Indian Army : भारतीय सेना दो मिनट के अंदर किसी भी लक्ष्य को भेदने के लिए तैयार

Indian Army भारतीय सेना ने तकनीक और प्रशिक्षण के माध्यम से युद्ध war की स्थिति में लक्ष्य को भेदने के का समय नौ मिनट से कम कर दो मिनट करने में सफलता हासिल की है।

Indian Army ‘स्वदेशीकरण के माध्यम से आधुनिकीकरण’


Indian Armyसेना में आर्टिलरी यानी तोपखाना इकाई के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अदोष कुमार ने 198 वें आर्टिलरी दिवस से पहले मीडिया के साथ बातचीत में कहा कि बदलते समय की जरूरतों को देखते हुए आर्टिलरी बहुत तेजी से आधुनिकीकरण कर रही है। उन्होंने कहा, हम पहले से कहीं अधिक गति से और निर्धारित समय-सीमा के अनुसार आधुनिकीकरण कर रहे हैं। हमारी आधुनिकीकरण और क्षमता विकास योजना आत्मनिर्भरता अभियान से जुड़ी है और ‘स्वदेशीकरण के माध्यम से आधुनिकीकरण’ के सिद्धांत पर आधारित है।


उन्होंने कहा कि अभी लड़ाईयां इतनी तेज हो गयी हैं कि लक्ष्य को भेदने का समय कम होकर एक से दो मिनट हो गया है जो पहले 8 से 9 मिनट होता था। अब प्रौद्योगिकी और आर्टिफिसियल इंटेलीजेंस के इस्तेमाल से लक्ष्य का पता लगाकर उस पर फायर करने में बहुत तेजी आ गयी है। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना भी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर रही है। अभी सेनाएं हथियार को दागने के बाद लक्ष्य के अनुसार उसके मार्ग को बदलने यानी ‘मिड कोर्स करेक्शन’ वाले हथियारों पर भी काम कर रही हैं।


उन्होंने कहा कि भारत में भी अत्याधुनिक गोला बारूद बनाने की क्षमता को निरंतर बढाया जा रहा है और इसके लिए अब निजी क्षेा का भी सहयोग लिया जा रहा है। निजी वेंडरों से सेना के लिए गोला बारूद खरीदे जाने की प्रक्रिया चल रही है। पिनाका राकेट लांचर को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की सफलता की कहानी करार देते हुए उन्होंने कहा कि यह पण्राली पूरी तरह सफल रही है और अब इसकी मार करने की क्षमता को दोगुना करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है।


उन्होंने कहा कि आर्टिलरी रेजिमेंट में अल्ट्रा-लाइट हॉवित्जर (यूएलएच), के-9 वज्र, धनुष और शारंग सहित कई 155 मिमी कैलिबर बंदूकें और हॉवित्जर तोपें शामिल की गई हैं। यूएलएच को उत्तरी सीमाओं पर तैनात किया गया है। इनका वजन हल्का होता है और इन्हें हेलीकाप्टरों द्वारा ले जाया जा सकता है। के-9 वज्र गन सिस्टम मशीनीकृत संचालन के लिए आदर्श है। धनुष तोपें बोफोर्स तोपों का इलेक्ट्रॉनिक अपग्रेड हैं, जबकि शारंग गन सिस्टम को 130 मिमी से 155 मिमी कैलिबर तक उन्नत किया गया है। निकट भविष्य में अधिक संख्या में के-9 वज्र, धनुष और शारंग तोप पण्रालियों को शामिल किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि सेना उन्नत टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (एटीएजीएस), माउंटेड गन सिस्टम (एमजीएस) और टोड गन सिस्टम (टीजीएस) को शामिल करने के लिए अन्य 155 मिमी गन सिस्टम को भी शामिल करने की प्रक्रिया में हैं। जनरल कुमार ने कहा कि सेना को हर तरह के युद्ध के लिए तैयार रखने के लिए आर्टिलरी की क्षमता निरंतर बढायी जा रही है जिससे कि वह चुनौतियों और खतरों से आगे रहकर उनका मुकाबला कर सके।

input with PTI

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