India army day : 77वें स्थापना दिवस के मौके पर नौसेना डॉकयार्ड में नौसेना के तीन अग्रणी युद्धपोतों आईएनएस सूरत, आईएनएस नीलगिरी और आईएनएस वाघशीर को राष्ट्र को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समर्पित किया। मोदी ने कहा आज भारत पूरे वि और खासकर ग्लोबल साउथ में एक भरोसेमंद और जिम्मेदार साथी के रूप में पहचाना जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत एक प्रमुख समुद्री शक्ति बन रहा है और दुनिया में एक विसनीय और जिम्मेदार साझेदार के रूप में पहचाना जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत ने हमेशा एक खुले, सुरक्षित, समावेशी और समृद्धंिहद-प्रशांत क्षेत्र का समर्थन किया है। मोदी ने आज के दिन को भारत की समुद्री विरासत, नौसेना के गौरवशाली इतिहास और आत्मनिर्भर भारत अभियान के लिए बहुत बड़ा दिन करार देते हुए कहा, यह पहली बार हो रहा है, जब एक डिस्ट्रॉयर (विध्वंसक), एक फ्रिगेट और एक पनडुब्बी को एक साथ नौसेना के बेड़े में शामिल किया जा रहा है। गर्व की बात है कि ये तीनों मेड इन इंडिया हैं। फ्रिगेट, युद्ध के लिए इस्तेमाल होने वाले जहाज होते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने नौसेना को नया सामथ्र्य और दृष्टिकोण दिया था और आज उनकी इस पावन धरती पर 21वीं सदी की नौसेना को सशक्त करने की तरफ एक बड़ा कदम उठाया गया है। उन्होंने कहा, 21वीं सदी के भारत का सैन्य सामथ्र्य भी अधिक सक्षम और आधुनिक हो, यह देश की प्राथमिकताओं में से एक है। जल हो, थल हो, नभ हो, गहरे समुद्र हों या फिर असीम अंतरिक्ष हो, हर जगह भारत अपने हितों को सुरक्षित कर रहा है। इस?के लिए निरंतर सुधार किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, आज भारत पूरे वि और खासकर ग्लोबल साउथ में एक भरोसेमंद और जिम्मेदार साथी के रूप में पहचाना जा रहा है। भारत विस्तारवाद नहीं, बल्कि विकासवाद की भावना से काम करता है।
33 जहाज, 7 पनडुब्बियां नौसेना में शामिल की गयी
उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में 33 जहाज और सात पनडुब्बियां नौसेना में शामिल की गई हैं और भारत का रक्षा उत्पादन 1.25 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है तथा 100 से अधिक देशों को रक्षा उपकरण निर्यात किए गए हैं। भविष्य में असीम अंतरिक्ष और गहरे समुद्र के महत्व को रेखांकित करते हुए मोदी ने कहा कि भारत दोनों जगह अपनी क्षमताओं को बढा रहा है। उन्होंने कहा, हमारी समुद्रयान परियोजना वैज्ञानिकों को समंदर में 6,000 मीटर की उस गहराई तक ले जाने वाली है, जहां कुछ ही देश पहुंच पाए हैं। यानि भविष्य की किसी भी संभावना पर काम करने में हमारी सरकार कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रही है।
आईएनएस नीलगिरि परियोजना 17ए स्टील्थ फ्रिगेट श्रेणी का शीर्ष जहाज है जो शिवालिक श्रेणी के युद्धपोतों में महत्वपूर्ण उन्नयन को दर्शाता है। भारतीय नौसेना के वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो द्वारा डिजाइन किए गए और मजगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) में निर्मित आईएनएस नीलगिरि में उन्नत विशेषताएं हैं। यह आधुनिक विमानन सुविधाओं से परिपूर्ण है तथा एमएच-60 आर समेत विभिन्न प्रकार के हेलीकॉप्टर का परिचालन कर सकता है।
परियोजना 15 बी स्टील्थ विध्वंसक श्रेणी का चौथा और अंतिम युद्धपोत आईएनएस सूरत कोलकाता श्रेणी के विध्वंसक पोतों की अगली पीढी का सदस्य है। इसके डिजाइन और क्षमता में सुधार किए गए हैं और यह नौसेना के सतह पर रहने वाले बेड़े का महत्वपूर्ण सदस्य है। इसे भी आईएनएस नीलगिरि की तरह वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो ने डिजाइन किया है और एमडीएल में इसका विनिर्माण किया गया है। आईएनएस वाघशीर स्कॉर्पीन श्रेणी की परियोजना 75 के तहत छठा और अंतिम युद्धपोत है। यह बहुभूमिका वाला डीजल-विद्युत संचालित पोत है। तीनों युद्धपोतों का डिजाइन और निर्माण पूरी तरह भारत में हुआ है और इससे देश की रक्षा उत्पादन क्षेत्र में बढती दक्षता रेखांकित होती है।
गलवान नहीं जाना चाहिए: सेना प्रमुख :
सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने बुधवार को कहा कि उत्तरी सीमा पर स्थिति स्थिर लेकिन संवेदनशील बनी हुई है। उन्होंने कहा कि गलवान में जो कुछ भी हुआ, उसे दोहराया नहीं जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उनकी सेना किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार और सक्षम है। यहां 77वें सेना दिवस समारोह में अपने संबोधन में सेना प्रमुख ने रेखांकित किया कि उत्तरी सीमा पर आधुनिक उपकरण और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के विकास पर विशेष ध्यान दिया गया है।
सेना प्रमुख ने कहा, चाहे कूटनीतिक प्रयास हो या सैन्य प्रयास या यहां तक कि गृह मंत्रालय, सीएपीएफ (केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल) प्रयास के संदर्भ में हम सभी को इस मुद्दे पर एकजुट होना चाहिए तथा यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में हमारे सामने अचानक इस तरह की स्थिति नहीं आए। भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध मई 2020 में शुरू हुआ था और उस वर्ष जून में गलवान घाटी में हुईंिहसक झड़प के परिणामस्वरूप दोनों पड़ोसियों के बीच संबंधों में गंभीर तनाव पैदा हो गया था।
उत्तरी सीमा पर स्थिति के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, उत्तरी सीमाएं सुरक्षित हैं, क्योंकि भारतीय सेना वहां आवश्यक तैनाती के साथ मौजूद है। हाल में भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंतण्ररेखा (एलएसी) पर सैनिकों की गश्त एवं विवादित स्थान से पीछे हटने को लेकर एक समझौता हुआ, जो चार साल से जारी गतिरोध को समाप्त करने की दिशा में एक बड़ी सफलता है।
यह कदम पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर तनाव कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति है, क्योंकि गलवान घाटी में हुईंिहसक झड़प दशकों में दोनों पक्षों के बीच हुआ सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष था। इस झड़प के बाद दोनों एशियाई दिग्गजों के बीच संबंधों में गिरावट आई।
परेड में सेना के कुछ अत्याधुनिक करतबों का प्रदर्शन, तीन सुखोई-30 विमानों द्वारा ‘फ्लाई-पास्ट’ तथा कई पैदल टुकड़ियां शामिल थीं। राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) की एक बालिका टुकड़ी तथा कोर ऑफ मिलिट्री पुलिस (सीएमपी) सेंटर एंड स्कूल की एक महिला अग्निवीर टुकड़ी तथा 12 ‘मार्चिंग रोबोटिक खच्चरों’ ने पहली बार सेना दिवस परेड में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
सेना प्रमुख ने कहा कि पुणो में आयोजित 77वीं सेना दिवस परेड का विशेष महत्व है क्योंकि पुणो मराठा शासन के समय से ही शौर्य एवं वीरता का स्थान रहा है। उन्होंने कहा कि पुणो में सेना दिवस समारोह, इस क्षेत्र की विरासत के साथ हमारे गहरे जुड़ाव को दर्शाता है। पुणो में पहली बार समारोह का आयोजन हुआ। सेना दिवस परेड (एडीपी) यहां बॉम्बे इंजीनियर्स ग्रुप (बीईजी) एंड सेंटर में हुई जो सेना की दक्षिणी कमान के अंतर्गत आता है।