One Nation One elction : सरकार वन नेशनल वन इलेक्शन से संबंधित दो विधेयक आगामी 16 दिसंबर को लोकसभा Loksabha में पेश करेगी। इनमें संविधान (129वां संशोधन) विधेयक और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक शामिल हैं। केंद्रीय कानून मंत्री अजरुन राम मेघवाल लोकसभा में बिधेयक पेश करेंगे। विधेयक स्थायी समिति को भेजे जाने की संभावना है। सरकार चाहती है कि इस विधेयक पर व्यापक चर्चा हो और देशभर से सुझाव आने पर उनपर विचार किया जा सके।
One Nation One elction दो विधेयक पेश किये जाएंगे
One Nation One elction : गत 12 दिसम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी PM modi की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लोकसभा तथा राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की अवधारणा के क्रियान्वयन के लिए संवैधानिक संशोधन विधेयक को मंजूरी दी थी। मंत्रिमंडल ने दो मसौदा कानूनों को मंजूरी दी है, जिसमें से एक संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा एवं राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने से संबंधित है, जबकि दूसरा विधेयक विधानसभाओं वाले तीन केंद्र शासित प्रदेशों के एक साथ चुनाव से जुड़ा है। संविधान संशोधन विधेयक को पारित कराने के लिए दो तिहाई बहुमत, जबकि दूसरे विधेयक के लिए सदन में सामान्य बहुमत की आवश्यकता होगी।
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नगर निगम और पंचायत चुनावो पर लागू नहीं होगा
One Nation One elction पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द के नेतृत्व वाली एक उच्चस्तरीय समिति ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों के साथ-साथ चरणबद्ध तरीके से नगर निकाय और पंचायत चुनाव कराने का भी प्रस्ताव दिया था, लेकिन मंत्रिमंडल ने फिलहाल स्थानीय निकाय चुनावों के मुद्दे से दूरी रखने का निर्णय किया है।
विकास कार्य और आम जनजीवन बाधित होता है
देश में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव साथ-साथ कराने के मकसद से लाए जा रहे विधेयक में कहा गया है कि विभिन्न कारणों से एक साथ चुनाव कराना जरूरी है क्योंकि चुनावों में बहुत खर्च होता है और समय भी लगता है। One Nation One elction ‘संविधान (129वां) संशोधन विधेयक, 2024’ में इस बात को रेखांकित किया गया है कि बार-बार चुनाव आचार संहिता लगाए जाने से विकास कार्यक्रमों में ठहराव पैदा हो जाता है तथा सरकारी सेवाओं के कामकाज पर भी असर पड़ता है और चुनावी ड्यूटी के लिए लंबे समय तक कर्मचारियों तैनाती के चलते सेवाओं में उनकी भागीदारी कम हो जाती है।
82ए सम्मिलित करने का प्रस्ताव है
इस विधेयक में एक नया अनुच्छेद 82ए सम्मिलित करने का प्रस्ताव है जिसके मुताबिक, लोकसभा और सभी विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव और अनुच्छेद 83 (संसद के सदनों की अवधि), अनुच्छेद 172 (राज्य विधानमंडलों की अवधि) और अनुच्छेद 327 में (विधानमंडलों के चुनाव के संबंध में प्रावधान करने की संसद की शक्ति) में संशोधन किया जाना है। विधेयक में यह भी प्रावधान है कि इसके अधिनियमित होने पर आम चुनाव के बाद लोकसभा की पहली बैठक की तारीख पर राष्ट्रपति द्वारा एक अधिसूचना जारी की जाएगी और अधिसूचना की उस तारीख को नियत तिथि कहा जाएगा।
भंग होने की स्थिति में वर्तमान कार्यकाल की शेष अवधि के लिए ही चुनाव होगा
लोकसभा का कार्यकाल उस नियत तिथि से पांच वर्ष का होगा। नियत तिथि के बाद और लोकसभा के पूर्ण कार्यकाल की समाप्ति से पहले विधान सभाओं के चुनावों द्वारा गठित सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल लोकसभा के पूर्ण कार्यकाल के खत्म होने पर समाप्त हो जाएगा। ‘इसके बाद, लोकसभा और विधानसभाओं के सभी आम चुनाव एक साथ कराए जाएंगे। विधेयक में कहा गया है कि लोकसभा या विधानसभा के पूर्ण कार्यकाल से पहले भंग होने की स्थिति में वर्तमान कार्यकाल की शेष अवधि के लिए ही चुनाव होगा। विधेयक में बताया गया कि लोकसभा और सभी राज्य विधान सभाओं के आम चुनाव वर्ष 1951-52, 1957, 1962 और 1967 में एक साथ हुए थे, हालांकि, 1968 और 1969 में कुछ विधान सभाओं के समय से पहले भंग होने के कारण एक साथ चुनाव का क्रम टूट गया।
Input PTI