Mahakumbh 2025 : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी Narendra Modi ने प्रयागराज में संपन्न हुए महाकुंभ 2025 को एकता का महायज्ञ और युग परिवर्तन की आहट करार दिया है। इस सनातन परंपरा को राष्ट्र चेतना को जागृत करने वाला पर्व बताते हुए उन्होंने अपने विचारों को लेख के रूप में साझा किया। 13 जनवरी से शुरू हुए इस ऐतिहासिक आयोजन ने न केवल भारत, बल्कि वैश्विक मंच पर भी अपनी छाप छोड़ी। आइए जानते हैं कि पीएम मोदी ने महाकुंभ को कैसे एक नए भारत के प्रतीक के रूप में देखा और यह क्यों खास है।
Mahakumbh 2025 : एकता और आस्था का संगम
पीएम मोदी ने कहा, “महाकुंभ संपन्न हुआ, एकता का महायज्ञ संपन्न हुआ।” उनके अनुसार, यह वह क्षण था जब देश ने सैकड़ों साल की गुलामी की मानसिकता को तोड़कर नव चेतना के साथ आगे बढ़ने की राह पकड़ी। 45 दिनों तक चले इस आयोजन में देश के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम पर पहुंचे। बच्चों से लेकर बुजुर्गों, महिलाओं से लेकर युवाओं तक, सभी ने इस पर्व में हिस्सा लिया। पीएम ने इसे 140 करोड़ भारतीयों की आस्था का एकीकरण बताया।
उन्होंने कहा, “22 जनवरी 2024 को अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में मैंने देवभक्ति से देशभक्ति की बात कही थी। महाकुंभ ने इसे साकार कर दिखाया।” यह आयोजन एकता का प्रतीक बना, जहां संत-महात्मा, देवी-देवता और श्रद्धालु एक साथ जुटे।
तीर्थराज प्रयाग: समरसता की प्रेरणा
मोदी ने प्रयागराज के श्रृंगवेरपुर का जिक्र करते हुए कहा कि यह वही पवित्र स्थल है, जहां भगवान श्रीराम और निषादराज का मिलन हुआ था। यह प्रसंग भक्ति और सद्भाव के संगम का प्रतीक है। उन्होंने लिखा, “संगम तट पर स्नान करने की भावना का ज्वार हर दिन बढ़ता गया। मां गंगा, यमुना और सरस्वती की त्रिवेणी ने हर श्रद्धालु को उमंग और ऊर्जा से भर दिया।”
विश्व के लिए एक अनोखा उदाहरण
पीएम ने महाकुंभ को आधुनिक युग के प्रबंधन और नीति विशेषज्ञों के लिए अध्ययन का विषय बताया। उन्होंने कहा, “दुनिया में ऐसा कोई दूसरा आयोजन नहीं है। बिना औपचारिक निमंत्रण या निर्धारित समय के करोड़ों लोग संगम में डुबकी लगाने पहुंचे। यह भारत की आध्यात्मिक शक्ति का प्रमाण है।” अमेरिका की आबादी से दोगुनी संख्या में लोगों ने इस महाकुंभ में हिस्सा लिया, जिसने एक नया रिकॉर्ड बनाया।
युवा पीढ़ी और संस्कृति का संरक्षण
मोदी ने इस बात पर खुशी जताई कि बड़ी संख्या में युवा पीढ़ी महाकुंभ में शामिल हुई। उन्होंने कहा, “यह संदेश देता है कि भारत का युवा अपनी संस्कृति और संस्कारों का वाहक है। वे इसे आगे ले जाने के लिए संकल्पित और समर्पित हैं।” यह भारत के उज्ज्वल भविष्य की नींव को मजबूत करता है।
एक नया भारत, एक नई ऊर्जा
पीएम ने महाकुंभ को युग परिवर्तन की आहट बताते हुए कहा कि यह भारत के नए भविष्य की शुरुआत है। “आध्यात्मिक क्षेत्र में शोध करने वाले यह देखेंगे कि अपनी विरासत पर गर्व करने वाला भारत अब नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहा है।” उन्होंने इसे ‘विकसित भारत’ के संकल्प से जोड़ा।
उन्होंने कहा कि हर 144 साल बाद होने वाला यह महाकुंभ समाज को नए दिशा-निर्देश देता है। इस बार यह संदेश ‘विकसित भारत’ का है। “जैसे श्रद्धालु जाति, वर्ग या क्षेत्र से ऊपर उठकर एक हो गए, वैसे ही हमें एकजुट होकर विकसित भारत के लिए काम करना है।”
नदियों की स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण
मोदी ने गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम का उल्लेख करते हुए नदियों की स्वच्छता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “मां गंगा ने मुझे बुलाया था, और यह संकल्प प्रयागराज में और मजबूत हुआ। हमें नदियों को स्वच्छ रखने का अभियान चलाना चाहिए।”
आभार और प्रेरणा
पीएम ने आयोजन की सफलता के लिए उत्तर प्रदेश सरकार, प्रशासन और जनता की सराहना की। उन्होंने कहा, “योगी जी के नेतृत्व में शासन और जनता ने इसे यादगार बनाया। सफाईकर्मी, पुलिसकर्मी, नाविक और सभी सेवकों ने श्रद्धा के साथ काम किया।” उन्होंने प्रयागराज के निवासियों का भी आभार जताया।
अंत में, उन्होंने घोषणा की कि वह जल्द ही सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन करेंगे और हर भारतीय के लिए प्रार्थना करेंगे। “महाकुंभ की आध्यात्मिक चेतना की धारा मां गंगा की तरह निरंतर बहती रहेगी।”