Piracy Market भारतीय मनोरंजन उद्योग कई वर्षों से पायरेसी Piracy Market से ग्रस्त है और इससे भारत में 2023 में पायरेसी का बाजार 2240 thousand रुपये था और इससे सरकार को भी 43 अरब रुपये के जीएसटी नुकसान अनुमान है।
Piracy Market ‘द रॉब रिपोर्ट’ में यह दावा
बाजार अध्ययन एवं विश्लेषण करने वाली कंपनी ईवाई और इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा जारी ‘द रॉब रिपोर्ट’ में यह दावा किया गया है। इसमें कहा गया है कि 224 अरब रुपये में से 137 अरब रुपये मूवी थिएटरों से पायरेटेड कंटेंट Piracy Market से उत्पन्न हुए जबकि 87 अरब रुपये ओटीटी प्लेटफॉर्म की सामग्री से उत्पन्न हुए।
2026 तक फिल्म मनोरंजन के 146 अरब रुपये तक पहुँचने की उम्मीद
एसोसियेशन के डिजिटल मनोरंजन समिति के अध्यक्ष रोहित जैन ने कहा, भारत में डिजिटल मनोरंजन की तीव्र वृद्धि निर्विवाद है, 2026 तक फिल्म मनोरंजन के 146 अरब रुपये तक पहुँचने की उम्मीद है। हालाँकि, इस क्षमता को बड़े पैमाने पर पायरेसी से गंभीर रूप से खतरा है। सभी हितधारकों-सरकारी निकायों, उद्योग और उपभोक्ताओं के लिए इस मुद्दे से निपटने में एकजुट होना अनिवार्य है। सामूहिक कार्रवाई के माध्यम से ही हम अपने रचनात्मक उद्योगों के लिए एक समृद्ध भविष्य सुनिश्चित कर सकते हैं।
पायरेसी के खिलाफ़ एकजुट रुख अपनाना जरूरी
उन्होंने कहा कि भारत के मनोरंजन पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार के लिए, सरकार और निजी कंपनियों के लिए पायरेसी के खिलाफ़ एकजुट रुख अपनाना जरूरी है। नीतियों को पायरेसी परिदृश्य के समान ही तेजी से विकसित करने की आवश्यकता है। सरकार और निजी संगठनों दोनों द्वारा सख्त प्रवर्तन तां स्थापित किए जाने चाहिए। बड़े पैमाने पर जागरूकता कार्यक्रम, प्रीमियम सामग्री पर वॉटरमार्किंग, मूल्य निर्धारण आदि करने की जरूरत है।
पायरेटेड रोकने के लिए सख्त कानून की जरूरत
रिपोर्ट में कहा गया है कि पायरेटेड सामग्री के 62 प्रतिशत उपभोक्ताओं का मानना है कि इस खतरे से निपटने के लिए सख्त कानून की आवश्यकता है। इसमें कहा गया है कि महामारी के बाद से सदस्यता राजस्व में 150 प्रतिशत की वृद्धि के बावजूद भारत में 51 प्रतिशत मीडिया उपभोक्ता पायरेटेड स्रेतों से सामग्री का उपयोग करते हैं। स्ट्री¨मग 63 प्रतिशत के साथ पायरेटेड सामग्री का सबसे बड़ा स्रेत बन गई। इसके बाद मोबाइल ऐप 16 प्रतिशत पर रहे, सोशल मीडिया और टोरेंट जैसे अन्य माध्यमों ने 21 प्रतिशत योगदान दिया। कई सदस्यताओं का प्रबंधन, ऑनलाइन वांछित सामग्री की अनुपलब्धता और भारी सदस्यता शुल्क दर्शकों के लिए पायरेटेड सामग्री में लिप्त होने के शीर्ष तीन कारण बनकर उभरे।
पायरेसी के कारण लोग टिकट खरीदकर फिल्म नहीं देखते
रिपोर्ट के अनुसार हालांकि 64 प्रतिशत पायरेटेड कंटेंट उपभोक्ताओं ने माना कि अगर विज्ञापन बिना किसी शुल्क के उपलब्ध कराए जाते तो वे विज्ञापन रुकावटों के बावजूद अधिकृत चैनलों का विकल्प चुनते। 84 प्रतिशत पायरेटेड कंटेंट उपभोक्ताओं ने कहा कि वे फिल्में देखने के लिए टिकट खरीदना पसंद नहीं करते। अच्छी गुणवत्ता वाली मुफ्त सामग्री चाहने की भारतीय मानसिकता को और उजागर करते हुए 70 प्रतिशत पायरेटेड कंटेंट उपभोक्ताओं ने दावा किया कि वे कोई भी ओटीटी सदस्यता नहीं खरीदना चाहते हैं।
पायरेटेड कंटेंट एक्सेस करने वालों में से 76 प्रतिशत लोग 19 से 34 वर्ष के आयु वर्ग
रिपोर्ट से पता चला है कि पायरेटेड कंटेंट एक्सेस करने वालों में से 76 प्रतिशत लोग 19 से 34 वर्ष के आयु वर्ग के थे। पायरेटेड कंटेंट देखने वालों में, महिलाओं ने ओटीटी शो देखना पसंद किया, जबकि पुरुषों ने पुरानी, पायरेटेड फिल्में और प्रसिद्ध क्लासिक्स देखीं। 40 प्रतिशत पायरेटेड कंटेंट ¨हदी में मांगा जाता है, इसके बाद 31 प्रतिशत के साथ अंग्रेजी कंटेंट का स्थान आता है। औसतन, भारतीय प्रति सप्ताह नौ घंटे पायरेटेड कंटेंट देखने में बिताते हैं, जिसमें से 38 प्रतिशत समय ओटीटी कंटेंट देखने में और 22 प्रतिशत समय फ़ल्मेिं देखने में व्यतीत होता है।
टियर दो शहरों में पायरेसी ज्यादा
रिपोर्ट के अनुसार टियर एक शहरों की तुलना में टियर दो शहरों में पायरेसी ज्यादा प्रचलित है। अधिकृत कंटेंट देखने के सीमित साधन, पायरेटेड कंटेंट तक आसान पहुँच, पायरेसी के खतरों के बारे में जागरूकता की कमी, आय में असमानता और थिएटरों तक पहुँच न होना इस अंतर के कुछ कारण हैं। टियर एक के उपयोगकर्ता आम तौर पर पुरानी फ़ल्मेिं देखने के लिए पायरेटेड कंटेंट का उपयोग करते हैं, जबकि टियर 2 शहरों के लोग हाल ही में लॉन्च की गई फ़ल्मिों के अवैध संस्करण देखते हैं।
इनपुट – भाषा