Mahakumbh :महाकुंभ में केवल नदियों का संगम नहीं हो रहा है

Mahakumbh प्रयागराज Prayagraj में महाकुंभ की शुरुआत हो गई है। संगम में डुबकी लगाने के लिए देश के विभिन्न भागों से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। आज मकर संक्रांति पर्व के अवसर पर अखाड़ों को लेकर लोगों में विशेष उत्साह देखा जा रहा है। लेकिन एक इस कुंभ को देखकर एक आयाम यह भी सामने आ रहा है कि यहां नदियों के साथ अन्य तत्वों का संगम भी हो रहा है।

Mahakumbh समाज संगम है

बता दें कि महाकुंभ में पूरे देश से लोग आ रहे हैं। उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम हर दिशा से लोग आ रहे हैं। प्राचीन भारत की संगम काल की परंपरा की तरह महाकुंभ में विभिन्न क्षेत्रों से आए लोगों का संगम देखा जा रहा है। इस महाकुंभ में करीब 40 करोड़ लोगों के आने की संभावना है। इसी के क्रम में यहां समाज के हर वर्ग के लोगों का आगमन हो रहा है।

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Mahakumbh at prayagraj . Photo – deepak Dube

महाकुंभ विचारों का संगम है

इस कुंभ में साधु, संतो की भी अपनी महिमा है। देश के कोने कोने से साधु, संत, कथावाचक आस्था के इस महापर्व में आए हुए हैं। प्रभातफेरी से लेकर विभिन्न अखाड़ों की यात्रा को लोग बहुत ही श्रद्धा भाव से देख रहे हैं। नागा साधु से लेकर अन्य साधुओं के प्रवचन और विचारों का संगम भी यहां बखूबी देखा जा सकता है।

भारतीय मूल्यों का संगम

भारतीय परंपरा में दया, दान, धर्म का अपना मूल स्थान है। विकृति प्रकृति, और संस्कृति के अंतर को इस कुंभ में बखूबी देखा जा सकता है। इस महाकुंभ में भी इस परंपरा को महसूस किया जा सकता है। संगम की ओर जाने वाली सड़कों पर लोगों का भंडारा कराना, निःशुल्क जल की व्यवस्था करना, मेले में कंबल बांटना, विभिन्न संस्थाओं द्वारा मेले में भंडारा कराना यह सब भारतीय विचारों के अनुपालन का ही परिणाम है।

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महाकुंभ के पहले दिन 3.5 करोड़ श्रृद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में डुबकी लगायी

सुशासन का संगम

आधुनिक भारत में सुशासन की संकल्पना नागरिकों को सुविधाएं सहज तरीके से देने को प्रतिबद्ध करती है। साथ ही डिजिटल भारत अभियान भी नई उंचाई को प्राप्त कर रहा है। इस महाकुंभ में रेलवे, बैंकिंग, बीमा, और अन्य सरकारी विभागों के काउंटर उपलब्ध हैं। जिससे आने वाले लोगों को सुविधा हो। साथ ही वो सकुशल घर वापस जा सकें। यह भारत में सुशासन की दिशा में बढ़ता एक और कदम है।

इस तरह महाकुंभ पूरे देश से श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। भारत में अक्सर धार्मिक पर्यटन की चर्चा आर्थिक जगत के लोग एक प्रभावी उपकरण के रूप में करते हैं। फिलहाल भारत अपनी इस संगम परंपरा को कितना आगे लेकर जाता है, यह भविष्य के गर्भ में है।

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Journalist Deepak Dube

पहले अमृत स्नान के मौके पर त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाते हुए

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