peacock समतल जमीन पर पाया जाने वाला मोर Peacock पक्षी इस साल बागेर जिले के जंगलों में 6500 फीट की उंचाई पर दो बार दिखाई दिया है, जिसे वन्यजीव विशेषज्ञ बढती मानवीय गतिविधियों के कारण हिमालयी क्षेत्र में आए पारिस्थतिकीय environment ecology बदलाव से संबंधित एक असामान्य घटनाक्रम मान रहे हैं ।
peacock बागेश्वर में मिला मोर
बागेश्गेवर bageshwar वन प्रभाग के एक वन अधिकारी ध्यानंिसह कारायत ने सोमवार को बताया कि यह बहुत आश्चर्यजनक है कि सामान्यत: 1600 फीट की उंचाई पर पाया जाने वाला मोर 6500 फीट की उंचाई पर दिखाई दिया है। यह पारिस्थतिकीय बदलाव के कारण हुआ है जिसने वन्यजीवों का आवागमन प्रभावित किया है ।
कारायत ने कहा कि मोर पहले इस साल अप्रैल में काफलीगैर वन रेंज में दिखाई दिया और उसके बाद यह पांच अक्टूबर को काठायतबारा के जंगलों में दिखाई दिया। देहरादून स्थित भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्लूआईआई) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ सुरेश कुमार ने कहा कि इस प्रकार के दृश्य सामान्य नहीं है लेकिन इससे वन्यजीव विशेषज्ञों को बहुत अधिकंिचतित होने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि मोर पक्षियों की सामान्यवादी प्रजाति में आता है जो अपने आवास को लेकर बहुत चयनात्मक नहीं होते ।
कुमार ने बताया कि पारंपरिक रूप से समतल जमीन पर पाए जाने वाले मोर निकटवर्ती हिमाचल प्रदेश में सामान्य से अधिक उंचाई पर भी पाए गए हैं । उन्होंने कहा कि इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि पहाड़ी क्षेत्र अब पहले की तरह उतने ठंडे नहीं रहे और मोरों को उंचाई वाली जलवायु अपने आवास के लिए अनुकूल लग रही हो ।
कुमार ने कहा, पहाड़ों में उंचाई वाले क्षेत्रों में खेती, फैलती मानवीय आबादी जैसी बढती मानवीय गतिविधियों ने वहां जलवायु को गर्म कर दिया है जिसके कारण हो सकता है कि वहां मोरों का पलायन हुआ हो। लेकिन यह सीजनल शिफट भी हो सकता है। उन्होंने कहा कि जाड़ों में पहाड़ों में ठंड बढ जाएगी जिसके कारण समतल जमीन पर रहने वाले पक्षी लौटकर अपने मूल आवासीय दशाओं में आ सकते हैं।
यह पूछे जाने पर कि क्या यह सामान्य तौर पर मोरों में आवास परिवर्तन की प्रवृत्ति को दर्शाता है, कुमार ने कहा कि केवल दो बार दृश्यता के आधार पर इस प्रकार को निष्कर्ष निकालना अभी जल्दबाजी होगी। हांलांकि, उन्होंने कहा कि अगर इस प्रकार की दृश्यता ज्यादा बार होगी तो निश्चित रूप से यह मोरों में आवास परिवर्तन की सामान्य प्रवृत्ति को दर्शाएगा।
इनपुट – पीटीआई/भाषा