UCC क्या है समान नागरिक संहिता, जिससे हंगामा मचा है ?

UCC क्या है समान नागरिक संहिता, जिससे हंगामा मचा है ? प्रधानमंत्री ने PM Narendra modi 78 वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किला lal qila की प्राचीर से अपना 11वां अभिभाषण दिया और उन्होंने यह वह देश के अब तीसरे प्रधानमंत्री हो गए जिन्होंने 11वी बार लगातार 11वी बार उन्होंने देश को संबोधित किया इससे पहले 17 बार पंडित नेहरू और 16 बार इंदिरा गांधी ने देश को संबोधित किया और अब 11 बार इस बार प्रधानमंत्री का लंबा भाषण भी था 96 मिनट का .

UCC यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड

उन्होंने इस बार एक बहुत महत्त्वपूर्ण बात कही जो पूरे देश में चर्चा का विषय है वह बात है कि देश में यूसीसी यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड uniform civil code लागू होना चाहिए अब उन्होंने थोड़ा सा उसको क्योंकि उसका विरोध हो रहा है तो उसको उन्होंने थोड़ा सा घुमा के बोला कि जो यूसीसी है अब उसको आप कह दो कि धर्म निरपेक्ष सिविल कोर्ट यानी जो नागरिक संहिता ucc है वह धर्म निरपेक्ष होगी क्योंकि समाज नागरिक संहिता को लोग हिंदू संस्कृत से मान के जोड़ रहे हैं कि यह हिंदुओं का है लेकिन एक्चुअल ये जो यूसीसी है वो किसी भी देश के लिए होना चाहिए क्योंकि एक देश में अलग-अलग कानून होंगे अलग-अलग विधान होंगे अलग-अलग चीजें होंगी तो उनको अ सही ढंग से कनन करने में दिक्कतें होती हैं.

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हर धर्म के पर्सनल लॉ है अलग-अलग है

अपराध भी अलग-अलग हो जाता है जैसे अब हमारे देश में क्या है कि जो क्राइम है जो क्रिमिनल लॉ है वो समान है वो चाहे वो हिंदू मुस्लिम हो कोई भी धर्म का हो वो सबके लिए बराबर है लेकिन जो पर्सनल लॉ है वो अलग-अलग है जैसे हिंदू पर्सनल लॉ हिंदू पर्सनल हिंदू मुस्लिम हिंदू मैरिज एक्ट मुस्लिम पर्सनल लॉ ऐसे ही क्रिश्चन पर्सनल लॉ ऐसे ही सिख मैरिज एक्ट यह सब अलग-अलग है क्योंकि उनके जो धर्म है उनकी पद्धति है उनकी रीति रिवाज है उसके हिसाब से बनाया गया है.

RSS BJP का कोर एजेंडा

जब आरएसएस ने बीजेपी का यानी भारतीय जनसंघ की स्थापना हुई थी तब से यह इशू चला आ रहा है. जब बीजेपी बनी 1980 में तब तो उनके तीन कोर एजेंडे थे कि एक तो यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू ucc करना है जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना है और राम मंदिर बनाना है अयोध्या में तो अयोध्या में राम मंदिर की तो स्थापना हो गई है जम्मू कश्मीर से 370 व हट गया है अब एक इशू रह गया है वह है यूसीसी का यानी यूनिफॉर्म सिविल कोर्ड समान नागरिक संहिता इसके लिए सुप्रीम कोर्ट कई बार बोल चुका है और सुप्रीम कोर्ट ने समितियां भी गठित की और जो जो लॉ कमीशन है उसने भी अपने रिकमेंडेशन में कहा था कि यूनिफॉर्म सिविल कोड होना चाहिए .

क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड

अब यूनिफॉर्म सिविल कोड है. क्या और इसकी क्यों जरूरत है इससे पहले बैक ग्राउंड बता दें कि जब हमारा देश आजाद हो रहा था और आजादी के बाद एक constitute असेंबली बनी थी संविधान सभा बनी थी संविधान सभा के जो अध्यक्ष डॉक्टर भीमराव अंबेडकर थे. उसमें इस विषय पर लंबी चर्चा हुई थी कि क्या हमारे देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड होना चाहिए बहुत इसमें लंबी बहस हुई गरमागरम बहस हुई बहुत गंभीर बहस हुई और उसमें यह तय किया गया कि अभी हमारा देश अपरिपक्व है एक नए देश का जन्म हो रहा है तो उसमें विवाद में पड़ने से बढ़िया अभी इसको छोड़ देते हैं.

हर धर्म अपनी रीतियों के अनुसार शादी व्याह करने लगा

जो हिंदू लोग हैं वह अपनी पद्धति से अपने सिविल कानूनों को लागू करें और जो मुस्लिम है वह अपनी पद्धति है उनकी जो रीति रिवाज है उसे करें लेकिन यह बात उसमें कही गई थी जब संविधान सभा में कि जब कभी मौका आएगा यूनिफॉर्म सिविल कोर्ट होना चाहिए तो अब उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी कई बार आदेश दिए लेकिन उस पर काम नहीं हुआ अभी बीजेपी ने क्या किया कि अपनी जो उनका राज्य है

उत्तराखंड ने शुरुआत की

उत्तराखंड uttarakhand उन्होंने कहा कि आप यूनिफॉर्म सिविल code ucc को लागू करने की दिशा में आगे बढ़ो ऐसे जब हिमाचल में बीजेपी सरकार थी तो उन्होंने भी एक समिति का गठन किया था गुजरात सरकार ने किया फिर मध्य प्रदेश सरकार ने किया फिर छत्तीसगढ़ सरकार ने किया कर्नाटक सरकार ने किया था तो लेकिन अभी य उत्तराखंड में ही लागू हुआ लागू भी अभी नहीं हुआ लागू होगा य अक्टूबर नवंबर में अभी उन्होंने ड्राफ्ट कर लिया है बिल पास हो गया है उनकी एक समिति बनी थी सुप्रीम कोर्ट की जो रिटायर्ड जस्टिस है उनकी अध्यक्षता में तो उन्होंने अपनी उन्होंने अपनी रिपोर्ट में वो सब बातें लिखी थी अब यह जो सिविल कोट क्या है अब इस पर चर्चा करते हैं .

सविंधान में देश में लागु करने का प्रावधान नहीं

देखिए जो हमारा जो हमारा संविधान है हमारे संविधान में यूनिफॉर्म सिविल कोर्ट की कल्पना नहीं की गई है क्यों नहीं की गई जैसे मैंने कहा कि जब संविधान सभा में इस पर डिस्कस हुआ था तो सभी विद्वानों ने कहा था कि य अभी इसको विवादित विषय को छोड़ दीजिए तो इसलिए इसको कहां डाला गया इसको डाला गया था,

आर्टिकल 44 में राज्दयों को अधिकार दिया है

हमारे संविधान के पार्ट फोर में आर्टिकल 44 इसमें कहा गया कि जो आर्टिकल 44 है द स्टेट शल एंव टू सिक्योर द सिटीजन अ यूनिफॉर्म सिविल कोड थ्रू द टेरिटरी ऑफ इंडिया देश के भीतर किसी भी राज्य को अपने नागरिकों को समान नागरिक संहिता लागू करने का अधिकार है यानी राज्यों को यह जो नीति निर्देशक तत्व है राज्यों के अधिकार है उसमें इनको इसको जोड़ा गया है अब इसको जब इसमें जोड़ा गया है तो इसमें क्या हुआ कि किसी भी राज्य ने इसको लागू तो किया नहीं .

उत्तराखंड ने कमिटी बनायीं

अब जाकर उत्तराखंड सरकार ने इसको लागू करने की दिशा में काफी आगे बढ़ गई अब सिर्फ अक्टूबर में इसको नोटिफाई करना है तो अब इसमें जो प्रधानमंत्री ने आज क्यों कहा प्रधानमंत्री ने इतने साल बाद मतलब उस पर डिस्कशन तो हो रहा है लेकिन कोई इसमें कोई कंक नहीं हो रहा तो उन्हो कोय लगा कि बीजेपी के जो तीन इशू थे जम्मू कश्मीर से 370 हटाना और अयोध्या में राम मंदिर बनाना और यह यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करना तो दो तो लागू हो गए तो अ एक रह गया तो अब उनके पास जो य पा साल का उनका कार्यकाल है उसमें एक्चुअल उनके पास काम नहीं बचा हुआ है .

पॉलिटिकल पार्टियों को आमने सामने बैठकर बात करनी चाहिए

तो उनको यह लगता कि यह एक बड़ा काम है और उस काम को अगर हम ठीक से करेंगे तो यह हम जो एक बचा हुआ काम है उसको भी पूरा कर सकते हैं तो इसलिए उन्होंने आज ला लाल किले की पचर से कह दिया है और इस पर डिस्कशन शुरू हो गया उन्होंने यही कहा कि इसम डिस्कस करो इसमें सभी पॉलिटिकल पार्टियों को आमने सामने बैठकर बात करनी चाहिए और तब जाकर इसमें जो सलूशन निकले उस हिसाब से काम करना चाहिए और उन्होंने कहा कि य तो जरूरत है और हमें ऐसा लगता है कि देखिए आपकी जो परंपरा है.

हर धर्म की अपनी परंपरा है उन परंपराओं को निर्वाह करने में कोई दिक्कत नहीं लेकिन जो उसमें बुराइयां है बुराइयों को धोना वो मुझे लगता है कि बुराई है जैसे हमारे हिंदू धर्म में सती प्रथा थी खत्म किया गया हमारे हिंदू धर्म में दहेज प्रथा थी अभी भी है लेकिन अब काफी हद तक उस पर रोक लग गई है क्योंकि कानून बहुत सख्त बन गए हैं लोगों को जेल भेजा जा रहा है तो उसमें भी प्रगति हो रही है तो इसलिए जो समाज में बुराई है उसको खत्म करना चाहिए .

तीन तलक ख़त्म लेकिन चार शादियाँ अभी भी

अभी जो मुस्लिम समाज में एक बुराई है तीन तलाक उसको रोकने के लिए सरकार ने कानून बना दिया अब है कि जो मैरिज है कि एक मुस्लिम चार शादी कर सकता है तो क्यों करेगा . आप चार शादी क्यों करोगे तो उसका समाज पर बुरा असर पड़ रहा है वो इंडिविजुअल आपका मैटर जरूर है लेकिन जो चार आप शादी करते हैं तो उसके बाद उन चार महिलाओं पर क्या गुजरती है जिनको आप छोड़ते हो इसलिए उनका ध्यान रखना उन्हो कानूनी अधिकार देना जरूरी है फिर इसमें महिलाओं को जो सिविल कोड है.

मोदी सरकार का अगला टास्क

उसमें महिलाओं को अधिकार दिए गए जैसे हिंदू धर्म में कि मां-बाप की संपत्ति में लड़की का भी हिस्सा होता है और जो बच्चे होते हैं उनका जो उनका जो पैथिक उनका जो इनहेरिटेंस अधिकार होता है वह उनको मिलता है मुस्लिम समाज में नहीं मिलता मुस्लिम में औरतों को कोई भी जो उनका पुस्त अधिकार है वो नहीं मिलता है तो तो ये इस तरह से सिविल एक्ट में जो यूनिफॉर्म सिविल कैड में सबकी सुविधा मिल जाएगी तो इसलिए इन्होंने जो आज बात की है उसको छेड़ दिया है.

इसको पूरा करना है

मोदी सरकार के पास अगले पा साल के लिए कोई काम नहीं बचा हुआ है मतलब मेजर काम जो रूटीन काम है तो चलते रहेंगे ट्रांसफर पोस्टिंग ये अलाना फलाना उद्घाटन करना सड़क बनाना य तो चलते रहेंगे यह काम तो ब्यूरोक्रेट भी कर लेंगे मैंने पॉलिसी डिसीजन की पॉलिसी अब आपको क्या लेना है अब आपको पॉलिसी डिसीजन लेना है कि इस देश में समान नागरिक संहिता होगी कि नहीं वो मुझे लगता है कि वो इंपॉर्टेंट है.

एक बहस को जन्म दिया

इसलिए यह आज प्रधानमंत्री ने लाल किले से कह के एक बहस को जन्म दिया है और इस बहस का देखते हैं कि इसमें इसका रिजल्ट क्या निकलेगा जब पार्लियामेंट लगेगी तो फिर लोग धरने प्रदर्शन करेंगे फिर कांग्रेसी और जो दूसरे अपोजिशन के लोग हैं मुसलमानों के साथ अत्याचार किया जाए क्योंकि हर बात को मुसलमानों से जोड़ दिया जाता है तो वो मुझे लगता है कि उचित नहीं है इसको जो अच्छाई है अच्छाई को लेना चाहिए और जो बुराई है उसको छोड़ देना चाहिए .

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