Shailendra : गीतकार शैलेंद्र की कहानी उनकी बेटी की जुबानी

Shailendra : हिंदी फिल्म जगत को एक से बढ़कर एक गीत देने वाले गीतकार शैलेंद्र की कहानी उनकी बेटी की जुबानी. कवि-गीतकार शैलेन्द्र की जन्मशती के अवसर पर देश-विदेश में कार्यक्रमों की झड़ी लगी हुयी है। किसी सिने गीतकार पर सिनेमा, संगीत, मनोरंजन के साथ ही साहित्य जगत की संस्थाओं ने भी जिस प्रकार संगोष्ठी, नृत्य एवं गायन के कार्यक्रम आयोजित किए हैं वह सर्वथा अनूठा और एकल तथा अब तक का एकमात्र प्रयास है। इसी शृंखला में कवि शैलेन्द्र की पुत्री अमला की संस्मरणात्मक पुस्तक प्रकाशित हुयी है जिसमें एक बेटी ने अपनी स्मृतियों के दर्पण अपने बाबा की भावभीनी छवि उकेरी है – पुस्तक में लिखी प्रेम कविता।

WhatsApp Image 2024 09 27 at 2.48.51 PM
कवि शैलेन्द्र की पुत्री अमला शैलेन्द्र

Shailendra स्मृतियों का एक झरोखा है अमला की यह पुस्तक

अमला शैलेन्द मजूमदार मात्र एक नाम नहीं बल्कि एक गाथा है उन संस्मरणों का जो एक पुत्री ने अपने पिता संग व्यतीत किए हैं। परिवार में पिता के साथ ही माँ, भाई-बहनों के संग साझा स्मृतियों का एक झरोखा है अमला की यह पुस्तक। पिता के साथ और उनके पश्चात् उनकी अनुपस्थिति में जीवन यात्रा का विवरण इस पुस्तक के चार अध्यायों में बिखरा पड़ा है। यह पुस्तक प्रकाशित पृष्ठों पर अंकित वैसी ही प्रेम कविता के रूप में परोसी गयी है जैसी शैलेन्द्र ने ‘तीसरी कसम’ के कथानक को लेकर चित्रपट पर गढ़ी थी।

ढेरों रहस्यों पर से परत उघाड़ गए

इस पुस्तक के विभिन्न अध्यायों के भिन्न-भिन्न शीर्षकों पर गहन दृष्टि डालते हुए मैं जब इसे पढ़ और समझ रहा था तो इनमें कई-कई प्रसंग शैलेन्द्र के व्यक्तित्व के उन ढेरों रहस्यों पर से परत उघाड़ गए जो अब तक अनसुने और अबूझ थे। जिस शैलेन्द्र को जन साधारण एक कवि-गीतकार के रूप में जानता है उसे एक पिता, पति, सखा, मित्र के रूप में जानने-समझने का एक सहज मार्ग प्रशस्त करती है अमला की यह पुस्तक। चार भागों में विभक्त यह पुस्तक चार अध्यायों में वह सब कुछ अपने भीतर समेटे हुए है जो बालपन के शैशव काल से युवा होते मानस के साथ परिवार और मित्र की स्मृतियों को लेकर शैलेन्द्र के कला और शिल्प को बाँचते हुए उनके सौ बरस तथा उसके पार के दृश्य-परिदृश्य को हम सबके समक्ष साझा करता है।

‘शैलेन्द्र – मेरे बाबा’

प्रथम अध्याय ‘शैलेन्द्र – मेरे बाबा’ के अन्तर्गत छः उपशीर्षकों में पुत्री अमला ने अपनी स्वयं की स्मृतियों के साथ ही पिता, माँ, पारिवारिक सदस्यों, मित्रों से सुनी-सुनाये गए कथ्यों-तथ्यों, आख्यान-व्याख्यान पर आधारित सूत्रों को लेकर इस अध्याय में शैलेन्द्र के जन्म, बचपन, मथुरा में युवावस्था और शिक्षा को समाहित किया है। इसी अध्याय में शैलेन्द्र के झाँसी सम्पर्क तथा प्रेम के अंकुरण और विवाह तथा आगे चल कर सिनेमा में प्रवेश की कथा को साझा किया गया है। ‘बॉम्बे यूथ क्वाअर’ का प्रसंग भी इसी अध्याय में सम्मिलित है।

वामपन्थी सम्पर्क

दूसरा अध्याय ‘शैलेन्द्र – परिवार, मित्र और स्मृतियाँ’ में अमला ने पारिवारिक विषयों के साथ धार्मिक चेतना, वामपन्थी सम्पर्क, बालपन की भाषाई सीख के साथ ही भाई-बहन और ‘छोटा सा घर होगा’ के साथ ही कई अन्य घटनाओं को इस अध्याय में लिया है।

‘शैलेन्द्र – कलाकार एवं शिल्पकार

तीसरा अध्याय ‘शैलेन्द्र – कलाकार एवं शिल्पकार’ के भीतर बारह उपशीर्षकों में शैलेन्द्र के कृतित्व को प्रमुख रूप से विस्तार दिया गया है। यह अध्याय इस पुस्तक का प्राण तत्व है। जिस प्रकार शैलेन्द्र द्वारा सिनेमा में ‘शीर्षक गीत’ की नींव रख कर उसमें फ़िल्म के कथानक का निचोड़ प्रस्तुत करने की परिपाटी प्रारम्भ करके एक ही गीत में सब कुछ सन्देश एवं सीख के रूप में परोस दिया जाता था उसी प्रकार अमला ने इस पुस्तक के इस तीसरे अध्याय में उसी शैली में उन सभी कथा-कहानी को समेटा है जो शैलेन्द्र के सृजन से जुड़े हुए हैं।

शैलेन्द्र का व्यक्तित्व अपने जिन कृतित्व की उपज है उसका एक ऐसा व्योम लेकर यह अध्याय रचा गया है जिसमें होली पर्व के उत्सव के साथ ही संगीत कक्ष, आशा-निराशा, वेदना-सम्वेदना, बालगीत, गीतों में कवित्व, ‘आवारा हूँ’ का वैश्विक नाद, ‘मेरा नाम राजू’ के साथ ही ‘तीसरी कसम’ का आख्यान तथा उनकी कविताओं पर विमर्श तारें-सितारें बन कर झिल-मिल करते हुए दिख रहे हैं।

‘शैलेन्द्र – शतायु एवं उसके पार’

चौथे और अन्तिम अध्याय ‘शैलेन्द्र – शतायु एवं उसके पार’ उनकी स्मृति को उन्हीं के गीतों में पिरोए गए भाव को उजागर करते हुए पृथक-पृथक दृश्य गढ़ते हैं। इस अध्याय पर विहंगम दृष्टि डालते हुए शैलेन्द्र के गीत-शब्द से जो स्वर उभरते हैं वो अपने में गहन और सूक्ष्म विचार का वृहद अर्थ लिए तब-तब और भी मुखर हो उठते हैं जब-जब और बारम्बार उसे दोहराते हुए बाँचा जाता है।

‘शैलेन्द्र – अ लव लिरिक इन प्रिंट’ अंग्रेजी भाषा में

अमला शैलेन्द्र मजूमदार की यह पुस्तक ‘शैलेन्द्र – अ लव लिरिक इन प्रिंट’ अंग्रेजी भाषा में है जो शैलेन्द्र के हिन्दी संस्कार में जन्मी, उपजी, गढ़ी, रची और व्यक्त किए गए गीतों को मूर्त रूप देकर एक ऐसा संसार बसाया है जिसमें जीवन सन्देश निहित है जो समाधान है उन सभी प्रश्नों का जो जीवन के व्यवहारिक पक्ष से नित उठते रहते हैं। ऐमेज़ॉन और फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध यह एक संग्रहणीय पुस्तक है जो गीत-संगीत-साहित्य-संस्कृति प्रेमियों के लिए शैलेन्द्र जन्मशती के उपलक्ष्य में एक सांगीतिक-साहित्यिक-वैचारिक उपहार है।

• [ पुस्तक: शैलेन्द्र – अ लव लिरिक इन प्रिंट, भाषा: अंग्रेजी, लेखक: अमला शैलेन्द्र मजूमदार, प्रकाशक: खटाक, ईमेल: khataakkfiction@gmail.com पृष्ठ संख्या: 295, मूल्य: रु 699/-] • डॉ॰ राजीव श्रीवास्तव (समीक्षक) [वरिष्ठ लेखक, कवि-गीतकार, व्याख्याता, सिने इतिहासवेत्ता एवं फ़िल्म निर्माता-निर्देशक] ई मेल: rajeevrsvpshrivastav@gmail.com मोबाईल-व्हाट्सएप: +91-9415323515 पता: ‘गोल्फ़ अपार्टमेन्ट’ 114, प्रथम तल, सुजान सिंह पार्क, 03, महर्षि रमण मार्ग, नयी दिल्ली – 110003

WhatsApp Image 2024 09 25 at 12.36.56 PM2
डॉ॰ राजीव श्रीवास्तव (समीक्षक)

Book Review शैलेन्द्र अ लव लिरिक इन प्रिंट by Dr Raajeev Shrivaastav

Leave a Comment

Discover more from Roshan Gaur

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading

10th Governing Council Meeting of NITI Aayog, chaired by Prime Minister Shri Narendra Modi, held in New Delhi on Saturday. India’s Nandini Gupta Secures Spot in 72nd Miss World Grand Finale Mahakumbh : strange of the world I vibrant color of India : महाकुम्भ : अद्भुद नज़ारा, दुनिया हैरान friendly cricket match among Members of Parliament, across political parties, for raising awareness for ‘TB Mukt Bharat’ and ‘Nasha Mukt Bharat’, at the Major Dhyan Chand National Stadium The fandom effect: how Indian YouTube creators and fans took over 2024