Will old cars start getting petrol in Delhi? क्या दिल्ली में पुरानी कारों को मिलने लगेगा पेट्रोल!

Will old cars start getting petrol in Delhi? “10 साल पुरानी गाड़ी? अब दिल्ली में पेट्रोल नहीं मिलेगा!”
लेकिन असली सवाल यह है — क्या यह नियम आपकी गाड़ी के साथ आपका भरोसा भी छीन रहा है? Delhi petrol diesal car ban .


“61 लाख वाहन मालिकों को झटका! दिल्ली में ईंधन बंद, लेकिन किसे फायदा?”
क्या यह पर्यावरण नीति है या मध्यम वर्ग पर एक और हमला?

“आपकी कार से ज़्यादा ज़हरीली है ये नीति!”
जानिए क्यों दिल्ली सरकार का फैसला तानाशाही साबित हुआ।


“हमने टैक्स 15 साल का दिया, लेकिन गाड़ी चलाने नहीं देंगे?”
दिल्लीवालों की गूंज: न्याय चाहिए, दिखावा नहीं।


“दिल्ली सरकार की नई गाड़ी नीति: ना पेट्रोल, ना इंसाफ, बस जुर्माना!”
क्या ये प्रदूषण pollution की सफाई है या जनता की जेब की सफाई?

ब्लॉग: दिल्ली में 10 साल पुराने वाहनों पर बैन – एक तानाशाही फैसला क्यों साबित हुआ बेवकूफी भरा

दिल्ली सरकार ने हाल ही में 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर ईंधन न देने की नीति लागू की थी, जिसे जनता के भारी विरोध के बाद वापस लेना पड़ा। यह निर्णय न केवल असंगत था, बल्कि शहर की वास्तविक प्रदूषण समस्याओं से ध्यान भटकाने वाला भी था। इस कदम को कई लोगों ने “बिना दिमाग वाली ज़बरदस्ती” बताया। आइए जानते हैं 5 मुख्य कारण जिनसे यह नीति विफल और अनुचित साबित हुई।


Table of Contents

1. टैक्स लिया 15 साल का, गाड़ी चलाई सिर्फ 10 साल – क्या सरकार रिफंड देगी?

भारत में डीजल वाहनों पर 15 वर्षों का रोड टैक्स लिया जाता है, लेकिन दिल्ली सरकार ने 10 साल बाद ही इन वाहनों को सड़क से हटाने का निर्णय लिया। इससे लाखों वाहन मालिकों को ठगा हुआ महसूस हुआ।

वरिष्ठ विश्लेषक सुशांत सरीन ने भी इस नीति को “सबसे मूर्खतापूर्ण नियम” बताया। उन्होंने लिखा, “अगर एक साल पुरानी गाड़ी प्रदूषण फैला रही है तो उसे हटाइए, लेकिन अगर 20 साल पुरानी गाड़ी में प्रदूषण नहीं है तो वह क्यों न चले? केवल उम्र के आधार पर गाड़ियों को हटाना मूर्खता है।”

इस नीति से सवाल उठा कि क्या सरकार 5 साल का रोड टैक्स वापस करेगी? अगर हां, तो कैसे और कब?


2. अच्छे मेंटेन और PUC सर्टिफिकेट वाली गाड़ियों पर भी कार्रवाई – कहां है न्याय?

इस नीति ने उन वाहनों को भी प्रभावित किया जिनके पास वैध Pollution Under Control (PUC) प्रमाणपत्र था। ऐसे वाहन जो अच्छी हालत में थे, उन्हें सिर्फ उनकी उम्र के आधार पर सड़क से हटाया गया।

IIT दिल्ली की प्रोफेसर दीप्ति जैन के अनुसार, किसी वाहन से होने वाला उत्सर्जन केवल उसकी उम्र पर नहीं, बल्कि उसके रख-रखाव, मॉडल और चले गए किलोमीटर पर निर्भर करता है।

अगर PUC प्रमाणपत्र की कोई अहमियत नहीं है, तो फिर इस पूरे सिस्टम को क्यों बनाए रखा गया है?


3. थर्ड वर्ल्ड इंफ्रास्ट्रक्चर में फर्स्ट वर्ल्ड पॉलिसी लागू करना – भारी भूल

इस तरह की नीति यूरोप जैसे विकसित देशों में तो लागू हो सकती है, लेकिन दिल्ली जैसे शहर में जहां सार्वजनिक परिवहन पहले से ही कमजोर है, यह आत्मघाती कदम है।

सरकार ने यह नहीं सोचा कि क्या सार्वजनिक परिवहन इतना सक्षम है कि वह लाखों पुराने वाहन मालिकों को समाहित कर सके?

इसके अलावा, दिल्ली-एनसीआर की कई हाउसिंग सोसाइटियों ने इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग पॉइंट लगाने की अनुमति तक नहीं दी है। तो ईवी अपनाने का विकल्प भी व्यवहारिक नहीं है।


4. सख्ती केवल आम जनता पर – असली प्रदूषणकारी तत्वों पर खामोशी क्यों?

दिल्ली सरकार ने वाहनों पर सख्ती दिखाई लेकिन पराली जलाने, निर्माण कार्यों से उड़ती धूल और सड़क की धूल जैसे प्रमुख प्रदूषण स्रोतों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।

सुप्रीम कोर्ट तक ने कहा है कि सड़क की धूल और कंस्ट्रक्शन प्रदूषण के बड़े कारक हैं, फिर भी ध्यान केवल वाहनों पर क्यों?

असल में सरकार ने आम मध्यमवर्गीय वाहन मालिकों को ‘सॉफ्ट टारगेट’ बना लिया, क्योंकि उन पर कार्रवाई करना आसान है।


5. निजी गाड़ियां प्रदूषण का छोटा हिस्सा हैं – तो फिर यही निशाना क्यों?

2024 के Centre for Science and Environment (CSE) के एक अध्ययन के अनुसार, दिल्ली में अक्टूबर-नवंबर के दौरान कुल PM2.5 प्रदूषण में निजी गाड़ियों का योगदान केवल 20% है।

इसके मुकाबले दोपहिया और तिपहिया वाहन 50% और भारी वाहन 30% प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं। वहीं पराली जलाने से 38%, सड़क की धूल से 4% और निर्माण कार्यों से 7% प्रदूषण होता है।

फिर सरकार की पूरी सख्ती सिर्फ निजी कार मालिकों पर क्यों?


निष्कर्ष: नीयत सही, लेकिन नीति ग़लत और अमानवीय

यह स्पष्ट है कि दिल्ली सरकार की नीति भले ही प्रदूषण कम करने की मंशा से प्रेरित हो, लेकिन यह व्यवहारिक धरातल पर असफल रही।

बिना पर्यावरण के व्यापक परिप्रेक्ष्य को समझे, केवल उम्र के आधार पर वाहनों पर रोक लगाना न केवल अनुचित है, बल्कि एक प्रकार की तानाशाही भी है।

जनता को सही जानकारी और व्यवहारिक विकल्प देने की बजाय उन्हें मजबूर करना, एक लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए अशोभनीय है।

दिल्ली सरकार हटाएगी पुराने वाहनों पर ईंधन प्रतिबंध, जनता के दबाव में बदला फैसला

दिल्ली सरकार ने राजधानी में पुराने वाहनों पर लगाए गए ईंधन प्रतिबंध को वापस लेने का संकेत दिया है। पर्यावरण मंत्री मनिंदर सिंह सिरसा ने बृहस्पतिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि तकनीकी दिक्कतों और लागू करने में आ रही जटिलताओं के चलते इस फैसले को व्यवहारिक नहीं माना जा रहा है। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जनता के असंतोष को देखते हुए सरकार उनके साथ खड़ी है।

ईंधन प्रतिबंध को एनसीआर तक लागू करने का सुझाव

सिरसा ने कहा कि दिल्ली सरकार ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को पत्र लिखकर यह सुझाव दिया है कि यदि यह प्रतिबंध जरूरी है तो इसे केवल दिल्ली नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में लागू किया जाए, ताकि इसका प्रभाव संतुलित हो और सिर्फ दिल्लीवासियों पर बोझ न पड़े।

उन्होंने आम आदमी पार्टी (AAP) की पूर्व सरकार पर भी निशाना साधते हुए कहा कि ‘तय मियाद’ पूरी कर चुके वाहनों पर कठोर नियम लागू करने के कारण जनता को अनावश्यक परेशानी हुई है।

1 जुलाई से लागू हुआ था विवादित प्रतिबंध

दिल्ली सरकार ने 1 जुलाई से 10 वर्ष से अधिक पुराने डीजल वाहनों और 15 वर्ष से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों पर पेट्रोल पंपों से ईंधन भराने पर रोक लगा दी थी। यह आदेश राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) और अदालतों के पूर्ववर्ती निर्देशों पर आधारित था।

इस आदेश के तहत, यदि कोई पुराना वाहन ईंधन भरवाने पेट्रोल पंप पर पहुंचता है तो परिवहन विभाग और यातायात पुलिस ऐसे वाहनों को जब्त कर रही थी।


AAP का आरोप – “मध्यम वर्ग पर सीधा हमला”

इस फैसले को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) ने बीजेपी नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार पर तीखा हमला बोला है। दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आप नेता मनीष सिसोदिया ने इसे “मध्यम वर्ग पर एक और हमला” करार दिया।

उन्होंने कहा,

“भाजपा सरकार ने दिल्ली की सड़कों से 61 लाख पुराने वाहनों को हटाने का क्रूर आदेश दिया है। ये शासन नहीं, ‘फुलेरा की पंचायत’ है। जिन परिवारों ने अपने वाहनों का रखरखाव अच्छे से किया है, उन्हें अब दंडित किया जा रहा है। यहां तक कि 10,000 किलोमीटर से कम चले वाहन भी अयोग्य माने जा रहे हैं।”

भारी जुर्माना और वाहन जब्ती का डर

1 जुलाई से लागू इस नीति के तहत, तय अवधि से अधिक पुराने वाहनों में ईंधन भरवाने पर भारी जुर्माना लगाया गया:

  • चार पहिया वाहन: ₹10,000
  • दो पहिया वाहन: ₹5,000
  • साथ ही वाहन जब्त करने और उठा ले जाने का शुल्क भी देना पड़ता।

“किसे होगा असली फायदा?”

सिसोदिया ने सवाल उठाया कि इस नीति से आम लोगों को कोई राहत नहीं मिलेगी, बल्कि वाहन निर्माता कंपनियां, कबाड़ी व्यापारी और नंबर प्लेट बनाने वाली कंपनियां इसका सीधा लाभ उठाएंगी।

उन्होंने आरोप लगाया,

“यह संयोग नहीं हो सकता कि यह आदेश टैक्सी किराया बढ़ाने की मंजूरी से ठीक पहले आया है। बीजेपी सरकार का यह कदम जनता की जेब काटने वाला है।”

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के आदेश को नजरअंदाज कर रातोंरात अध्यादेश लाकर कानून को बदल डाला। अब वही सरकार कह रही है कि वह 61 लाख परिवारों की मदद नहीं कर सकती।


निष्कर्ष: नीति पर पुनर्विचार जरूरी

दिल्ली सरकार का यह कदम दर्शाता है कि बिना पर्याप्त व्यवस्था और जन-सहभागिता के कोई भी नीति सफल नहीं हो सकती। पुराने लेकिन मेंटेन किए गए वाहनों को केवल उम्र के आधार पर बंद करना तकनीकी और सामाजिक दोनों स्तर पर असंगत साबित हुआ।

जनता की नाराजगी और व्यवहारिक चुनौतियों के बीच सरकार अब पुनर्विचार की दिशा में बढ़ती दिख रही है। देखना होगा कि आने वाले दिनों में यह नीति कितनी बदलेगी और क्या इसका कोई संतुलित और न्यायसंगत समाधान निकल पाएगा।


#दिल्ली_वाहन_बैन #FuelBanRollback #DelhiPollutionPolicy #ManinderSinghSirsa #ManishSisodia #AAPvsBJP


क्या आपके पास भी ऐसी ही कोई नीति से जुड़ा अनुभव है? नीचे कमेंट में साझा करें।
#दिल्ली_वाहन_बैन #PollutionPolicy #PUC #EnvironmentalJustice #DelhiAirCrisis

Leave a Comment

Discover more from Roshan Gaur

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading

glimpes of international yoga day 10th Governing Council Meeting of NITI Aayog, chaired by Prime Minister Shri Narendra Modi, held in New Delhi on Saturday. India’s Nandini Gupta Secures Spot in 72nd Miss World Grand Finale Mahakumbh : strange of the world I vibrant color of India : महाकुम्भ : अद्भुद नज़ारा, दुनिया हैरान friendly cricket match among Members of Parliament, across political parties, for raising awareness for ‘TB Mukt Bharat’ and ‘Nasha Mukt Bharat’, at the Major Dhyan Chand National Stadium