औरंगजेब का महिमामंडन: भारतीय समाज के लिए अपमान
मध्यकालीन इतिहास के सबसे क्रूर शासकों में से एक औरंगजेब का महिमामंडन करने की कोशिश समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता अबू आजमी, कांग्रेस नेता राशिद अल्वी और उदित राज जैसे नेताओं द्वारा की जा रही है। इन नेताओं का यह कदम भारतीय समाज के प्रति एक अपमानजनक कार्य है, जिसे न केवल भारतीय संस्कृति बल्कि सनातन धर्म का भी मजाक उड़ाने के रूप में देखा जा रहा है।
इतिहास के सबसे क्रूर शासक का महिमामंडन क्यों? who is Aurangzeb
समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के नेताओं द्वारा औरंगजेब का महिमामंडन केवल एक राजनीतिक चाल नहीं, बल्कि भारतीय समाज की भावनाओं के खिलाफ एक बड़ा आघात है। क्या इस महिमामंडन से ये नेता कुछ हासिल करना चाहते हैं? क्या यह सिर्फ कट्टरपंथी वोटों के लिए की जा रही सियासी साजिश है?
औरंगजेब की क्रूरता: अपने ही भाइयों और पिता के खिलाफ अत्याचार
औरंगजेब का इतिहास अत्याचार से भरा पड़ा है। उसने अपने तीन सगे भाइयों शाह शुजा, मुराद बख्श और दारा शिकोह को मौत के घाट उतारा। सबसे भयंकर और कुकृत्य तब हुआ जब उसने अपने बड़े भाई दारा शिकोह का सिर थाली में रखकर अपने पिता शाहजहाँ के पास भेजा। इसके अलावा, शाहजहाँ को बंदी बना लिया और उसे बूंद-बूंद पानी के लिए तरसा दिया।
औरंगजेब का धार्मिक उन्माद और उसके द्वारा किए गए मंदिरों के विध्वंस
औरंगजेब के शासन में भारत के कई प्रमुख मंदिरों को तोड़ने का आदेश दिया गया। 6 अप्रैल 1669 को औरंगजेब ने भारत के विभिन्न मंदिरों को तोड़ने का आदेश दिया और 2 सितंबर 1669 को इस आदेश का पालन किया गया। इस समय कई ऐतिहासिक शहरों में मूर्तियों को तोड़ा गया और हिंदू धर्म को अपमानित किया गया।
शिवाजी महाराज का बलिदान और औरंगजेब की क्रूरता
शिवाजी महाराज के राजकवि भूषण ने औरंगजेब के अत्याचारों को लेकर एक कविता लिखी थी, जिसमें उन्होंने औरंगजेब की क्रूरता का स्पष्ट चित्रण किया था। भूषण ने लिखा था:
“कुम्भकरण असुर अवतारी औरंगजेब, काशी प्रयाग में दुहाई फेरी रब की।
तोड़ डाले देवी देव शहर मुहल्लों के, लाखों मुसलमान किये माला तोड़ी सबकी।
काशी कर्बला होती मथुरा मदीना होती, शिवाजी न होते तो सुन्नत होती सबकी।”
यह कविता औरंगजेब के साम्राज्यवादी दृष्टिकोण और धार्मिक उन्माद को उजागर करती है।
इंडी गठबंधन और औरंगजेब का महिमामंडन
इंडी गठबंधन के नेता आज क्यों औरंगजेब का महिमामंडन कर रहे हैं? क्या ये लोग भारतीय समाज को फिर से उस काल में धकेलने की कोशिश कर रहे हैं, जब धार्मिक उन्माद और साम्राज्यवाद की जड़ें गहरी हो चुकी थीं? यह सिर्फ राजनीतिक खेल है या इसके पीछे कहीं औरंगजेब के क्रूरता को फिर से वैधता देने की योजना है?
अंतिम विचार: भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म का अपमान
अगर हम इतिहास को सही तरीके से समझें, तो औरंगजेब का महिमामंडन न केवल भारतीय समाज के लिए, बल्कि पूरी भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म के लिए एक बड़ा अपमान है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसे क्रूर शासकों को महिमामंडित करने की कोशिशों को नकारा जाए और हमारे ऐतिहासिक प्रतीकों का सम्मान किया जाए।