटिंग केवल चुनाव तक ही सीमित नहीं है
यही बात चुनाव में टिकट पाने की आशा रखने वाले व्यक्तियों पर भी लागू होती है। भारत में आमतौर पर चुनाव जीतने के लिए प्रतिस्पर्धा बहुत बड़े पैमाने पर होती है । इस कारण हमेशा राजनीतिक दल चाहते हैं कि वह एक चुनाव खत्म होते ही अगले चुनाव की तैयारी में लग जाए ताकि उन्हें ज्यादा लाभ मिले। इस कारण भी राजनीतिक दलों को कंसलटिंग की जरूरत पड़ती रहेगी। राजनीतिक कंसलटिंग केवल चुनाव तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह गवर्नेंस मॉडल में भी देखा जाता है। देश में आने वाले मुद्दों पर राजनीतिक पार्टी कैसे रिएक्ट करती है, राजनेता कैसे रिएक्ट करते हैं, यह भी दक्ष राजनीतिक सलाहकारिता का ही भाग है।
इलेक्शन मैनेजमेंट कंपनियों के कार्य करने का स्वरूप जरूर बदलेगा
अंत में कहा जा सकता है कि एक देश एक चुनाव लागू होने से भारत में राजनीतिक सलाहकार या इलेक्शन मैनेजमेंट कंपनियों के कार्य करने का स्वरूप जरूर बदलेगा लेकिन ऐसा नहीं है कि भारत में राजनीतिक कंसलटिंग का क्षेत्र बंद हो जाएगा।
लेखक दीपक दुबे पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं .