Election : जम्मू कश्मीर, jammu-kashmir , haryana हरियाणा चुनाव की घोषणा, महाराष्ट्र Maharashtra , झारखण्ड Jharkhand क्यों छोड़ा चुनाव आयोग ने आज हरियाणा और जम्मू कश्मीर के Assembly elections चुनाव की घोषणा कर दी है. कमाल की बात है कि बड़े सब लोग उम्मीद कर रहे थे कि इस बार चार राज्यों के चुनाव और जो 10-12 सीटें और है जो उप चुनाव होने हैं उसकी भी घोषणा आज हो जाएगी
किसकी सुविधा के लिए रोके election
लेकिन चुनाव आयोग election commission कमाल की बात है कि पता नहीं किसकी सुविधा से ये घोषणा करता है जब सुप्रीम कोर्ट इस पर टिप्पणी करता है तो ये सुप्रीम कोर्ट जाते हैं कि अपनी टिप्पणी हटाओ जी लोकसभा चुनाव में भी जैसे इन्होंने इतना लंबा खींचा सात चरणों में चुनाव की बड़ी आलोचना हुई थी
हरियाणा में 90 सीटों के लिए 1 अक्टूबर को होंगे चुनाव
हरियाणा की सभी 90 सीटों के लिए 1 अक्टूबर को होंगे चुनाव . चुनाव आयोग ने हरियाणा की सभी 90 सीटों के लिए एक ही चरण में चुनाव की घोषणा की है, पहली अक्टूबर को चुनाव होंगे , चार अक्टूबर को काउंटिंग होगी,
यह भी पढ़ें : UCC क्या है समान नागरिक संहिता, जिससे हंगामा मचा है ?
जम्मू-कश्मीर में 3 चरणों में होंगे चुनाव
जम्मू कश्मीर की 90 सीटों के लिए तीन चरणों में चुनाव होंगे , 24 सीटों के लिए पहले चरण में 18 सितम्बर, 26 सीटों के लिए 25 सितम्बर को और 40 सीटों के लिए पाली अक्टूबर को होंगे . काउंटिंग 4 अक्टूबर को होगी
महाराष्ट्र , झारखण्ड की धोषणा क्यों नहीम की ?
चुनाव आयोग की आलोचना हो रही है, लेकिन CEC राजीव कुमार सफाई देते रहे लेकिन अभी भी उनको समझ नहीं आ रहा अभी भी उन्होंने जो दो ही राज्यों की घोषणा की है हरियाणा की और जम्मू कश्मीर की , बाकी 2 राज्य क्यों छोड़े.
अनुच्छेद 370 हटाने के बाद पहला चुनाव
जम्मू कश्मीर पहली बार चुनाव होंगे जब से 2016 के बाद जब वहां अनुच्छेद 370 हटाया हटाया गया था उसके बाद राष्ट्रपति शासन लग गया अभी वहां गवर्नर राज है क्योंकि सट वो यूनियन टेरिटरी है लेकिन विधानसभा उसको दी गई थी अब जाकर पहला चुनाव होगा .
वायानद, और UP की १० सीटों की भी घोषणा हो जाती
तो अच्छा होता कि चुनाव आयुक्त जम्मू कश्मीर हरियाणा मध्य महाराष्ट्र और झारखंड इनके लिए भी चुनाव करता है और उत्तर प्रदेश की जो 10 सीटें है, उसकी भी घोषणा कर देता और वायनाड wayanad की जो लोकसभा की सीट राहुल गांधी की खत्म हो गई है उस पर भी अनाउंस कर देता लेकिन उन्होंने नहीं किया तो ये जो इसका जो असर होगा यानी इसका जो भी आलोचना होगी चुनाव आयोग की तो उसके लिए आलोचना झेलने के लिए तैयार रहे हम बात करते हैं इन दो राज्यों की जो अनाउंस हो चुकी हैं.\
कैसे रहेगा कश्मीर चुनाव
जम्मू कश्मीर में आपको पता ही है कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद वहां कर्फ्यू की स्थिति थी कई महीने तक वहां कर्फ्यू रहे फिर वहां मनोद सिन्हा को उपराज्यपाल बनाकर भेजा वो वहां राज कर रहे हैं और वहां आतंकी घटनाएं बहुत कम हो गई थी लेकिन पिछले दो तीन महीने में लगातार वहां घटनाएं बढ़ रही है तो अब वहां क्योंकि चुनाव अनाउंस हो गए तो यह जिम्मेदारी है सरकार की राज्य सरकार की भी केंद्र सरकार की भी कि वहां हिंसा ना हो और शांतिपूर्वक चुनाव हो और जो चुनी हुई सरकार हो वो उसको टेक ओवर वो करें

कश्मीर में भी दिल्ली वाला हाल रहेगा, CM काम नहीं कर पायेगा
लेकिन वो स्थिति वैसे ही होगी जैसे दिल्ली में है जैसे केजरीवाल के साथ बीजेपी सरकार की झगड़ा चलता रहता है वही स्थिति वहां होनी है क्योंकि वहां प यूनियन टेरिटरी है विधानसभा सिर्फ वहां लोगों को अपनी प्रतिनिधित्व देने के लिए दिया गया कि ठीक है आप ये मान के चलो कि आपके यहां प्रतिनिधि लेकिन मित्रों यह मुझे लगता है कि स्थितियां उतनी शायद पता नहीं जब झगड़ा होगा उसमें क्योंकि जम्मू कश्मीर जो यूनिन टेरिटरी है लद्दाख यूनिन टेरिटरी है तो लद्दाख में तो आपको पता ही है वहां तो विधानसभा नहीं है लेकिन वहा वहां के लोग भी विधानसभा मांग रहे हैं .
अभी वहा जो चुनाव हुआ था लोकसभा के चुनाव कैसे वहां लोग बीजेपी के विरोध में आ गए थे और वहां बीजेपी के एमपी को हरा दिया तो अब जब जम्मू कश्मीर में विधानसभा बन जाएगी तो फिर वहां चूंकि बॉर्डर एरिया है सेंसिटिव जोन है तो टे यूनिन टेरिटरी अच्छी है लेकिन जो चुन्नी ई सरकार आगी उसको कम से कम काम करते देना चाहिए जैसे दिल्ली वाली स्थिति ना हो कि वहां काम ही नहीं कर पाए एक ब्यूरोक्रेट यानी उनका सेक्रेटरी अपने मंत्री का कहना नहीं मानता ऐसा नहीं होना चाहिए .
जम्मू कश्मीर में जो चुनाव होंगे वो 18 और 25 सितंबर दो चरणों में और तीसरा चरण होगा 1 अक्टूबर को यानी तीन चरणों में जम्मू कश्मीर की चुनाव होंगे और वो इसलिए होंगे क्योंकि जम्मू कश्मीर जैसे मैंने कहा कि वहां सेंसिटिव है और उस सेंसिटिव के कारण वहां थोड़ा सा एक्स्ट्रा प्रिकॉशन वहां जो है रखा गया है और वहां अनुच्छेद 370 हटने के बाद की जो स्थिति है उसको भी ध्यान में रखा गया है तो तीन चरणों में वहां चुनाव होंगे और 90 वहां विधानसभा हैं . 90 विधानसभा में करीबन दो करोड़ वहां मतदाता है
जिनमें 90 लाख महिला हैं 40 लाख से अधिक व युवा है और जो यह कहा गया है कि जम्मू कश्मीर में जो 42 लाख महिलाएं हैं 87 लाख टोटल मतदाता है जिसमें से ब लाख से अधिक युवा है और तो जो 90 सीटें हैं उसमें तीन चरणों में होगा और इसके अलावा मित्रों जो जो हमारा हरियाणा है हरियाणा में एक ही चरण में होगा एक ही अक्टूबर को होगा और जम्मू कश्मीर में 90 सीट और हरियाणा में आपके जो क्योंकि क्यों इसमें चर्चा हो रही कि हरियाणा को हरियाणा के जो चुनाव है जो हरियाणा की 90 सीट हैं उसके लिए एक चरण में एक अक्टूबर को चुनाव होगा और
हरियाणा में लगातार तीसरी बार चुनाव जीत पायेगी बीजेपी?
वो इसलिए क्यों कहा जा रहा है क्योंकि हरियाणा में अभी जब लोकसभा के चुनाव हुए थे तो बीजेपी वहां पांच सीटें हार गई थी तो इसलिए वहा थोड़ी सी बीजेपी को एक चिंता है कि अगर हमारी सीट कम हो जाए क्या पता राज्य हमारे हाथ से चल जाए क्योंकि हरियाणा में जो वहां दुष्यंत चौटाला ने अपनी पार्टी बनाई थी पहली बार वो 10 सीट जीत के आए थे और डेप सीएम बीजेपी ने बनाया था लेकिन उसके बाद तुरंत अभी चुनाव से पहले उनको बीजेपी ने उनका साथ छोड़ दिया तो आरोप लगाए जा रहे.
चौटाला को जानबूझ कर अलग किया
लेकिन हमारी जानकारी है वो एक अंडरस्टैंडिंग के तहत उन्होंने किया जानबूझ के उनको अलग कर दिया है ताकि जो जाट नाराज है हरियाणा में तो जाट वोट वापस दोष चौटाला को मिल जाए पर मुझे नहीं लगता इस बार जाट दोष चौटाला को वोट देंगे इस बार वहां कांग्रेस का मुझे ऐसा व्यक्तिगत तौर पर लगता है कि कांग्रेस का पलाड़ा भारी है और जो लोगों में किसान आंदोलन की नाराजगी है जाटों की नाराजगी है आरक्षण की नाराजगी है उसको लेकर बीजेपी को इस बार भारी पड़ने वाला है तो इसमें यह इसमें एक इशू रहेगा,
ये जब इसके रिजल्ट आएंगे रिजल्ट 4 अक्टूबर को दोनों के परिणाम आएंगे तब हम इस बीच भी हम बात करते रहेंगे लेकिन एक बड़ा इंटरेस्टिंग रहेगा कि जो राज्य हैं इन राज्यों में कितना वोट परसेंटेज जम्मू कश्मीर में सब पूरी दुनिया की नजर होगी और हरियाणा में तो खर ऐसा लगता है पता नहीं अभी स्थिति क्या हो लेकिन ऐसा लग रहा है अभी कि बीजेपी का थोड़ा सा वहां भी दिक्कत होने वाली है और महाराष्ट्र और झारखंड में भी अगर साथ साथ चुनाव होते तो ज्यादा अच्छा होता लेकिन इलेक्शन कमीशन ने नहीं किया अब इलेक्शन कमीशन जाने हो कि उन्होंने क्यों नहीं किया.