Vantara : निजीकरण की आंधी में दिल्ली जू भी अछूता नहीं रहा। दिल्ली चिड़ियाघर के आधुनिकीकरण के लिए मुकेश अम्बानी के चिड़ियाघर वनतारा के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गये हैं।
अनंत अम्बानी Ambani के नेतृत्व में जामनगर की सोसाइटी -ग्रीन्स जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर (जीजेडआरआरसी) कर सकता है। दिल्ली चिड़ियाघर, जीजेडआरआरसी जामनगर और फॉरेस्ट डिर्पाटमेंट गुजारात के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया है। दिल्ली चिड़ियाघर के निदेशक डॉ. संजीत कुमार के अनुसार दिल्ली जू के आधुनिकीकरण की योजना पर विचार किया जा रहा है। जबकि जीजेडआरआरसी के निदेशक डा. वृजकिशोर गुप्ता ने अनविज्ञता जाहिर की।
Vantara : दिल्ली का राष्ट्रीय प्राणी उद्यान अब Ambani अंबानी समूह के वंतारा
हाल ही में एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है कि दिल्ली का राष्ट्रीय प्राणी उद्यान अब Ambani अंबानी समूह के वंतारा प्रोजेक्ट के अंतर्गत आ सकता है। पर्यावरण प्रेमियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और आम जनता के बीच यह खबर चिंता का विषय बन गई है। यह लेख इसी विषय पर केंद्रित है – क्या यह विकास है या एक और सार्वजनिक संपत्ति का निजीकरण?
वंतारा प्रोजेक्ट क्या है?
वनतारा एक विशाल वन्यजीव बचाव, पुनर्वास और संरक्षण केंद्र है, जो गुजरात के जामनगर स्थित रिलायंस रिफाइनरी परिसर में स्थापित किया गया है। यह प्रोजेक्ट अनंत अंबानी की देखरेख में रिलायंस फाउंडेशन द्वारा संचालित है और इसका क्षेत्रफल लगभग 3,000 से 3,500 एकड़ में फैला हुआ है। वंतारा में अत्याधुनिक पशु चिकित्सा सुविधाएं, आधुनिक बाड़े, हाइड्रोथैरेपी पूल और रू/ष्ट स्कैन जैसी तकनीकें मौजूद हैं।
वंतारा को एक प्राइवेट जंगल की तरह देखा जाता है, जहाँ 2000 से अधिक जानवर 43 प्रजातियों में रखे गए हैं, जिनमें शेर, हाथी, मगरमच्छ, और विदेशी पक्षी शामिल हैं।
दिल्ली चिड़ियाघर का वंतारा से संबंध कैसे जुड़ा?
3 जून 2025 को राष्ट्रीय सहारा ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें बताया गया कि दिल्ली के राष्ट्रीय चिड़ियाघर का संचालन अब वंतारा से जुड़ी संस्था – ग्रीन्स जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर को सौंपा जा रहा है ।
हालांकि यह समझौता 28 मई 2025 को हस्ताक्षरित हुआ बताया जा रहा है, लेकिन ज़ू डायरेक्टर खुद इस समझौते से अनिभज्ञ हैं। 31 मई और 1 जून को वंतारा की टीम ने दिल्ली चिड़ियाघर का निरीक्षण किया, जिसमें डॉक्टरों के साथ एक किचन मैनेजर और साइट मैनेजर भी शामिल थे।
क्यों उठ रही हैं चिंताएं?
जनिहत बनाम निजी हित
दल्ली चिड़ियाघर एक सार्वजनिक संस्था है, जिसकी स्थापना 1959 में स्वतंत्र भारत के सार्वजनिक सेवा और पर्यावरण शिक्षा के उद्देश्यों से हुई थी। इसका निजीकरण उस मूल भावना के खिलाफ जाता है।
पारदर्शिता की कमी
वनतारा पहले से ही कई आरोपों का सामना कर चुका है – जैसे कि 2024 में वेनेजुएला से 1,825 जानवरों को संरक्षण के नाम पर लाना, जबकि इसमें कई प्रक्रियात्मक उल्लंघन पाए गए।
सीमित जन-सहभागिता
वनतारा आम जनता के लिए खुला नहीं है। वहां केवल विशेष अतिथियों और वीआईपी लोगों को आमंत्रित किया जाता है। डर यह है कि दिल्ली ज़ू भी धीरे-धीरे एक प्राइवेट क्लब में तब्दील हो जाएगा।
वन्यजीव कानून और स्वायत्तता
भारत का वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 इस प्रकार की गतिविधियों पर स्पष्ट नियंतण्ररखता है। ऐसे में किसी प्राइवेट संस्था को सीधे सार्वजनिक चिड़ियाघर सौंप देना एक खतरनाक मिसाल बन सकता है।
इतिहास का गौरव और भविष्य का संकट
दिल्ली चिड़ियाघर का इतिहास स्वतंत्र भारत के विकास से जुड़ा है। 176 एकड़ में फैला यह ज़ू 1200 से अधिक प्रजातियों का घर है और देश-दुनिया से लाखों पर्यटक हर साल यहाँ आते हैं। यह न केवल जैव विविधता संरक्षण का केंद्र है, बल्कि पर्यावरणीय शिक्षा और जागरूकता का माध्यम भी है।
एमओयू (रेफ्रेंस न. जीजेडआरआरसी/2025/एसजीओ/42, दिनांक-28 मई 2025) के अनुसार जीजेडआरआरसी की टीम को दिल्ली जू का मुआयना 31 मई और पहली जून को किया था। उसके बाद आगे की रूपरेखा तय होगी।
सनद रहे कि 1959 में बने दिल्ली चिड़ियाघर के पास 214 एकड़ से अधिक जमीन है और यहां पर पक्षियों और जानवरों की 12 सौ से ज्यादा प्रजातियां है और दो सौ से ज्यादा पेड़ है। वन्य जीव और पर्यावरण में रूचि रखने वाले छात्र भी शोध करने आते हैं।
सूत्रों के अनुसार 31 मई और एक जून को जीजेडआरआरसी की एक टीम चिड़ियाघर का निरीक्षण करने के लिए आयी थी। इस टीम में वेटनरी डाक्टर, किचन मैनेजर, साइट मैनेजर समेत आधे दर्जन लोग शामिल बताये जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार यह टीम दिल्ली चिड़ियाघर से 13 मई 2025 को भेजे गए पत्र संख्या -3-78/2021-एनजेडपी/336-7 के आलोक में आयी थी। सूत्रों का कहना है कि दिल्ली जू के रखरखाव और आधुनिकीकरण जीजेडआरआरसी और दिल्ली जू प्रशासन और गुजरात का वन विभाग मिलकर करेंगे। इस मामले में चिड़ियाघर ने निदेशक डा. संजीत कुमार ने पहले तो इस तरह की किसी भी एमओयू होने की बात से इंकार किया लेकिन जब उन्हें बताया गया कि एमओयू साइन होने की पुख्ता जानकारी हमारे पास है तो उन्होंने कहा कि हम जीजेडआरआरसी के साथ एमओयू चिड़ियाघर के मार्डनाइजेशन के लिए किया है। उन्होंने कह कि हमने जीजेडआरआरसी से दिल्ली जू की वेहतरी के लिए एमओयू साइन किया है।
निष्कषर्
दिल्ली चिड़ियाघर जैसे राष्ट्रीय संस्थानों का भविष्य निजी हाथों में देने से पहले व्यापक जनचर्चा, पारदर्शिता और विशेषज्ञ सलाह की आवश्यकता है। वन्यजीव संरक्षण एक पवित्र जिम्मेदारी है, न कि शोकेस या ब्रांड प्रमोशन का माध्यम।
विकास तभी टिकाऊ होता है जब उसमें जनिहत, पारदर्शिता और पर्यावरण संतुलन का ध्यान रखा जाए। वरना, वंतारा जैसी परियोजनाएं केवल अमीरों की ‘‘प्राइवेट सफारी’’ बनकर रह जाएंगी, आम जनता और जानवरों के हितों से कोसों दूर।